बिहार की राजनीति से तेजस्वी ‘गायब’, संकट में राजद

पटना, 28 जून | चुनाव में पराजय के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ‘अज्ञातवास’ में चले गए हैं। राजद की हार की समीक्षा बैठक के बाद 29 मई से ही तेजस्वी ‘गायब’ हैं।

तेजस्वी के ‘गायब’ होने के बाद न केवल उनके विरोधी उनपर निशाना साध रहे हैं, बल्कि राजद के नेता और उनके सहयोगी भी इसका जवाब देने में असमर्थ हैं।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आमतौर पर लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय रहने वाले तेजस्वी ने चमकी बुखार से राज्य के उत्तरी हिस्से में 160 बच्चों की मौत के बाद ट्वीटर पर भी संवेदना के दो शब्द नहीं लिख पाए हैं।

तेजस्वी के ट्विटर अकाउंट पर गौर किया जाए तो उनका आखिरी ट्वीट 11 जून का है, जिसमें उन्होंने अपने पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थी।

सवाल उठ रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव विपक्ष की भूमिका क्यों नहीं निभा रहे हैं? मुजफ्फरपुर व इसके आसपास के जिलों में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की चुप्पी लोगों को खल रही है। स्थिति यह है कि पिछले दिनों मुजफ्फरपुर के कई स्थानों पर पोस्टर लगाकर तेजस्वी यादव के बारे में जानकारी देने वाले को 5,100 रुपये इनाम देने की घोषणा की गई थी।

गौरतलब है कि वर्तमान समय में बिहार की राजनीति में तेजस्वी विपक्ष के चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। तेजस्वी यादव को उनके समर्थक बिहार का भावी मुख्यमंत्री कहते हैं।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी सूबे में वह विपक्ष का चेहरा रह चुके हैं। इधर, शुक्रवार को विधानमंडल का मॉनसून सत्र भी प्रारंभ हो गया है। लेकिन तेजस्वी नदारद हैं।

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और तेजस्वी की मां राबड़ी देवी से जब इस संबंध में पूछा गया तो वह भड़क गईं और पत्रकारों से कहा, “तेजस्वी आपके ही घर में हैं।”

परंतु बाद में उन्होंने संभलते हुए कहा, “तेजस्वी जी जल्द ही आएंगे, वह किसी काम में व्यस्त हैं। वह बेकार नहीं बैठे हैं।”

राजद विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि राजद नेतृत्वविहीन नहीं है। राजद में कई नेता हैं। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही तेजस्वी वापस लौटेंगे।

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक सुरेंद्र किशोर कहते हैं, “विपक्ष लोकसभा चुनाव में मिली हार के सदमे से अब तक उबर नहीं पाया है। यह लोकतंत्र की गलत परंपरा है और यह तभी पनपती है, जब राजनीति में या किसी पार्टी में परिवारवाद हावी होता है।”

उन्होंने आगे जोड़ा कि “राजद पूर्णरूप से निजी पार्टी बनकर रह गई है, जिसमें तेजस्वी को नेता चुना गया है। तेजस्वी को किसी बात का डर नहीं है।”

उन्होंने कांग्रेस का उदाहरण देते हुए कहा कि राहुल गांधी आज अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात कह चुके हैं, परंतु उन्हें मनाने का दौर जारी है।

राजद की सहयोगी पार्टी कांग्रेस भी अब तेजस्वी के ‘गायब’ होने पर खुलकर नहीं बोल पा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि तेजस्वी कहां हैं, यह तो उन्हीं से पूछा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब वह आएंगे, आप लोगों को बता देंगे।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा हालांकि विपक्ष पर सवाल उठाए जाने को गलत मानते हैं। मिश्रा कहते हैं, “आजकल किसी भी बात में विपक्ष से सवाल किया जा रहा है। सवाल तो सरकार से पूछे जाने चाहिए थे, जो पूरी तरह एईएस को रोकने में नाकाम रही है।”

उल्लेखनीय है कि तेजस्वी दो जून को उनकी पार्टी की ओर से आयोजित इफ्तार और लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर आयोजित समारोह में भी उपस्थित नहीं हुए थे।

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