लोकसभा चुनाव में पहली बार देश में भारतीय जनता पार्टी को इतनी बड़ी जीत मिली है। इस जीत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उन लाखों कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने रात-दिन जमीनी स्तर पर काम किया। इसके साथ ही संघ के विभिन्न अनुषांगिक संगठनों की ओर से गांवों में किए जा रहे कार्यो का लाभ भी भाजपा को मिला। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड में मिली इतनी बड़ी जीत में तो संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
चुनाव की घोषणा होने के पहले से लेकर चुनाव समाप्त होने तक कार्यकर्ता सुबह घर से निकलते थे और देर रात वापस आते थे। चाहे संघ के अधिकारी हों या सामान्य स्वयंसेवक, जिनको जो जिम्मेदारी दी गई, उसे बखूबी निभाया। संघ सूत्रों के अनुसार पूरे देश में संघ के 25 लाख स्वयंसेवक चुनाव अभियान में लगे थे। अनुषांगिक संगठनों के 75 लाख से अधिक कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे।
इनमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, एकल विद्यालय, ¨हदू जागरण मंच, विकास भारती, सेवा भारती, वनवासी कल्याण केंद्र, धर्म जागरण, विश्व ¨हदू परिषद, सरना समिति, विद्या भारती सहित लगभग 35 संगठनों के कार्यकर्ता इस अभियान में लगे थे। जहां तक झारखंड की बात है तो यहां भी संघ व उसके अनुषांगिक संगठनों के तीन लाख से अधिक कार्यकर्ता चुनाव अभियान में लगे थे।
इसके लिए सभी राज्यों में एक संरचना बनाई गई थी। राज्य संयोजक एवं सह संयोजक से लेकर विधानसभा, प्रखंड, पंचायत एवं बूथ स्तर तक के कार्यकर्ता बनाए गए थे। देश के महानगरों में लोकसभा, विधानसभा, नगर, बस्ती एवं बूथ तक के संयोजक बनाए गए थे। सभी बूथ पर एक-एक पन्ना प्रभारी बनाए गए थे। जिनकी जिम्मेदारी घर-घर जाकर मतदाताओं को वोट डालने के लिए प्रेरित करना एवं बूथ तक लाने की व्यवस्था करना था। पूरी योजना पर प्रांत प्रचारक स्वयं नजर बनाए हुए थे। चुनाव अभियान के दौरान सभी क्षेत्र प्रचारक समय-समय पर कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते रहे। इस अभियान पर केंद्रीय अधिकारियों की भी नजर थी।
अमित शाह ने भी संघ से मांगी थी मदद
जब संघ के स्वयंसेवक लोगों से वोट करने की अपील कर रहे थे तो मतदाता भी समझ रहे थे कि वोट किसे करना है। इसका लाभ भाजपा को सौ फीसद मिला। इस वर्ष मार्च में ग्वालियर में हुई संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी दो दिनों तक रहे थे। उन्होंने बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए संघ से मदद भी मांगी थी।
संघ के अभियान का असर भी दिखा
चुनाव के दौरान संघ के स्वयंसेवक अपने खर्च से काम कर रहे थे। घर से कुछ खाकर निकलते, रास्ते के लिए रख लेते और रात्रि में घर लौटने पर भोजन करते थे। तेज धूप में भी वे काम में लगे रहे। इसका असर भी झारखंड में दिखा। लोहरदगा एवं खूंटी उन्हीं कार्यकर्ताओं की बदौलत भाजपा बचाने में सफल रही। दुमका में जेएमएम के सुप्रीमो शिबू सोरेन को हराने में कामयाब हुए।
‘हम किसी पार्टी विशेष का नाम नहीं लेकर, लोगों से देशहित, राष्ट्रवाद, आतंकवाद मुक्त भारत, सशक्त भारत एवं देश को फिर से विश्व गुरु बनाने के मुद्दे पर लोगों से वोट करने की अपील कर रहे थे। हमारी योजना अधिक से अधिक मतदाता वोट करें, इसके लिए काम करना था।
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