RSS नेता ने दी फारूक अब्दुल्ला को देश छोड़ने की सलाह

वरिष्ठ RSS नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने सोमवार को नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) को आड़े हाथों लिया। दरअसल फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू कश्मीर की जनता को अपने अधिकार वापस पाने के लिए प्रदर्शन कर रहे किसानों की तरह ही ‘बलिदान’ देना होगा। संघ के नेता ने अब्दुल्ला के इसी बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे पता चलता है कि वे शांति नहीं हिंसा पसंद करते हैं। उन्होंने सलाह दी कि अगर अबदुल्ला को भारत में घुटन महसूस होती है तो देश छोड़ देना चाहिए और अपनी पसंद के अनुसार दुनिया के किसी भी हिस्से में चले जाना चाहिए।
RSS नेता ने PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) पर भी हमला बोला जो केंद्रशासित प्रदेश की जनता के कथित दमन के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में प्रदर्शन कर रहीं हैं। RSS नेता ने मुफ्ती पर झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि उनके लिए झूठ बोलना एक फैशन बन गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के दोनों नेताओं को उकसाने की राजनीति बंद कर देनी चाहिए और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में बाधा बनना बंद कर देना चाहिए।
RSS नेता ने आगे कहा, ‘फारूक अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए चीन की मदद ली जाएगी। क्या हमें इसे स्वीकार करना चाहिए? कभी नहीं। यदि उन्हें यहां घुटन महसूस होता है तो वे जहां चाहते हैं वहां जाएं अरब या अमेरिका। उनकी पत्नी इंग्लैंड में रहती हैं। वहां जाकर पत्नी के साथ रहने को लेकर भी वे सोच सकते हैं। वे खुश रहेंगे।’ बता दें कि अब्दुल्ला ने रविवार को कहा था कि विशेष दर्जा की बहाली के लिए जम्मू कश्मीर की जनता को बलिदान देना पड़ सकता है जैसा कि किसानों ने किया और यह सफल हुआ

नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 116वीं जयंती के अवसर पर श्रीनगर के नसीमबाग में उनके मकबरे पर पार्टी की युवा शाखा के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी हिंसा का समर्थन नहीं करती है। वहीं मुफ्ती ने केंद्रशासित प्रदेश के लोगों के कथित दमन के विरोध में सोमवार को यहां जंतर मंतर पर धरना दिया था और कहा था कि निर्दोषों की हत्या तत्काल रोकी जानी चाहिए। RSS नेता ने आगे कहा, ‘फारूक अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा बहाल करने के लिए चीन की मदद ली जाएगी। क्या हमें इसे स्वीकार करना चाहिए? कभी नहीं। यदि उन्हें यहां घुटन महसूस होता है तो वे जहां चाहते हैं वहां जाएं अरब या अमेरिका। उनकी पत्नी इंग्लैंड में रहती हैं। वहां जाकर पत्नी के साथ रहने को लेकर भी वे सोच सकते हैं। वे खुश रहेंगे।’