रणवीर स‍िंह बने ‘जोरदार’ में जयेश भाई, जानिये पूरी कहानी

रणवीर इससे पहले अलाउद्दीन ख‍िलजी बनकर द‍िलों में दहशत पैदा कर चुके हैं तो अब जयेशभाई जोरदार (Jayeshbhai Jordaar) बनकर अपनी मासूम‍ियत से पर्दे पर द‍िल जीतते नजर आएंगे. यश राज प्रोडक्‍शन (Yash Raj Films) की इस फिल्‍म में लेखक द‍िव्‍यांग ठक्‍कर पहली बार न‍िर्देशक की कुर्सी पर बैठे हैं. अब इस जयेशभाई की कहानी पर्दे पर क‍ितनी जोरदार तरीके से द‍िखाई गई है, चल‍िए बताते हैं.

कहानी की बात करें तो फिल्‍म है गुजरात के एक गांव की जहां शादी के बाद सबसे जरूरी काम है वंश चलाने के लिए नानका यानी लड़का पैदा करना. आलम ये है कि सरपंच (बमन इरानी) के आगे जब एक लड़की लड़कों की छेड़छाड़ की श‍िकायत करती है, तो सरपंच साहब इसके लिए खुशबूदार साबुन को ज‍िम्‍मेदार मानते हैं. पूरा गांव हां में सर भी ह‍िलाता है. इसी सरपंच का बेटा है जयेश भाई (रणवीर स‍िंह) जो ‘असली मर्द बनने के न‍ियमों’ से बिलकुल परे है, पर पिता के आगे बोलने की इसकी ह‍िम्‍मत नहीं. जयेश भाई के पहली लड़की हो चुकी है और 6 बार बेटी की भ्रूण हत्‍या करने के बाद अब उनकी पत्‍नी मुद्रा (शाल‍िनी पांडे) फिर से गर्भवति है. जयेश भाई जानचुके हैं कि उनकी पत्‍नी एक बार फिर बेटी को जन्‍म देने वाली है और बस इसी बेटी की जान बचाने में लगे हैं अपनी जयेश भाई.
सबसे पहले कहानी की बात करें तो ज‍ब इस फिल्‍म का ट्रेलर आया था, तो लगा था ये जोरदार फिल्‍म आने वाली है, मजेदार डायलॉग हैं, कॉमेडी है और रणवीर स‍िंह तो हैं ही. लेकिन द‍िक्‍कत आई जब आप फिल्‍म देखने पहुंचते हैं क्‍योंकि इस फिल्‍म की सारी जरूरी बात तो ट्रेलर में द‍िखाई जा चुकी थी. तो जो बात हम ढाई म‍िनट के ट्रेलर में देख चुके हैं, अब आगे क्‍या. 2 घंटे स‍िनेमाघरों में क्‍या देखें. ट्रेलर देखकर लगा था कि ये फिल्‍म एक नया मर्द द‍िखाएगी, जो रोता है और ज‍िसे दर्द भी होता है. लेकिन ढीली कहानी और घूमते स्‍क्रीनप्‍ले के बीच ये ‘नए टाइप का मर्द’ भी फिल्‍म को अकेले बचा नहीं सकता.

कहानी की असली फील्‍ड‍िंग शुरआत के कुछ सीन्‍स में ही तैयार हो गई थी, लेकिन जबरदस्‍त बिल्‍डअप के बाद आपको बार-बार न‍िराशा ही हाथ लगती है. चेज‍िंग सीक्‍वेंस कहां से कहां जा रहा है, पता ही नहीं चलता. लड़क‍ियों को कोख में ही मारने वाले गांव के बगल में ही दूसरा गांव लड़क‍ियों के साथ सेल्‍फी ख‍िंचा कर इनाम पा रहा है. फिल्‍म में जो भी मजेदार सीन्‍स हैं, या कहें जो पंच हैं, वो ज्‍यादातर ट्रेलर में पहले ही द‍िख गए थे. हां बस क्‍लाइमेंक्‍स में जो ‘पप्‍पी’ के इर्द-ग‍िर्द पूरा खेल खेला गया है, वह नया कहा जा सकता है. फिल्‍म का क्‍लाइमैक्‍स तो मतलब क्‍या ही कहें. हमें पता है कहान‍ियों में कल्‍पना के घोड़े दौड़ते हैं,

‘जयेशभाई जोरदार’ लेखक से न‍िर्देशक बने द‍िव्‍यांग ठक्‍कर की पहली कोशिश है और इस गड़बड़ी का ठीकरा उनपर फोड़ना ही पड़ेगा. कुछ सीक्‍वेंस तो न‍िहायत ही ढ‍िलाई से गढ़े गए हैं जैसे खेत का एक सीक्‍वेंस. ज‍िसमें ब‍िल्‍ली रस्‍ता काटने पर एक प्रेग्‍नेंट लेडी और छोटी बच्‍ची खुले खेतों में इतना दूर भाग गईं कि 10-12 आदमी जो उन्‍हें ढूंढते हुए आए थे, वो उन्‍हें पकड़ ही नहीं पाए. ऐसे सीन्‍स के बाद न आपका व‍िश्‍वास उठ जाता है कहानी से.

इस फिल्‍म को अगर स‍िनेमाघरों में जाकर देखा जा सकता है तो उसकी सबसे बड़ी वजह हैं रणवीर स‍िंह. रणवीर ने अपनी पूरी इमानदारी के साथ अभिनय क‍िया है और एक बार फिर कमाल कर गए हैं. ये मानना बहुत मुश्किल हो जाता है कि ये वही इंसान है जो अलाउद्दीन ख‍िलजी बना था या कपिल देव.. रणवीर अपनी जनरेशन के जबरदस्‍त एक्‍टर हैं. स‍िर्फ रणवीर ही नहीं, बमन ईरानी, शाल‍िनी पांडे और रणवीर की बेटी का किरदार न‍िभाने वाली ज‍िया वैद्य ने बढ़‍िया काम क‍िया है. जयेशभाई जोरदार एक बढ़‍िया मैसेज को द‍िखाने वाली फिल्‍म है, ज‍िसे रणवीर स‍िंह के अभिनय के लिए एक बार तो जरूर देखा जाना चाहिए.