एनडीए की बैठक में शामिल होने के बाद सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने गुरुवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। सीएम के सरकारी आवास-5 कालिदास मार्ग पर हुई यह मुलाकात करीब 25 मिनट तक चली। एनडीए में शामिल होने के बाद राजभर की सीएम के साथ यह पहली शिष्टाचार मुलाकात रही है। हालांकि, इस मुलाकात में राजभर ने सीएम को पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के संदर्भ में एक पत्र भी सौंपा।
इससे पहले राजभर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को भी ये पत्र दे चुके हैं। राजभर अब फिर से बीजेपी के साथ हैं। ऐसे में वह अब इस कोशिश में जुटे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाई जाए। इसीलिए पीएम मोदी की रैली आजमगढ़ के लालगंज में कराने की तैयारी है।
राजभर ने सितंबर के आखिरी हफ्ते या फिर अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में इस रैली के लिए पीएम मोदी का समय मांगा है। राजभर की मोदी की रैली आजमगढ़ के लालगंज में कराना चाहते हैं। इसके पीछे बड़ी सियासी वजह है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, जौनपुर, घोसी, गाजीपुर की लोकसभा सीट हार गई थी। यही नहीं, इस बार सुभासपा का 22वां स्थापना दिवस भी मनाने की तैयारी कर रही है।
दरअसल, इन हारी हुई सीटों के लिए बीजेपी मिशन लेवल पर काम कर रही है। अब राजभर के साथ आने से बीजेपी अपने इस अभियान में जोर-शोर से जुट गई है। राजभर का कहना है, “पीएम मोदी कि यह जो रैली होगी। इससे पहले पीएम मोदी की उत्तर प्रदेश में किसी भी रैली में इतनी भीड़ नहीं जुटी होगी जितनी इस प्रस्तावित रैली में उनकी भीड़ जुटाने की तैयारी है।”
ओमप्रकाश राजभर कह रहे हैं कि यह रैली न भूतो न भविष्यति यानी न पहले इतनी भीड़ कभी पीएम मोदी की यूपी की किसी रैली में जुटी होगी और न आगे कहीं जुट पाएगी। जितनी उनकी तैयारी है। राजभर यह भी दावा कर रहे हैं कि पीएम की यह रैली यहां होने के बाद न सिर्फ आजमगढ़, बल्कि लालगंज, अंबेडकरनगर, जौनपुर-घोसी और गाजीपुर लोकसभा सीटों पर भी एनडीए को फायदा होगा। दरअसल, इस इलाके में राजभर वोट बैंक भी अच्छी खासी संख्या में हैं।
हालांकि, इसके पीछे राजभर की यह रणनीति भी है कि सितंबर-अक्टूबर महीने में यूपी में कैबिनेट विस्तार हो, उससे पहले वह पीएम के सामने अपनी ताकत क प्रदर्शन करके कम से कम कैबिनेट में एक बर्थ अपने लिए रिजर्व करा लें। मुख्यमंत्री के साथ हुई इस मुलाकात में राजभर के दोनों बेटे अरविंद और अरुण राजभर भी मौजूद रहे हैं। इसके अलावा, राजभर ने भर और राजभर जाति को हाईकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर जो प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने को कहा है उस पर भी बात की।
2024 की लड़ाई NDA बनाम INDIA होगी। क्योंकि दिल्ली में सत्ता की कुर्सी किसी भी गठबंधन को यूपी से ही मिलती है। लेकिन विपक्ष के INDIA में यूपी कहां है? ये सबसे बड़ा सवाल है। INDIA की अगुआई करने वाली कांग्रेस सबसे बड़े सियासी सूबे में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कांग्रेस यूपी में अस्तिव बचाने की लड़ाई लड़ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर 2.33% तक सिमट चुका है। इतिहास में पहली बार हुआ है, जब यूपी विधानपरिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं है। पार्टी का इस वक्त प्रदेश पर कोई फोकस भी नहीं है।