रूस ने कुछ चुनिंदा समूह के लोगों को सेना में काम करने को कहा है। ये लोग रूसी सेना के आरक्षित सैन्यबलों के लोग हैं जो पहले भी रूसी सेना के लिए काम कर चुके हैं।
रूस के कब्जे में आए यूक्रेन के चार क्षेत्रों में शुक्रवार को जनमत संग्रह शुरू हो गया। लुहांस्क, जापोरिजिया, दोनेत्स्क और खेरसॉन क्षेत्र में मतदान हो रहा है। इन क्षेत्रों पर रूस का कब्जा है। जनमत संग्रह से यह निर्धारित होगा कि ये क्षेत्र रूस का अभिन्न हिस्सा बनेंगे अथवा नहीं। रूस से जुड़े अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के क्षेत्रों में 23 सितंबर से 26 सितंबर तक यानी पांच दिन मतदान चलेगा। अधिकारियों ने बताया कि जनमत संग्रह के पहले चार दिन चुनाव अधिकारी लोगों के घरों पर मतपत्र लेकर जाएंगे और रिहायशी इमारतों के नजदीक हर अस्थायी मतदान स्थल बनाएंगे। यह निर्धारित करने के लिए मतदान हो रहा है कि लोग इन क्षेत्रों को रूस में शामिल किए जाने की इच्छा रखते हैं अथवा नहीं और माना जा रहा है कि परिणाम रूस के पक्ष में रहेंगे।
भावुक करने वाली तस्वीरों की आई बाढ़ मतदान के बीच रूस के सोशल मीडिया मंच पर भावुक कर देने वाली तस्वीरों की बाढ़ आ गई। इन तस्वीरों में लोग सैन्य केन्द्रों के लिए रवाना होने वाले अपनों को गले लगाकर उन्हें विदाई देते नजर आए। देश के लगभग सभी शहरों से पुरुष रवाना होने से पहले भावुक हुए अपने परिजनों से गले मिलते और उन्हें सांत्वना देते नजर आए।
सामूहिक कब्र से 436 शव निकाले यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि पूर्वी शहर इजियम में एक सामूहिक कब्र को खोद कर 436 शव निकाले गए हैं। इनमें से 30 शवों पर प्रताड़ित किए जाने के निशान हैं। इस महीने यूक्रेनी सैनिकों द्वारा वापस अपने नियंत्रण में लिए गए इलाकों में तीन और सामूहिक कब्र का पता लगा।
युद्ध अपराध के सबूत मिले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन में युद्ध अपराध होने के सबूत मिले हैं। विशेषज्ञों को यूक्रेन में मानवाधिकारों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए नियुक्त किया गया था। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त जांच आयोग के विशेषज्ञों ने अपनी पड़ताल में अभी तक चार क्षेत्रों- कीव, चेर्निहीव, खारकीव और सुमी पर ध्यान केंद्रित किया है।
पुतिन ने पश्चिमी देशों को कड़ी चेतावनी देने के साथ नागरिकों से जंग के लिए तैयार रहने को कहा था। इससे ये साफ है कि युद्ध अभी खत्म नहीं होने वाला। पुतिन का ये फैसला दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
यूक्रेन से युद्ध लंबा खींचने की दशा में चोटिल अर्थव्यवस्था को उबरने में वक्त लगेगा। फरवरी में दोनों देशों के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद दुनिया का विकास प्रभावित हुआ है। जरूरी सामान के साथ ऊर्जा की कीमतें बढ़ी हैं। पुतिन के हालिया ऐलान के बाद तेल की कीमतों में भी 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इससे रूस और यूरोपीय देशों में तनातनी बढ़ सकती है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) का कहना है कि दो देशों के बीच युद्ध एशिया के विकास पर भी असर पड़ रहा है।
भारत इस पर नजर रखे हुए है कि जुलाई में हुई ब्लैक सी सहमति के बाद रूस के इस फैसले का कैसे प्रभाव पड़ता है। अगर रूसी फैसले का सहमति पर असर पड़ता है तो वैश्विक स्तर पर खाद्यानों की कीमतें बढ़ेंगी और भारत में असर देखने को मिल सकता है।
रूस ने कुछ चुनिंदा समूह के लोगों को सेना में काम करने को कहा है। ये लोग रूसी सेना के आरक्षित सैन्यबलों के लोग हैं जो पहले भी रूसी सेना के लिए काम कर चुके हैं। रूस के रक्षामंत्री का कहना है कि पहले चरण में करीब तीन लाख सैनिकों को इस प्रक्रिया के तहत रूसी सेना से जोड़ा गया है।
यूक्रेन की सेना ने उत्तपूर्वी और दक्षिणी के हिस्से को रूस के कब्जे से वापस ले लिया है। रूसी सेना को इस युद्ध में भारी क्षति हुई है। पुतिन ने इसी की भरपाई के लिए आम लोगों से हथियार उठाने का आह्वान किया है। हालांकि इस फैसले से दोनों देशों के बीच संघर्ष और गहराएगा।