24 फरवरी 2023, शुक्रवार की शाम प्रयागराज में दिनदहाड़े बम और गोलियां चलीं। 4-5 हमलावरों ने बसपा विधायक रहे राजू पाल हत्याकांड के आखिरी गवाह उमेश पाल की हत्या कर दी। हमले में गनर की भी मौत हो गई। हत्या के बाद उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने चीखते हुए कहा, “मेरे पति की हत्या जेल में बंद माफिया अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन और उसके दोनों बेटों ने करवाई है।”
जया पाल ने इन सभी के खिलाफ केस दर्ज कराया। यूपी पुलिस की 10 टीमें एक्टिव हो गईं। तत्काल कार्रवाई करते हुए अतीक के दो बेटों समेत कुल 9 लोगों को हिरासत में लिया गया है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन से पूछताछ की गई है। एक तांगेवाले का बेटा अतीक इतना बड़ा डॉन कैसे बना? हजारों करोड़ की संपत्ति कहां से आई? गुजरात की जेल में बंद होते हुए वो यूपी में मर्डर कैसे करा सकता है? अतीक अहमद और उसका राजू पाल हत्याकांड से क्या कनेक्शन है? अब आखिरी गवाह उमेश पाल की हत्या से उसका क्या कनेक्शन है?70 के दशक का आखिरी साल चल रहा था। तब के इलाहाबाद और अब के प्रयागराज में नए कॉलेज बन रहे थे। नए-नए उद्योग लग रहे थे। अलग-अलग विभागों के सरकारी ठेके बंट रहे थे। नए लड़कों में अमीर बनने का चस्का लगने लगा था। पैसा कमाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे। उन दिनों शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। तभी चकिया मोहल्ले के एक नए लड़के का नाम सुर्खियों में आया। नाम था अतीक अहमद। फिरोज तांगे वाले का लड़का।
साल 1979 में 17 साल का अतीक 10वीं कक्षा में फेल हो गया। लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा। उसी वक्त उस पर एक हत्या का केस दर्ज हुआ। इसके बाद उसका धंधा चल निकला। खौफ बढ़ने लगा। उसे बड़े-बड़े सरकारी ठेके मिलने लगे और वो जमकर पैसा कमाने लगा। अपराध की दुनिया में उसका नाम बड़ा होता गया। बाहुबली चांद बाबा के विरोधी और पुलिस उसे शह देने लगी।7 सालों में अतीक चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक हो गया था। लूट, अपहरण और हत्या जैसी खौफनाक वारदातों को लगातार अंजाम दे रहा था। जिस पुलिस ने उसे शह दे रखी थी, अब वही दिन-रात उसे तलाशने में जुट गई। एक दिन अतीक पुलिस के हत्थे चढ़ गया। लोगों को लगा कि अब अतीक का काम खत्म हो गया। उन दिनों प्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी और केंद्र में राजीव गांधी की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “अतीक की गिरफ्तारी के बाद उसे छुड़ाने के लिए दिल्ली से फोन आया था। माफियागिरी के 7 सालों में प्रयागराज के कांग्रेस सांसद से उसके अच्छे संबंध बन चुके थे।
अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनने के बाद अब अतीक बड़ा नेता बनना चाहता था। साल 1989 में उसने शहर की पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। चुनावी मैदान में सामने था चांद बाबा। चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान अतीक और चांद बाबा के बीच कई बार गैंगवार हुआ। अतीक अपनी दहशत के चलते चुनाव जीत गया। कुछ महीनों बाद बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या हो गई। अब पूरे पूर्वांचल में उसकी दहशत थी।
कई खौफनाक वारदातों के बाद अतीक का खौफ इतना ज्यादा बढ़ गया कि इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था। पार्टियां टिकट देती भी थीं तो नेता लौटा दिया करते थे। साल 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1995 में लखनऊ के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी अतीक का नाम सामने आया। साल 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बना। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और हार गया। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से 5वीं बार विधायक बना।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, “अतीक को लग्जरी गाड़ियां रखने का शौक था। उसके काफिले में दर्जनों विदेशी लग्जरी गाड़ियां शामिल होती थीं। उसके मोहल्ले चकिया के पुराने लोग बताते हैं कि अतीक को महंगे और नई तकनीक से लैस हथियार रखने का भी शौक था। धीरे-धीरे विधायक अतीक का नाम प्रयागराज के सांसद से भी बड़ा हो गया था।
साल 2002 में अतीक पर नस्सन की हत्या का आरोप लगा। साल 2003 में यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी। अतीक वापस सपा में शामिल हो गया। साल 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी भाजपा नेता अशरफ की हत्या हुई। इस हत्या में भी अतीक का नाम आया। मुकदमा दर्ज हुआ। लगातार हमले में नाम आने के बाद अतीक अब डॉन के नाम से जाना जाने लगा था।
साल 2004 में देश में लोकसभा के चुनाव हुए। प्रयागराज की पश्चिम सीट के विधायक अतीक अहमद फूलपुर लोकसभा से ही सांसदी का चुनाव जीत गया। शहर पश्चिमी विधायक की कुर्सी खाली हो गई। अब अतीक अपने छोटे भाई अशरफ को वहां से विधायक बनाना चाहता था। उपचुनाव की तारीख आई, तो अतीक के खास रहे राजू पाल ने भी बसपा के टिकट पर विधायकी लड़ने का ऐलान कर दिया।
2004 के अक्टूबर महीने में अतीक को बड़ा सियासी झटका लगा। राजू पाल ने अशरफ को हरा दिया। इसी जीत के साथ राजू पाल अतीक का दुश्मन बन गया। विधायक बनने के 3 महीने बाद 15 जनवरी 2005 में राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली। शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 में राजू पाल की हत्या कर दी गई।5 जनवरी 2005 को विधायक बन चुके राजू पाल एसआरएन हॉस्पिटल से निकले। उनके साथ में दो गाड़ियां चल रही थीं। क्वालिस और स्कॉर्पियो। राजू पाल काफिले की क्वालिस खुद चला रहे थे। बगल वाली सीट पर रुखसाना को बैठाया था। रुखसाना राजू के दोस्त की पत्नी थी जो रास्ते में मिल गई थीं। काफिला जीटी रोड पर था तभी बगल से तेज रफ्तार स्कॉर्पियो राजू पाल की गाड़ी को ओवरटेक करते हुए आगे आ गई।
राजू कुछ समझ पाते इसके पहले ही एक गोली सामने का शीशा चीरते हुए उनके सीने में घुस गई। गाड़ी धीमी हुई। स्कॉर्पियो से 5 हमलावर उतरे। तीन ने राजू पाल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। बाकी दो हमलावरों ने पीछे चल रही गाड़ियों पर गोलियां बरसाईं। हमले में राजू पाल और उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम में डॉक्टरों ने राजू के सीने से 19 गोलियां निकाली थीं।
राजू पाल की हत्या के बाद उस वक्त के सपा सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, फरहान, रंजीत पाल, आबिद, गुफरान के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया। मामले की जांच शुरू कर दी। राजू की हत्या के बाद उपचुनाव में अतीक का भाई विधायक बन गया। फिर साल 2007 और 2012 में उसी सीट से राजू की पत्नी पूजा ने चुनाव जीता। हालांकि 2017 में वो चुनाव हार गईं।
पूजा पाल साल 2022 में सपा की टिकट पर कौशांबी की चायल सीट से फिर विधायक बन गईं। राजू के पक्ष में मुकदमा लड़ते हुए साल 2020 में पूजा ने सीक्रेट तौर पर बृजेश वर्मा नाम के शख्स से शादी कर ली थी। 17 साल बाद भी राजू पाल हत्याकांड पर फैसला नहीं आया है। अब उसके आखिरी गवाह रहे पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल की भी हत्या कर दी गई है।
अब तक अतीक अहमद पर दर्जन भर से ज्यादा लूट, अपहरण और हत्या के मामले दर्ज हो चुके थे। 6 से ज्यादा मामले गैंगस्टर एक्ट के थे। राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक के बुरे दिन शुरू हो गए। अब डॉन अतीक के पतन की कहानी पर चलते हैं।
साल 2005 में विधायक राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद का बुरा वक्त शुरू हो गया। साल 2007 में यूपी की सत्ता बदली। मायावती सूबे की मुखिया बन गईं। सत्ता जाते ही सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। CM बनते ही मायावती ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया। 20 हजार का इनाम रख कर अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित किया गया।
अतीक की करोड़ों की संपत्ति सीज कर दी गई। ईमारतें गिरा दी गईं। खास प्रोजेक्ट अलीना सिटी को अवैध घोषित करते हुए ध्वस्त कर दिया गया। मायावती सरकार में अतीक पर एक ही दिन में 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए गए। उसके पूरे गैंग का चार्टर तैयार हुआ। पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में गैंग का नाम आईएस (इंटर स्टेट) 227 लिखा। उस वक्त अतीक की गैंग में 120 से ज्यादा सदस्य थे। इन दिनों सांसद रहते हुए अतीक फरार रहा।
अतीक फरार था। उसको पकड़ने के लिए पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया। एक दिन दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया, “हमने अतीक को गिरफ्तार कर लिया है। वह दिल्ली के पीतमपुरा के एक अपार्टमेंट में मौजूद था। यूपी पुलिस अतीक को अपने साथ ले गई और उसे जेल में बंद कर दिया गया। साल 2012 में यूपी विधानसभा चुनाव हुए। अतीक ने जेल के अंदर से पर्चा भरा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई। हाईकोर्ट के 10 जजों ने इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। एक जज सुनवाई के लिए राजी हुए। अतीक को जमानत मिल गई। इस बार अतीक खुद राजू पाल की पत्नी के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन फिर जीत नहीं पाया। हालांकि राज्य में सपा सरकार बन गई। अतीक ने फिर अपनी हनक बनाने की कोशिश की। इसी बीच उस पर इलाहाबाद के कसारी-मसारी इलाके में कब्रिस्तान की जमीन कब्जाने का आरोप लगा।
पूजा पाल से चुनाव हारने के बाद अतीक सपा के टिकट पर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा। हार गया। दिसंबर 2016 में मुलायम सिंह ने अतीक को कानपुर कैंट से टिकट दिया। 14 दिसंबर को अतीक और उसके 60 समर्थकों पर इलाहाबाद के शियाट्स कॉलेज में तोड़फोड़ और मारपीट का आरोप लगा। अतीक एक निलंबित छात्र की पैरवी करने कॉलेज गया था। उसने कॉलेज के अधिकारियों को भी धमकाया। वीडियो वायरल हो गया।
ये मामला चल ही रहा था कि 22 दिसंबर को अतीक 500 गाड़ियों के काफिले के साथ कानपुर पहुंचा। खुद ‘हमर’ पर सवार था। हमर कार, जिसकी कीमत उस समय 8 करोड़ बताई गई थी। उस वक्त अतीक का ये काफिला सुर्खियां बना था। इसी बीच पार्टी का अध्यक्ष अखिलेश यादव बने। अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। शियाट्स कॉलेज मामले में हाईकोर्ट ने अतीक को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए। फरवरी 2017 में अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। हाईकोर्ट ने सारे मामलों में उसकी जमानत कैंसिल कर दी। इसके बाद से अब तक अतीक जेल में ही है।
साल 2017 में यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ बने। फूलपुर सीट से सांसद रहे केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम बनें। उन्हें फूलपुर की सीट छोड़नी पड़ी। सीट पर उपचुनाव की घोषणा हुई। जेल में बैठे अतीक अहमद ने निर्दलीय चुनाव का फॉर्म भर दिया। हालांकि फिर से हार मिली। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में जेल से ही वाराणसी सीट पर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस बार फिर जमानत जब्त हो गई।
योगी के CM बनते ही मारियाडीह डबल मर्डर की जांच शुरू हुई। पुलिस ने अतीक और उसके भाई समेत अन्य लोगों को हत्या का आरोपी बनाया। दरअसल, 25 सितंबर 2015 को आबिद प्रधान की चचेरी बहन अल्कमा और ड्राइवर सुरजीत की गाड़ी पर गोली बरसाई गई थीं। उनकी हत्या कर दी गई थी। कम्मू और जाबिर नाम के दो भाइयों पर आरोप लगा। दोनों अतीक के साथ काम करते थे।
इसके बाद से लेकर अब तक अतीक की 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है। अवैध संपत्तियों पर लगातार कार्रवाई जारी है। अतीक का भाई अशरफ भी मरियाडीह डबल मर्डर मामले में जेल में बंद है। अतीक के 4 बेटे हैं। दो नाबालिग हैं। 2 पर रंगदारी वसूलने और किडनैपिंग के मुकदमे चल रहे हैं। इन 2 में से 1 जेल में बंद है।
अतीक के बड़े बेटे उमर ने 26 दिसंबर 2018 को अपने पिता के कारोबारी दोस्त रहे मोहित जायसवाल को किडनैप किया। देवरिया जेल ले जाकर उसकी पिटाई की। कोरे कागज पर दस्तखत कराए। पूरी घटना का वीडियो बनाकर वायरल किया गया, ताकि दहशत बनी रहे। उस वक्त उमर के साथ 20 गुर्गे थे। मोहित जायसवाल ने अतीक समेत उसके बेटों पर FIR दर्ज कराई थी। सरकार ने उमर पर 2 लाख का इनाम रखा। कुछ दिन बाद उमर ने सरेंडर कर दिया। अतीक के दूसरे बेटे अली पर भी एक प्रॉपर्टी डीलर से 5 करोड़ की रंगदारी मांगने और हत्या की कोशिश के मुकदमे दर्ज हैं। अली जमानत पर बाहर है।
जेल में रहते हुए भी अतीक वारदातों को अंजाम दे रहा था। लगातार मुकदमे दर्ज हो रहे थे। बाहर उसके बेटों के साथ पूरा गैंग एक्टिव था। 23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि अतीक को यूपी से बाहर किसी जेल में शिफ्ट किया जाए। इसके बाद यूपी सरकार ने 3 जून 2019 को उसे अहमदाबाद की साबरमती जेल में शिफ्ट कराया।
अतीक के खिलाफ अब तक करीब ढाई सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें मायावती सरकार में एक ही दिन में दर्ज किए गए 100 से ज्यादा मुकदमे भी शामिल हैं। बाद में इन्हें हाईकोर्ट के आदेश पर स्पंज कर दिया गया था। बड़ी संख्या में उसके मुकदमे वापस लिए जा चुके हैं, जबकि सबूतों और गवाहों के अभाव में तमाम मुकदमों में वह बरी हो चुका है
मौजूदा समय में भी अतीक के खिलाफ 53 मुकदमे एक्टिव हैं। इनमें 42 मुकदमे कोर्ट में पेंडिंग हैं, जबकि 11 मामलों में अभी जांच पूरी नहीं हो सकी है। अतीक अहमद के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, प्रयागराज ही नहीं बल्कि बिहार राज्य में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हैं। अतीक के खिलाफ 17 धारा 302, 12 गैंगस्टर एक्ट, 8 आर्म्स एक्ट और 4 गुंडा एक्ट के मामले में दर्ज हैं।