रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच गैस वितरण का संकट बना हुआ है। यूरोप में रूसी गैस वितरण पूरी तरह से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पुनर्निर्देशित किया जा सकता है जहां गैस की मांग बढ़ रही है। साथ ही इसके लिए तत्काल बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की आवश्यकता होगी। यह बात रूसी कंपनी वायगन कंसल्टिंग के एनर्जी विशेषज्ञ इवान टिमोनिन (Ivan Timonin) ने कही है। रूसी निर्यात अब यूरोप में जा सकता है, संभावित रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पूर्ण रूप से डायवर्ट किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए निर्यात बुनियादी ढांचे के सक्रिय विकास, नई गैस पाइपलाइनों और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) संयंत्रों के निर्माण की आवश्यकता है, जो कि समय भी है और खपत भी है।
विशेषज्ञ ने कहा कि एशिया में गैस प्रवाह को पुनर्निर्देशित करने का रूस का अभियान न केवल रूसी ऊर्जा एवं विशेष रूप से तेल उत्पादों को खरीदने से रोकने के लिए यूरोप की खोज से उपजा है, बल्कि बाजार से भी प्रेरित है। वर्तमान के हालात बताते हैं कि एशियाई देशों में 2025 तक प्राकृतिक गैस की मांग का आधा हिस्सा होगा, जिसकी खपत में 160 बिलियन क्यूबिक मीटर की वृद्धि होगी। इसमें मुख्य रूप से चीन और भारत में इसकी खपत होग
साथ ही उन्होंने कहा कि चीन को गैस की आपूर्ति करने वाली साइबेरिया पाइपलाइन की शक्ति के निर्माण में पांच साल लग गए और बड़े पैमाने पर गैस द्रवीकरण संयंत्रों के निर्माण के लिए एक ही समय की आवश्यकता है।टिमोनिन ने आगे कहा कि गैस निर्यात को समान स्तर पर रखने के लिए रूस को पहले से ही नई परियोजनाओं को विकसित करना शुरू करना चाहिए और निवेश निर्णय लेना चाहिए।