निकाय आरक्षण पर मांगी गई ज्यादातर आपत्तियां खारिज होने वाली है। दरअसल, प्रत्याशियों की तरफ से जो आपत्ति लगाई गई है, उसमें बताया गया कि मौजूदा समय वार्ड के अंदर किस जाति के वोटर ज्यादा है। उसके हिसाब से आरक्षण होना चाहिए। जबकि आरक्षण व्यवस्था को आबादी के हिसाब से रखा गया है।
इसमें भी यह आरक्षण साल 2011 की आबादी के हिसाब से है। पिछले 11 साल से जनगणना नहीं होने की वजह से सबसे लेटेस्ट जनगणना के हिसाब से आरक्षण तैयार किया गया है। यह पहली होगा कि एक जनगणना से यूपी में बार आरक्षण व्यवस्था से लागू किया गया है।
लखनऊ में हर बार 99 फीसदी तक आपत्तियां खारिज होते आई है। साल 2017 के चुनाव में केवल दो वार्ड में आरक्षण व्यवस्था बदली है। इस बार भी अधिकतम एक से दो वार्ड में ही बदलाव होगा।
इस बार नगर विकास विभाग ने आपत्तियों को लेकर विशेष तैयारी की है। इसमें सभी आपत्तियों को शासन के अनुभाग एक में रजिस्टर पर चढ़ाया गया है। उसके अलावा जिलेवार इसका सत्यापन कराया जा रहा है। उसके लिए रजिस्ट्रर बनाया गया है। आरक्षण की अधिसूचना एक व दो दिसंबर को जारी हुआ है। इसमें पहले दिन 48 जिलों और दूसरे दिन 27 जिलों का आरक्षण जारी किया गया है।
उसके बाद आरक्षण पर सात दिनों में आपत्तियां मांगी गई थीं। अब 8 दिसंबर को इसकी अवधि समाप्त हो चुकी है। मेयर और अध्यक्षों के आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना 5 दिसंबर को जारी की गई है। इस पर 12 दिसंबर तक आपत्तियां ली जाएंगी।
नगर विकास विभाग को जो भी आपत्तियां मिली हैं उसका सत्यापन कराया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि नियमत: आपत्तियां कितनी सही हैं। गलत आपत्तियों को खारिज कर दिया जाएगा और सही आपत्तियों पर जरूरत के आधार पर संशोधन किया जाएगा।