वैलेंटाइन-डे पर बॉलीवुड की रोमांटिक किस्से, जिसे पढ़कर ख़ुशी से झूम उठेंगे आप

वैलेंटाइन-डे पर बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्में तो आप देखते ही होंगे, मगर आज हम आपके लिए बॉलीवुड की वो सच्ची प्रेम कहानियां लेकर आए हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। ये लव स्टोरीज ऐसी हैं जो आपको प्यार की गहराई का एहसास कराएंगीं। इनमें मिलन भी है, जुदाई भी। अधूरा प्यार भी है और एकतरफा इश्क भी।
शुरुआत 1940 से। उन दिनों शोभना समर्थ (एक्ट्रेस नूतन और तनुजा की मां, काजोल की नानी) टॉप हीरोइन थीं। हीरो मोतीलाल हिंदी सिनेमा के पहले नेचुरल स्टार थे। दोनों एक फिल्म के सेट पर मिले और दोस्ती हो गई। मोतीलाल के बारे में ये कहा जाता था कि वो जिस चीज को चाह लेते थे, उसे हासिल करके ही दम लेते थे। उनको तेज रफ्तार में कार चलाना, घुड़सवारी करना और हवाई जहाज उड़ाना बहुत पसंद था।
शोभना और मोतीलाल में एक बात जो कॉमन थी, वो ये कि दोनों ने जिंदगी अपनी शर्तों पर जी। एक-दूसरे के जब करीब आए तो उस दौर में भी परिवार और समाज के सामने अपने रिश्ते को खुल कर स्वीकारा। दिलचस्प बात ये कि शोभना समर्थ और मोतीलाल की लव स्टोरी काफी अनोखी है।
शोभना पहले से शादीशुदा और 4 बच्चों की मां थीं। सागर मूवी टोन प्रोडक्शन हाउस में उनकी और मोतीलाल की दोस्ती की शुरुआत हुई। कुछ समय बाद ही उन्होंने इस प्रोडक्शन हाउस से दूरी बना ली थी, लेकिन दोनों दोस्त बने रहे।

कुछ समय बाद शोभना समर्थ का पति से अलगाव हो गया। ये वक्त था जब वो इमोशनली मोतीलाल के बहुत करीब आ गईं। मोतीलाल ने उन्हें प्रपोज भी किया, लेकिन उनके उस प्रपोजल में शोभना समर्थ ने कोई दिलचस्पी नहीं जताई और परिवार के साथ मुंबई छोड़कर खंडाला शिफ्ट हो गईं। मोतीलाल को उनका ये कदम बिल्कुल रास नहीं आया। इसके बाद उन्होंने अपने प्यार के इजहार का अनोखा तरीका अपनाया।

मोतीलाल ने एक हेलिकाॅप्टर किराए पर लिया और पहले शोभना समर्थ के घर की छत पर कई चक्कर लगाए। इसके बाद उन्होंने लव लेटर को पत्थर में लपेट कर फेंका। फिर उन्होंने शोभना समर्थ के कमरे का शीशा तोड़कर उन्हें आई लव यू कहा। मोतीलाल के इस प्रपोजल को देखकर उन्होंने हामी भर दी। दोनों का ये रिश्ता काफी लंबे समय तक चला, लेकिन कभी भी शादी नहीं की।

शोभना समर्थ की बेटी नूतन की डेब्यू फिल्म हमारी बेटी में मोतीलाल उनके ऑन स्क्रीन पिता के रोल में दिखे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक मोतीलाल ने ही नूतन और तनुजा का कन्यादान किया था।
अब दूसरा किस्सा एक तरफा प्यार का है। 1975 में आई फिल्म ‘उलझन’ से इस दर्दनाक लव स्टोरी की शुरुआत हुई थी। फिल्म में लीड एक्टर थे संजीव कुमार जिन्होंने शोले, अंगूर और पति, पत्नी और वो जैसी फिल्मों में काम किया था। वहीं सुलक्षणा पंडित फिल्म की हीरोइन थीं जो अपनापन, खानदान और हेरा-फेरी जैसी फिल्मों का हिस्सा रहीं। खास बात ये थी कि वो अपनी फिल्मों के गाने खुद गाया करती थीं।
फिल्म उलझन से सुलक्षणा ने एक्टिंग डेब्यू किया था। फिल्म 1975 में आई थी, तब संजीव कुमार स्थापित एक्टर थे। उनकी एक्टिंग की तुलना दिलीप कुमार से की जाती थी।
फिल्म उलझन की शूटिंग के दौरान ही सुलक्षणा संजीव कुमार को पसंद करने लगी थीं। कुछ समय बाद उन्होंने अपने प्यार का इजहार भी कर दिया था, लेकिन संजीव कुमार ने मना कर दिया। वो उन्हें बस अपना दोस्त मानते थे। उन्होंने सुलक्षणा को बहुत समझाया कि इन सब चीजों पर ध्यान देने के बजाय अपने करियर पर फोकस करें।

उधर सुलक्षणा का प्यार संजीव कुमार के लिए कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ता ही रहा। उन्होंने कई बार संजीव कुमार को मनाया, लेकिन वो नहीं माने। जब उन्होंने शादी के लिए साफ तौर पर मना कर दिया तो सुलक्षणा को गहरा सदमा लगा और वो डिप्रेशन में चली गईं।
संजीव कुमार को अभी सुलक्षणा भुला पाई ही नहीं थीं कि 6 नवंबर 1985 को 47 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से संजीव कुमार का निधन हो गया। उनकी मौत ने सुलक्षणा को इतना गहरा दर्द दिया कि वो अपना मानसिक संतुलन ही खो बैठीं।
इसके बाद सुलक्षणा की बहन विजयता पंडित का एक बयान सामने आया था- दीदी पागल नहीं हुई थीं, बल्कि संजीव कुमार ने जब शादी करने से मना किया, तो वो डिप्रेशन में चली गई थीं। संजीव कुमार दीदी से इसलिए शादी नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें हार्ट की बीमारी थी। वो जानते थे कि उनकी मौत कभी भी हो सकती है। ऐसे में वो दीदी की जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहते थे। वो दोनों ही एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे।’

संजीव कुमार के निधन के बाद सुलक्षणा पूरी तरह से टूट गई थीं। उनका मानसिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ गया था। हालात ये थे कि उनके पास काम नहीं था और पैसे की कमी हो गई थी जिस वजह से उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा था।
तीसरी लव स्टोरी है हिंदी सिनेमा की ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी और फिल्म डायरेक्टर-प्रोड्यूसर और राइटर सावन कुमार टाक की। 1966-67 में सावन कुमार को फिल्म गोमती किनारे के लिए एक हीरोइन की तलाश थी। तब उनके दोस्त बी.एन. शर्मा ने सुझाव दिया कि फिल्म के लीड रोल के लिए मीना कुमारी से बेहतर दूसरी कोई एक्ट्रेस नहीं हो सकती।
मीना कुमारी और सावन कुमार एक साथ। ये फोटो फिल्म गोमती के किनारे की मेकिंग के दौरान का है। उस समय सावन कुमार अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे। मीना कुमारी करियर के टॉप पर थीं।
उस समय मीना कुमारी टाॅप एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल थीं। सावन खुद को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। जिस वजह से उन्हें अप्रोच करने में सावन कुमार झिझक रहे थे। हालांकि उन्होंने हिम्मत करके मीना कुमारी को फोन किया, लेकिन उनकी बहन ने उठाया और घर पर मिलने को बुलाया। घर पहुंच कर सावन कुमार ने उन्हें कहानी सुनानी शुरू कर दी। ये देखकर वो हैरान रह गईं कि एक बेहद कम उम्र का लड़का उन्हें कहानी सुना रहा है। उन्होंने फिल्म साइन कर ली।

फिल्म की आधी शूटिंग पूरी हुई थी कि मीना कुमारी बीमार पड़ गईं, इस कारण शूटिंग बीच में ही रोकनी पड़ी। फिल्म की शूटिंग 1968 में शुरू हुई थी, लेकिन मीना कुमारी की बीमारी की वजह से फिल्म 1972 में रिलीज हो पाई। इस दौरान मीना कुमारी और सावन कुमार काफी नजदीक आ गए थे।

दोनों में इतना गहरा लगाव हो गया था कि जब फिल्म को बनाने में सावन कुमार के पास पैसे खत्म हो गए थे तो मीना कुमारी ने अपना बंगला तक बेच दिया था। वो इतनी बीमार थीं कि सीन का शाॅट देते ही गिर जाती थीं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने फिल्म पूरी की। मीना अपने पति कमाल अमरोही से अलग होने के बाद वैसे भी काफी अकेली थीं और शराब पीने की आदी हो चुकी थीं।

1972 में तबीयत खराब होने पर मीना कुमारी को मुंबई के सेंट एलिजाबेथ नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। तब सावन कुमार ने ही उनकी देखभाल की। सावन कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था- जब मीना कुमारी उल्टियां करतीं तो खून निकलता था। मैं उसे अपने हाथ में ले लेता। उनका चेहरा साफ करता और फिर सुला देता।

एक बार मीना कुमारी ने उनसे कहा था- तुम पहले ऐसे इंसान हो, जिसमें मैंने भगवान देखा है। मैं तुम्हारे हाथ पर जो खून भरी उल्टी करती हूं, तुम उसे इकट्ठा करते हो। तुम एक बार भी जाहिर नहीं करते कि अच्छा नहीं लग रहा। आज तक मेरे साथ न तो मेरी बहनों ने और न ही किसी दोस्त या रिश्तेदार ने ऐसा किया। मेरी बेडशीट पर दाग भी लग जाता तो मैं खुद ही उसे बदलती थी।’
बीमारी के दौरान ही मीना कुमारी ने सावन कुमार को शादी के लिए भी प्रपोज किया था, लेकिन लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहीं मीना कुमारी का निधन हो गया। मीना कुमारी की मौत के बाद सावन कुमार उनकी कब्र के पास घंटों रोए थे।
कहा जाता है कि सावन कुमार मीना कुमारी की जिंदगी के आखिरी शख्स थे। उम्र में काफी ज्यादा अंतर होने के बावजूद दोनों ने प्यार किया और शादी भी करना चाहते थे, लेकिन दोनों की ये ख्वाहिश अधूरी ही रह गई।
चौथी कहानी बॉलीवुड की वीनस मधुबाला और एक्टर प्रेमनाथ की। इनकी भी लव स्टोरी 1951 में शुरू हुई थी। फिल्म बादल में पहली बार दोनों एक-दूसरे के अपोजिट नजर आए थे। साथ शूटिंग करने की वजह से कुछ दिनों में ही मधुबाला और प्रेमनाथ नजदीक आ गए थे। दोनों में इतना गहरा प्यार हो गया था कि जब किसी फिल्म का ऑफर प्रेमनाथ को आता तो वो सिर्फ मधुबाला से पूछकर फिल्में साइन करते थे
दोनों एक-दूसरे को इस कदर पसंद करते थे कि शादी तक करना चाहते थे, लेकिन अलग धर्म होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया। सिर्फ धर्म की वजह से मधुबाला अपने प्यार को नहीं खोना चाहती थीं। इसी वजह से उन्होंने प्रेमनाथ के आगे धर्म बदलकर शादी करने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन प्रेमनाथ ने मना कर दिया। वहीं आगे चलकर प्रेमनाथ ने उस समय की टॉप एक्ट्रेस बीना राय से शादी कर ली थी।

इस खबर से मधुबाला को गहरा सदमा लगा था। उन्होंने प्रेमनाथ से भी कह दिया- तुमने मेरा प्यार ठुकराया है, तुम भी प्यार को तरसोगे। आखिरकार हुआ भी वही। प्रेमनाथ और बीना राय की शादीशुदा जिंदगी कुछ खास अच्छी नहीं रही। बाद में उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया था। जब ये बात मधुबाला को पता चली तो उन्होंने प्रेमनाथ को कसम दी कि वो शराब न पिएं। साथ ही ये भी कहा कि अगर शराब पीना ही है तो वो उनका खून पी जाएं। मधुबाला की ये बात प्रेमनाथ के दिल को छू गई। इसके बाद उन्होंने करीब 14 साल तक शराब को हाथ भी नहीं लगाया।

मधुबाला से अलग होने के बाद भी वो उन्हें नहीं भुला पाए थे। किस्सा ये भी है कि मधुबाला के निधन के बाद जब प्रेमनाथ को पता चला कि उनके पिता को पैसे की जरूरत है तो वो उनसे मिलने गए और उनके तकिए के नीचे एक लाख रुपए का चेक रख दिया। किसी ने उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो इसका जवाब देते हुए प्रेमनाथ ने कहा- अगर मधुबाला से मेरी शादी होती तो मैं इनका दामाद होता इसलिए दामाद होने का फर्ज निभा रहा हूं।
इस सीरीज में अंतिम लव स्टोरी है 70 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस स्मिता पाटिल और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और अपने जमाने के सुपरहिट एक्टर राज बब्बर की। दोनों जमाने से लड़कर एक हुए, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोनों मिलकर भी बिछड़ गए। दोनों की पहली मुलाकात 1982 में फिल्म भीगी पलकें के शूटिंग सेट पर हुई थी। पहली मुलाकात पर ही दोनों के बीच नोकझोंक हो गई, लेकिन पहली ही नजर में स्मिता को राज पसंद करने लगे थे।
ज्यादा समय साथ बिताने की वजह से स्मिता भी बाद में उन्हें पसंद करने लगी थीं। वहीं राज पहले से शादीशुदा थे और दो बच्चों के पिता थे, लेकिन इसके बावजूद खुद को स्मिता से प्यार करने से रोक नहीं पाए। दोनों का रिश्ता इस कदर परवान चढ़ गया था कि वो शादी भी करना चाहते थे। इस पर कुछ लोगों ने स्मिता को घर तोड़ने वाली औरत भी कहा था, लेकिन राज ने एक इंटरव्यू में कहा था- मेरे और पत्नी नादिरा के रिश्ते में दूरी आने की वजह स्मिता नहीं हैं।
पहली पत्नी नादिरा को तलाक दिए बिना ही राज ने स्मिता से शादी कर ली थी। इसके बाद 1986 में स्मिता ने बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया था, लेकिन प्रतीक के जन्म के समय उन्हें कुछ कॉम्प्लिकेशन्स हो गईं। बेटे के जन्म के 15 दिन बाद ही उनका निधन हो गया। इस तरह राज से स्मिता हमेशा के लिए दूर हो गईं। उनके यूं चले जाने से राज पूरी तरह से टूट गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने जैसे-तैसे खुद को संभाला। फिर अपनी पहली बीवी नादिरा के पास लौट आए। नादिरा ने भी राज को फिर अपना लिया।