एक अलग एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं राज बब्बर, शादी और राजनीतिक करियर को लेकर हमेशा रहे चर्चा में

राज बब्बर बॉलीवुड के ऐसे कलाकार रहे हैं, जो अपने अलग अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उनकी गंभीर पर्सनालिटी ही उनके अभिनय की खास पहचान रही है। राज बब्बर ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और लगन से हिंदी सिनेमा में अलग जगह बनाई। 23 जून 1952 को राज बब्बर का जन्म उत्तर प्रदेश के टुंडला में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई आगरा कॉलेज से की थी।

उसके बाद राज बब्बर देश की राजधानी दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहते हुए उनका रुझान रंगमंच की ओर हो गया और उसके बाद साल 1975 में उन्होंने देश के प्रतिष्ठित एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में दाखिला ले लिया। राज बब्बर एनएसडी के एक होशियार छात्र रहे थे। यहां उन्होंने मेथड एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। एनएसडी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली के कई थियेटर ग्रुप से जुड़े।अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने का सपना लिए राज बब्बर मुंबई चले गए। लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने साल 1977 में फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ से से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म सिनेमाघरों में खास कमाल नहीं दिखा सकी लेकिन दर्शकों ने उनके अभिनय को पसंद किया। आगे जाकर राज बब्बर ने निकाह, आज की आवाज, आप तो ऐसे ना थे, कलयुग, हम पांच, दाग, जिद्दी सहित बॉलीवुड की कई शानदार फिल्मों में काम किया। राज बब्बर ने फिल्मों में निगेटिव और पॉजिटिव हर तरह के किरदार निभाए हैं।
फिल्मों के अलावा राज बब्बर अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी सुर्खियों में रहे हैं। कभी अभिनेत्री स्मिता पाटिल से अपने प्रेम-प्रसंग की वजह से चर्चा में रहने वाले राज बब्बर ने दो शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी का नाम नादिरा है। नादिरा से राज बब्बर के दो बच्चे हैं आर्य बब्बर और जूही बब्बर। राज बब्बर ने दूसरी शादी अपनी प्रेमिका स्मिता पाटिल से की लेकिन, यह शादी अधिक दिनों तक टिक नहीं पाई और अपने पहले बच्चे को जन्म देने के कुछ ही घंटों में स्मिता पाटिल की मौत हो गई। स्मिता पाटिल के बेटे अभिनेता प्रतीक बब्बर हैं

फिल्मों के साथ राज बब्बर की राजनीति में भी काफी रूचि रही है। वह काफी समय से राजनीति में सक्रिय है। आज वह अपने बेबाक राय देने वाले नेता माने जाते हैं। गौरतलब है कि राज बब्बर 14वीं लोकसभा चुनाव में वह फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए, लेकिन साल 2006 में समाजवादी पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।