रूस बना विश्व में सबसे ज्यादा प्रतिबंधों का सामना करने वाला देश

यूक्रेन पर सैन्य अभियान के कारण रूस दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिबंधों का सामना करने वाला देश बन गया है। न्यूयार्क स्थित प्रतिबंध निगरानी साइट कास्टेलम डाट एआइ ने कहा कि सबसे पहले अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर 22 फरवरी को प्रतिबंध लगाया। इससे एक दिन पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो विद्रोही क्षेत्रों डोनेत्स्क और लुहांस्क को ‘स्वतंत्र प्रांत’ घोषित किया था।
24 फरवरी को रूस ने अपने सैन्य अभियान की घोषणा की। उसके बाद सौ और प्रतिबंध लगा दिए गए। साइट ने कहा है कि 22 फरवरी के पहले रूस के खिलाफ 2,754 प्रतिबंध लगे हुए थे और हमले के बाद 2,778 प्रतिबंध और लगा दिए गए। दोनों को मिलाकर कुल 5,532 प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही रूस ने 3,616 प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान को पीछे छोड़ दिया है। साइट के अनुसार, जिन देशों और क्षेत्रों ने प्रतिबंधों से रूस को निशाना बनाया है उनमें स्विट्जरलैंड (568), यूरोपीय संघ (518), कनाडा (454), आस्ट्रेलिया (413), अमेरिका (243), ब्रिटेन (35) और जापान (35) शामिल हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूसी अर्थव्यवस्था पर शिकंजा कसने के मद्देनजर रूस से तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अमेरिका व पश्चिमी देशों से कई बार रूसी आयात में कटौती का अनुरोध किया था और इसी क्रम में अमेरिका यह कदम उठाने जा रहा है।रूस के वित्तीय क्षेत्रों पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद ऊर्जा निर्यात के जरिये उसके पास नकदी का प्रवाह जारी है।
जापान ने रूस और बेलारूस के 32 और व्यक्तियों की संपत्तियां फ्रीज कर दी हैं। जापान ने मंगलवार को रूस के जिन 20 व्यक्यिों की संपत्ति पर रोक लगाई उनमें चेचेन रिपब्लिक के प्रमुख रमजान कादिरोव, उप सेना प्रमुख, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार के प्रेस सचिव और स्टेट पार्लियामेंट के उपाध्यक्ष शामिल हैं।इसके अलावा जापान ने बेलारूस के जिन 12 अधिकारियों और बिजनेस एक्जीक्यूटिव पर प्रतिबंध लगाया है, उनमें बेलारूस की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष विक्टर लुकाशेंको भी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि जापान रूस के लिए तेल रिफाइनरी उपकरण और बेलारूस के लिए सामान्य प्रयोजन के सामान के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा रहा है जिसका इस्तेमाल देश की सैन्य क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है।