राजेंद्र नाथ। एक ऐसे बॉलीवुड स्टार जो अपनी जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग के चलते मशहूर थे। 60-70 के दशक की फिल्में इनकी कॉमेडी के बिना अधूरी मानी जाती थीं। ये वो समय था जब महमूद और जॉनी वॉकर जैसे कॉमेडियन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना चुके थे, लेकिन इसके बावजूद राजेंद्र नाथ पॉपुलर हो गए।
यही वजह थी कि इन्होंने तकरीबन 187 फिल्मों में काम किया, लेकिन इतनी सफलता उन्हें आसानी से नहीं मिली। शुरुआत में छोटे-छोटे रोल में किसी ने उन्हें नोटिस नहीं किया। ‘दिल देके देखो’ से उन्हें पहली बार सक्सेस मिली, जिसके लिए उन्हें दस साल तक इंतजार करना पड़ा। राजेंद्र नाथ की पर्सनल लाइफ बेहद उतार-चढ़ाव भरी रही।
कभी बड़े भाई प्रेम नाथ ने घर से निकाल दिया, तो कभी कुछ गलत फैसलों के चलते उन्हें कंगाली में दिन काटने पड़े। बाद में एक्सीडेंट से काम मिलना पूरी तरह बंद हो गया।
राजेंद्र नाथ का जन्म 8 जून, 1931 को टीकमगढ़, मध्यप्रदेश में हुआ था। उनकी फैमिली मूलतः पेशावर, पाकिस्तान से थी, लेकिन भारत-पाक विभाजन के बाद जबलपुर में आकर बस गई। राजेंद्र नाथ की स्कूलिंग दरबार कॉलेज, रीवा में हुई। कांग्रेस लीडर रहे अर्जुन सिंह उनके क्लासमेट थे।
पिता राजेंद्र नाथ को डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन राजेंद्र नाथ को पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी। वो अपने भाई प्रेम नाथ की तरह फिल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाना चाहते थे। प्रेम नाथ बॉम्बे जा चुके थे और उनकी देखा-देखी पहले भाई नरेंद्र और फिर राजेंद्र नाथ ने भी 1949 के आसपास बॉम्बे का रुख कर लिया।
यहां उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लेकर आगे की पढ़ाई की। इसी दौरान वो पृथ्वी थिएटर से भी जुड़ गए और छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करने लगे। मुंबई में वो अपने भाई प्रेम नाथ के घर में रहा करते थे। प्रेम नाथ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनकी बहन कृष्णा से शादी के बाद राज कपूर ने प्रेम नाथ को फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए मुंबई बुलाया था। उनके कहने पर प्रेम नाथ ने फिल्मों में किस्मत आजमाई और उनका करियर चल निकला। इसी दौरान उन्होंने एक्ट्रेस बीना राय से शादी कर अपना घर बसा लिया।
राजेंद्र नाथ पृथ्वी थिएटर में होने वाले प्ले में काम करके खुश थे, लेकिन इसी दौरान वो थोड़े लापरवाह हो गए थे। उनके बड़े भाई प्रेम नाथ को उनकी लापरवाही बिल्कुल पसंद नहीं थी। इसी वजह से एक दिन उनको राजेंद्र नाथ पर गुस्सा आ गया और उन्होंने उन्हें घर से निकाल दिया।
अपने घर से निकालकर प्रेम नाथ ने अपने दूसरे घर में राजेंद्र नाथ के रहने का इंतजाम तो कर दिया, लेकिन रोजमर्रा के खर्चे चलाना उनके लिए मुश्किल हो गया। तब करण जौहर के पिता यश जौहर उनके रूममेट हुआ करते थे।
एक इंटरव्यू में राजेंद्र नाथ ने कहा था, ‘मेरे पास एक पुराना स्कूटर हुआ करता था जिसमें पेट्रोल भरवाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं होते थे। खाने के लिए हम दोस्तों पर निर्भर रहते थे, लेकिन ऐसा कब तक चलता? हमेशा मेरे मन में यही सवाल रहता था। मुझे अपने करियर के प्रति सीरियस होना ही था। मेरे भाई ने जो भी किया था वो मेरे भले के लिए ही किया था। ‘
फिर राजेंद्र नाथ अपने करियर को लेकर सीरियस हो गए और फिल्मों में काम ढूंढने लगे। शुरुआत में उन्हें चंद सेकेंड के रोल्स मिले और वो कोई खास पहचान नहीं बना पाए और उन्हें तकरीबन दस साल तक स्ट्रगल करना पड़ा।
इसी दौरान प्रेम नाथ ने पीएन प्रोडक्शन के नाम से एक प्रोडक्शन हाउस खोला जहां उन्होंने भाई राजेंद्र को काम दिया। राजेंद्र नाथ ने 1953 में आई फिल्म ‘शगूफा’ और 1954 में रिलीज हुई फिल्म ‘गोलकुंडा का कैदी’ में छोटे-मोटे रोल किए, लेकिन ये दोनों फिल्में फ्लॉप रहीं। इसके बाद उन्होंने ‘हम सब चोर हैं’ में पहली बार कॉमेडी की तो नोटिस किए गए।
राजेंद्र नाथ के लिए 1959 में आई फिल्म ‘दिल देके देखो’ एक उम्मीद की किरण की तरह साबित हुई। इस फिल्म में अपनी जबरदस्त कॉमिक स्टाइल से उन्होंने फिल्ममेकर्स का ध्यान खींच लिया। फिल्म में राजेंद्र नाथ को शशधर मुखर्जी के कहने पर लिया गया था जिसके डायरेक्टर नासिर हुसैन थे।
इस फिल्म में शम्मी कपूर और आशा पारेख लीड रोल में थे। ‘दिल देके देखो’ के बाद राजेंद्र नाथ का करियर चल निकला और इसके बाद 1961 में आई ‘जब प्यार किसी से होता है’ में पोपटलाल का रोल निभाकर राजेंद्र नाथ 60 और 70 के दशक के बेस्ट कॉमेडियन्स की लिस्ट में शामिल हो गए। 1972 तक वो अपने करियर के पीक पर रहे। इस दौरान उन्होंने हर बड़े डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के साथ काम किया।
‘दिल देके देखो’ और ‘जब प्यार किसी से होता है’ के बाद राजेंद्र नाथ को नासिर हुसैन ने ‘फिर वही दिल लाया हूं’, ‘बहारों के सपने’ और ‘प्यार का मौसम’ जैसी कई फिल्मों में कास्ट किया जिसमें उनकी कॉमेडी खूब पसंद की गई।
इस दौर में जॉनी वॉकर के अलावा महमूद भी बेस्ट कॉमेडियन बनने की राह पर थे, लेकिन कॉमेडी के इन दिग्गजों के बीच भी राजेंद्र नाथ को सफलता मिली। मेरे सनम और फिर वही दिल लाया हूं उनकी बतौर कॉमेडियन बेहतरीन फिल्में मानी जाती हैं।
कॉमेडी में तो राजेंद्र नाथ ने झंडे गाड़े ही थे, लेकिन एक फिल्म ऐसी भी थी जिसमें वो विलेन बने थे। ये फिल्म ‘हमराही’ थी जिसमें उनके अपोजिट शशिकला थीं। इसके अलावा उन्होंने ‘वचन’ और ‘तीन बहूरानियां’ जैसी फिल्में कीं जिनमें या तो वो हीरो थे या फिर सेकेंड लीड। वहीं, फिल्म ‘धड़कन’ और ‘जीवन मृत्यु’ जैसी फिल्मों में वो सपोर्टिंग रल में दिखे थे।
मनोज कुमार की चर्चित फिल्म ‘पूरब और पश्चिम में राजेंद्र नाथ का भले ही बहुत बड़ा कॉमिक रोल नहीं था, लेकिन उनकी परफॉर्मेंस काफी सराही गई। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में एक नेपाली फिल्म में भी काम किया था। ये फिल्म ‘मैतीघर’ थी जिसे पहली नेपाली फिल्म माना जाता है। इस तरह राजेंद्र नाथ ने तकरीबन 187 फिल्मों में काम किया था।
‘जब प्यार किसी से होता है’ में पोपटलाल के रोल से राजेंद्र नाथ को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी खूब पॉपुलैरिटी मिली थी। बाद में अपने करियर में राजेंद्र नाथ ने इस किरदार को खूब भुनाया और इसी नाम से स्टेज शोज भी करने लगे।
इसमें वो अपने यूनीक कॉमिक स्टाइल में जोक्स सुनाकर लोगों का मनोरंजन करते थे। वो ये शोज करने यूरोप और अमेरिका भी जाने लगे जिससे उन्हें विदेश में भी पॉपुलैरिटी मिल गई।
1995 से 2006 तक जब उन्होंने टीवी शो हम पांच में काम किया तो यहां भी उनके किरदार का नाम पोपटलाल ही था, जो खूब पसंद किया गया।
राजेंद्र नाथ अपने करियर में नई ऊंचाइयां छू रहे थे। उनकी निजी जिंदगी भी अच्छी चल रही थी। 1969 में उन्होंने गुलशन कृपलानी से शादी कर अपना घर बसा लिया था और दो बच्चों के पिता भी बने। इसके कुछ समय बाद एक कार एक्सीडेंट ने उनके करियर पर ब्रेक लगा दिया।
वो फिल्मों में काम नहीं कर पाए और धीरे-धीरे फिल्ममेकर्स ने भी उन्हें रोल ऑफर करने बंद कर दिए। चार साल तक खराब सेहत से जूझने के बाद राजेंद्र नाथ ने अपने करियर को दोबारा शुरू करने की कोशिशें कीं, लेकिन नाकाम रहे।
बतौर एक्टर कोई काम न मिलता देख 1974 में उन्होंने खुद एक फिल्म बनाने की सोची। फिल्म का नाम ‘ग्रेट क्रैशर’ रखा जिसमें उन्होंने रणधीर कपूर और नीतू सिंह को कास्ट किया, लेकिन ये फिल्म 10 दिनों में ही बंद हो गई।
दरअसल, राजेंद्र नाथ को फिल्ममेकिंग के बारे में कोई नॉलेज नहीं थी इसलिए उन्होंने कास्ट, क्रू को मुंहमांगे पैसे दिए जिससे फिल्म ओवरबजट हो गई। नतीजा ये रहा कि फिल्म बंद करनी पड़ी और राजेंद्र नाथ लाखों के कर्ज में डूब गए।
जिन लोगों से पैसे लेकर राजेंद्र नाथ ने फिल्म बनाने की सोची थी, वो उन पर पैसे वापस करने का दबाव बनाने लगे। इतनी जल्दी पैसा चुकाना राजेंद्र नाथ के लिए नामुमकिन हो गया क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं था। कर्जदारों ने उनसे अपने दिए पैसों का ज्यादा से ज्यादा ब्याज वसूलना शुरू कर दिया। इससे राजेंद्र नाथ की आर्थिक स्थिति औ
इस मुश्किल वक्त में भाई प्रेम नाथ ने उनकी मदद की और उन्हें फिल्मों में काम दिलाया। इसके बाद राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ और फिल्म ‘बीवी ओ बीवी’ में राजेंद्र नाथ अहम रोल में नजर आए। 90 के दशक में आई काजोल की पहली फिल्म बेखुदी में भी उन्होंने काम किया था, लेकिन फिल्म सौदा उनके करियर की आखिरी फिल्म साबित हुई। राजेंद्र नाथ ने टीवी शो ‘हम पांच’ में भी लंबे समय तक काम किया।
बड़े भाई प्रेम नाथ ने राजेंद्र नाथ को काफी सपोर्ट किया था, लेकिन 1991 में उनका निधन हो गया। इससे राजेंद्र नाथ काफी टूट गए। इसके 7 साल बाद उन्हें एक और झटका तब लगा जब भाई नरेंद्र नाथ की भी डेथ हो गई।
निजी जिंदगी से दुखी होकर राजेंद्र नाथ ने एक्टिंग की दुनिया से दूरी बना ली। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में किसी से मिलना-जुलना भी बंद कर दिया और अकेले अपना जीवन बिताने लगे। 2008 में उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया।