समान नागरिक संहिता के समर्थन में रामदास अठावले ने दिया बयान, कहा- संसद में पेश किए जाने पर उनकी पार्टी करेगी पूर्ण सहयोग

समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को कहा कि संसद में इसे पेश किए जाने पर उनकी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआइ) इसका समर्थन करेगी।

अठावले ने कहा कि मुझे लगता है कि एक मांग है कि देश में एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए और सभी के लिए एक समान कानून होना चाहिए। मुझे लगता है कि संसद को यह तय करने का अधिकार है कि क्या कानून बनाया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में, कुछ लोग इस कानून का विरोध भी करेंगे और कुछ लोग इसका समर्थन करेंगे क्योंकि सभी को कानून की समझ नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी संसद में पेश किए जाने पर समान नागरिक संहिता के मसौदे का समर्थन करेगी, उन्होंने कहा कि सरकार जो भी फैसला करेगी, हम उसका समर्थन करेंगे। चूंकि मैं सरकार में हूं इसलिए इसमें सहमति देना हमारी जिम्मेदारी है। सरकार जो भी फैसला ले और इसलिए हमारी पार्टी समान नागरिक संहिता अधिनियम का समर्थन करेगी।

वहीं, समान नागरिक संहिता को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार देते हुए, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने मंगलवार को कानून लाने के लिए बयानबाजी को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों द्वारा महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी ध्यान हटाने की कोशिश बताई। एआईएमपीएलबी ने केंद्र से समान नागरिक संहिता लागू नहीं करने की अपील की है। अठावले की टिप्पणी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित कुछ भाजपा शासित राज्यों द्वारा समान नागरिक संहिता के प्रस्तावित कार्यान्वयन के बीच आई है।

समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को तैयार करने और लागू करने का एक प्रस्ताव है। जो सभी नागरिकों पर समान रूप से उनके धर्म और लिंग की परवाह किए बिना लागू होता है। वर्तमान में, विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानून उनके धार्मिक ग्रंथों द्वारा शासित होते हैं। यह संहिता संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत आती है, जो यह बताती है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।