प्रदेश कांग्रेस सचिव और हिंदीभाषी विकास परिषद के सदस्य नवलकिशोर मोर ने राज्य सरकार पर हिंदीभाषियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए परिषद से इस्तीफा दे दिया है। शनिवार की शाम उन्होंने यह घोषणा एक पत्रकार वार्ता में की। मोर ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष परशुराम दुबे के निधन के एक साल बाद भी अभी तक हिंदीभाषी विकास परिषद का कोई अध्यक्ष नहीं बनाया गया। इसी से पता चलता है कि सरकार हिंदीभाषियों की उपेक्षा करती है।
हाल ही में घटी कई घटनाओं के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदीभाषी विकास परिषद दरअसल कागज पर ही है। कोई ठोस काम होता नहीं दिखाई दे रहा है। जो कुछ भी नजर आता है वह बयानों तक ही सीमित है। व्यवहार में कोई कार्य नहीं हो रहा। मोर का कहना था कि और कुछ नहीं तो जिस समय लाखों हिंदीभाषी एनआरसी से बाहर हो चुके थे, हिंदीभाषी विकास परिषद के माध्यम से कहीं असरदार आवाज बुलंद की जा सकती थी।