महात्मा गांधी और वीर सावरकर से जुड़ी टिप्पणी को लेकर रक्षा मंत्री और भाजपा नेता राजनाथ सिंह बुधवार को विपक्षी नेताओं के निशाने पर आ गए। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि राजनाथ सिंह ‘इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं।’ सिंह ने मंगलवार को कहा था कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजी शासन को दया याचिकाएं दी थीं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महात्मा गांधी द्वारा 25 जून, 1920 को सावरकर के भाई को एक मामले में लिखे गए पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा की और आरोप लगाया कि राजनाथ सिंह गांधी द्वारा लिखी गई बात को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं। रमेश ने कहा, ‘राजनाथ सिंह मोदी सरकार की कुछ गंभीर और शालीन लोगों में से एक हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि वह भी इतिहास को दोबारा लिखने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आदत से मुक्त नहीं हो पाए हैं। महात्मा गांधी ने 25 जनवरी, 1920 को जो लिखा था, उन्होंने उसे अलग तरह से पेश किया है।’ओवैसी ने भी कहा कि सावरकर ने पहली दया याचिका 1911 में जेल जाने के छह महीने बाद दी थी। उस समय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे। इसके बाद सावरकर ने 1913-14 में दया याचिका दी।
जदयू भाजपा की सहयोगी जद (यू) के नेता केसी त्यागी ने कहा कि गांधी और सावरकर के बीच आदान-प्रदान किए गए पत्रों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि सावरकर कई वषरें तक जेल में रहे। लेकिन यह भी सच है कि उन्होंन माफी मांगी और ब्रिटिश शासन के साथ समझौते के बाद बनी सहमति से वह छूटे।’
सिन्हासावरकर का बचाव करते हुए भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस सावरकर का विरोध करती है जो अंग्रेजों के शासन के साथ कभी नहीं जुड़े और मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान का उदाहरण प्रस्तुत किया। बहरहाल, कुछ लोग माउंटबेटन के घर पर नियमित रूप से रात्रिभोज करते थे।’भाजपा के आइटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने सावरकर के बारे में गांधी की एक टिप्पणी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘वह बहुत समझदार हैं। वह बहादुर हैं, वह देशभक्त हैं। मौजूदा सरकार में निहित बुराई को उन्होंने मुझसे पहले देख लिया था। वह भारत से बहुत प्रेम करने के कारण अंडमान में हैं। वह सरकार में वह बड़े पद पर आसीन रहे होते।’सावरकर पर शिवसेना भाजपा के साथ महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि वीर सावरकर ने कभी भी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। उन्होंने पुणे में कहा कि जेल में सजा काटने के दौरान एक अलग रणनीति अपनाई जाती है
रंजीत सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने सभी राजनीतिक कैदियों के लिए आम माफी मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि स्वतंत्रता सेनानी ने अंग्रेजों से माफी मांगी होती तो उन्हें कोई न कोई पद दिया जाता।