रायपुर : गांव के विज्ञान खिले बर धर लेहे काशी के फूल, बारिश के बुढ़ा होय के देवत हे संकेत, मानसून के बिदा होय के देवत हे सूचना

योगेश वर्मा पत्रकार तिल्दा नेवरा :- खुला आकाश अउ हरा-भरा वादी के बीच जब काशी के फूल खिले ल धर लेथे। तब तो प्रकृति के खूबसूरती अउ बाढ़ जथे। काशी के फूल धान के खेत म अइसे उगथे जइसे मानो धरती माता ल प्रकृति ह सफेद फूल ले सजा देहे। जब काशी के फूल खिलथे त खेत मन मानो अइसे लागथे जइसे प्रकृति ह सफेद चादर ओढ़ लेहे। काशी फूल सादा रंग के होथे। काशी घास के ही एक प्रजाति आय। जेन ह धान के खेत अउ मेड़ पार म उगथे। एकर अलावा एहा नंदिया कछार, नरवा पार, भाठा जमीन मन म घलो उग जथे। ए सफेद काशी फूल के माध्यम ले प्रकृति के वंदना करे जाथे के अब आपो मन अपन आसमान के रंग इही काशी के फूल के तरह सफेद कर लव। काशी फूल के खिलना मतलब येहा बरसात के मौसम के समाप्ति के सूचना आय। यानी अब खेती के काम खतम होगे। अब पूजा के तैयारी करव। अइसन हमर पुरखा मन मानथें। अइसन कहे जाथे के काशी के फूल भादो महीना के अंत म खिलथे। काशी के फूल बरसा आधारित खेती के समाप्ति के सूचना देथें। जुन्ना समय ले ही गांव के लोगन मन ए मान्यता ल मानत घलो हे। काशी के फूल खिले के एक अउ संकेत इहू हे के अब मां दुर्गा के आगमन यानी दुर्गा पूजा आने वाला हे। ए दिनों खेत-खलिहान,नदी,नाला अउ हरा-भरा धरती म सफेद रंग म खिले काशी के फूल अपन खूबसूरती म खूब इतरावत हे।
काशी फूल के हावय औषधीय महत्व
चरक, सुश्रुत आदि प्राचीन आयुर्वेदीय ग्रन्थ मन म घलो काशी के वर्णन मिलथें। काशी के उपयोग प्राचीनकाल ले ही औषधि के रूप म करे जात हे। काशी के आयुर्वेदिक महत्व बताय गेहे। सदियों ले आयुर्वेद म काशी के प्रयोग औषधी के रूप म करे जाथें। जानकार मन के मानिन त काशी म अतका अनगिनत औषधीय गुण होथे के कई प्रकार के बीमारी के इलाज म एकर उपयोग करे जाथें। आयुर्वेद के जानकार मन के मुताबिक काशी के फूल औषधीय महत्व के दृष्टि ले बहुत उपयोगी हे। संगे-संग एकर फूल के रूई ले बने तकिया के प्रयोग करे ले सिर दर्द के घलो निवारण होथे।
बारिश के बिदा होय के देथे संकेत
काशी के जिक्र जुन्ना समय ले होवत आवत हे, लोककथा मन म घलो एकर ऊपर प्रकाश डाले गेहे। भक्त शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ह घलो “रामचरितमानस” म ऋतु वर्णन के क्रम म एक चौपाई म काशी फूल के चर्चा करत लिखे हे के:-
” बरषा बिगत सरद रितु आई।
लछिमन देखहु परम सुहाई।
फूले कास सकल महि छाई।
जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई।। “
यानी भगवान राम काहत हे के:- हे लक्ष्मण देखव बरसा रितु जाने अउ शरद रितु आने वाला हे। काशी के फूल खिल गेहे। जेन ह ए संकेत देवत हे के मानो अब बरसा रितु काशी रूपी सफेद बाल म अपन बुढ़ापा प्रकट करत हे। एकर मतलब हे के यदि काशी के फूल खिले ल धर लेहे त समझ लेना चाही के अब बारिश के बुढ़ापा आ गेहे। यानी के मानसून के विदा होने वाला हे। अउ अब पानी नाममात्र के ही गिरही। इहू समझ लेना चाही के अब शरद रितु आने वाला हे। सामान्यतया अइसन मानें जाथें के काशी के फूल खिले के बाद अच्छा बारिश के उम्मीद नइ राहय। ए मान्यता के जिक्र ग्रंथ मन म घलो मिलथे।