(सौरभ यादव)तिल्दा-नेवरा:- गांव बहेसर में हलषष्ठी के व्रत रहिस हे.जेमा गांव के महाराजा तुकेस्वर मिश्रा अपना वाणी मा दीदी मन ला
हलषष्ठी के व्रत के बारे में बतइस छत्तीसगढ़ म महतारी मन अपन संतान के सुख, शांति, समृद्धि अउ दीर्घायु खातिर हलषष्ठी के व्रत रहिथे. लोक भाषा म हलषष्ठी ल कमरछठ के रूप म जाने जाथे. तिही पाय के कमरछठ व्रत ल पुत्रेष्ठी व्रत घलो केहे जाथे. महतारी मन कमरछठ व्रत ल भादो महीना के कृष्ण पक्ष (अंधियारी पाख) छठ के रखथे.कमरछठ व्रत बर कतनो पौराणिक कथा जुड़े हे. अइसे केहे जाथे कि इही दिन भगवान बलभद्र के जनम होय रिहिसे ओकर शस्त्र के रूप म हल (नांगर) ल मान्यता मिले रिहिसे तिही पाय के कमरछठ ल हलषष्ठी व्रत घलो केहे जाथे. अलग-अलग विद्वान मन के कमरछठ व्रत उपर अलग-अलग मत हे. जनश्रुति के मुताबिक कमरछठ उपास रहिके माता गौरी ह कार्तिकेय ल बेटा के रूप म पाये रिहिसे, ओकर गोसइन के नाम षष्ठी रहिसे तिही पाये के कमरछठ व्रत ल हलषष्ठी व्रत केहे जाथे. अइसनो घलो केहे जाथे कि सतयुग म समू नाम के राजा रिहिस जेकर गोसइन के नाव सुवर्णा रिहिस. उंकर एक झिन हस्ति नाम के बेटा रिहिस जेकर अल्पायु म ही मौत होगे. जेकर सेती राजा रानी मन भारी दुखी होके विलाप करे बर धर लिन. उंकर दुखी पुकार ल सुनके षष्ठी देवी ह प्रगट होके भादो महीना के अंधियारी पाख के छठ के दिन उपास (व्रत) रेहे ले ओकर बेटा ल जीवित करे बर आश्वासन दिस. रानी ह मन लगा के विधि-विधान ले पालन करके कमरछठ उपास रिहिस ताहन ओकर बेटा जीवित होगे.कतनो विद्वान मन के मुताबिक लक्ष्मी जी के उत्पत्ति सागर ले होय रिहिस हे तिही पाये के सगरी पूजा के विधान हे. काबर कि माता गौरी ह कमरछठ उपास ल सागर के किनारा म पूरा करे रिहिसे. इही पाये के पूजा के बखत प्रतीक के रूप म चारो डाहर कांशी ले सगरी ह सजे रथे |मउंहा के फल अउ लाई के संगे संग माटी ले बने लइका मन के खिलौना, भौंरा, बाटी सगरी म चघाथे. ए जघा म शिव अउ पार्वती जी के पूजा करे जाथे तिही पाये के दूध घलो चघाए के परम्परा हे. कमरछठ व्रत बर सिर्फ भइंस के दूध के उपयोग करे जाथे एकर पीछे अइसे मान्यता हे कि इही दिन देवता मन तांत्रिक विधि ले भइंस के उत्पत्ति करे रिहिन हे. इही पाये के भइंस के दूध , दही के उपयोग कमरछठ उपास बर करे जाथेकमरछठ उपास रहवइया महतारी मन ल नांगर (हल) चले भुइयां म चलना अउ ओकर ले पैदा होय कोनो भी किसम के अनाज खाना मना रथे. ए दिन सिर्फ बिना हल चले भुइयां के चांउर जेला हम्मन पचहर चांउर कहिथन अउ छ: किसम के भाजी ल मिलाके ही फरहारी करथे | कमरछठ के दिन महतारी मन सगरी करा सकला के विधि-विधान ले पूजा करथे.
पूजा करके लहुटे के बाद महतारी मन पिंयर पोथी जउन ह कपड़ा के बने रथे, जेला षष्ठी देवी के ध्वज केहे जाथे. इही पोथी ल अपन लइका मन के पीठ म मारथे एकर पीछे ए मान्यता हे कि पीठ म अधर्म के वास रहिथे जउन ह पिंयर ध्वज ले नाश हो जथे. एकर बाद महतारी मन पचहर चाँउर के भात अउ छै किसम लमेरा भाजी ले फरहारी करके हलषष्ठी देवी ले अपन संतान मन बर सुख, समृद्धि के कामना करथे महाराज तुकेस्वर के परकार ह अपन गीत म बहुत बढ़िया वर्णन करिस हे।दीदी वो, दाई वो, बेटी अउ माई वोसुनव सगरी मइया के महिमा हे महानदीदी वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधानदाई वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधान.यपूजा खातिर मंय सगरी कोड़ाये हवंवडबडब ले सगरी म पानी भराये हवंवसगरी मइया के असीस ह मिलत रहयलइका मन के उमर दिनो दिन बढ़त रहयनोनी बाबू ल देवय सगरी मइया बरदानदीदी वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधानदाई वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधानसगरी तीर बइठ गौरी व्रत करे हवयसगरी के चारो मुड़ा कांसी म सजे हवयमाटी के खिलौना सगरी म चघावयगहूं, लाई, उरीद, मूंग, चना ल भावयमहतारी के ममता के करंव परनामदीदी वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधानदाई वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधानपचहर चांउर अउ लमेरा भाजीभइंस के दूध, दही सगरी होवय राजीमऊंहा के पतरी दतुन, मऊंहा के दोनाजीव जन्तु ला, भोग लगाबोन चारो कोनापोथी मार के करबोन संकट के निदानदीदी वो, पूजा करबोन कमरछठ केविधि-विधानदाई वो, पूजा करबोन कमरछठ के विधि-विधान से पूजा करिस।