चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वो कर्नाटक की 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों को टालने वाली है. सुप्रीम कोर्ट को ये जानकारी कर्नाटक के उन 17 विधायकों की याचिका की सुनवाई के दौरान दी गई जिनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इन विधायकों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया था इसी फैसले के खिलाफ इन विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बता दें कि चुनाव आयोग ने उपचुनावों के लिए नई तारीखों का ऐलान अभी नहीं किया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले में सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी.
21 सितंबर को चुनाव आयोग ने 17 विधानसभा में से 15 सीटों पर उपचुनावों के तारीखों की घोषणा की थी. नई तारीखों के मुताबिक 21 अक्टूबर को मतदान और 24 अक्टूबर को नतीजे आने थे.
बता दें कि इसी साल जुलाई में इन 17 विधायकों की अनुपस्थिति के कारण कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार गिर गई. इसके बाद कर्नाटक के तत्कालीन स्पीकर रमेश कुमार ने विधानसभा से इनकी सदस्यता रद्द कर दी थी और मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म होने तक चुनाव लड़ने से रोक दिया था.
विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद इन विधायकों ने स्पीकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. इन विधायकों ने उपचुनावों के लिए तय तारीख 30 सितंबर से पहले इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की थी.
कोर्ट के फैसले के बाद रद्द हुए विधायक एन मुनिरत्ना ने कहा,
”हम सोमवार से ये केस लड़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे इस केस की तह तक जाना पड़ेगा. ये हो जाने के बाद ही इस केस में कोई फैसला दे सकते हैं, चुनाव आयोग ने कहा चुनाव टाल दिए हैं. हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा.”
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चुनाव आयोग के इस फैसले पर कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने कहा, ”ये देश में लोकतंत्र की बरबादी है. ऐसा पहली बार हुआ है देश में जब चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया है और कोई संवैधानिक संस्था बीच में नहीं आई है. ये संवैधानिक संस्थाओं के लिए शर्म की बात है. सभी संस्थाएं केंद्र सरकार के कंट्रोल में है.”
हालांकि कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया है.