रेसेप तैयप एर्दोगन तुर्किए के फिर राष्ट्रपति होंगे। एर्दोगन ने 28 मई को रन-ऑफ राउंड में बाजी मारी। एर्दोगन को कुल 52.1% वोट मिले, वहीं विपक्षी नेता कमाल केलिकदारोग्लू को 47.9 % वोट हासिल हुए।
ये चुनाव जीतने के बाद एर्दोगन 2023 तक राष्ट्रपति रहेंगे। वे 2003 से सत्ता में हैं। तुर्किये में राष्ट्रपति चुनाव के लिए दूसरी बार (रन-ऑफ राउंड) वोटिंग हुई। इससे पहले 14 मई को चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था। एर्दोगन की पार्टी एकेपी को तब 49.4% वोट मिले थे।
वहीं, तुर्किये के गांधी कहे जाने वाले कमाल केलिकदारोग्लू की पार्टी को 45.0% वोट मिले थे। जबकि सत्ता में आने के लिए किसी भी पार्टी को 50% से ज्यादा वोट मिलने चाहिए।
प्रचार के आखिरी चरण में दोनों ही मुख्य पार्टियों ने सीरिया के प्रवासियों को देश से बाहर करने के मुद्दे पर वोटरों को लुभाने की कोशिश की थी। देश में 30 लाख से ज्यादा सीरियाई शरणार्थी हैं।
एर्दोगन तुर्किये की AKP (Adalet ve Kalkınma Partisi) पार्टी के अध्यक्ष हैं। एकेपी का मतलब जस्टिस एंड डेवेलपमेंट पार्टी है। उधर, कमाल Cumhuriyet Halk Partisi (CHP) से मैदान में थे। इसका मतलब रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी है।
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में ऑटोमन एम्पायर की हार हो गई थी। इसके बाद एम्पायर की आर्मी में कमांडर रहे मुस्तफा केमाल अतातुर्क ने तुर्किये की स्थापना 1923 में की थी। उस समय वहां की सोसाइटी कट्टरपंथी थी। इसके बावजूद केमाल ने तुर्किये को एक सेक्युलर देश बनाया।
सालों तक तुर्किये में इस्लामिक ताकतों को इससे परेशानी रही और वो इसका विरोध करते रहे। एर्दोगन खुद 1999 में तुर्किये के सेक्युलर कानूनों का विरोध करने पर जेल गए। इसके ठीक 4 साल बाद 2003 में उन्हें सत्ता मिली। उन्हें दक्षिणपंथी समूहों से खूब समर्थन मिला । नतीजा ये रहा कि लगातार चुनावों में जीत मिली और वो तुर्किये को बनाने वाले नेता कमाल अतातुर्क जितने बड़े नेता बन गए।