सौरभ यादव – तिल्दा – नेवरा :- समीपस्थ ग्राम निनवा मे रविवार को ग्रामीण महिलाओं द्वारा सौभाग्य, वंश वृद्धि और सन्तान प्राप्ति की कामना को लेकर वट सावित्री का व्रत रखकर धूमधाम के साथ वट वृक्ष के पूजा लिए.. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम के पुरोहित और भागवत आचार्य पंडित नंदकुमार जी शर्मा के सानिध्य मे शर्मा परिवार के महिलाओं और अन्य ग्रामीण महिलाओं के एकत्रित होकर धूम धाम के साथ व्रत पूजन किए.. पूजन के बाद वट सावित्री के संबद्ध मे कथा भी सुनाए.. कथा मे बताया गया कि – भद्र देश के राजा अश्वपति की बेटी का नाम सावित्री था बहुत ही मन्नत माॅ॑गने के बाद सावित्री का जन्म हुआ था ।बचपन में ही नारद मुनि ने राजा अश्वपति को बता दिए थे कि इसका पति अल्पायु है , एक वर्ष का जीवन है, जिसे सावित्री सुन ली थी ।दिन तिथि, समय, सभी पता चलने पर सावित्री चैतन्य हो गई थी ,और व्रत पूजन तपस्या सब उसका शुरू हो गया था , शादी का दिन भी सावित्री का आ गया ,और वह अपने ससुराल चली गई उसके सास-ससुर दृष्टि हीन थे, नियत तिथि दिन जयेष्ठ मास की अमावस्या के दिन आने वाला था ,सावित्री निराहार व्रत रहने लगी और अमावस्या के दिन सत्यवान लकड़ी काटने गया तो वह भी उसके साथ चली गई।”
कुछ देर के बाद सत्यवान के सिर में तेज दर्द होने लगा तो सावित्री कहने लगी , कि तुम मेरी गोद में सो जाओ, तत्पश्चात यमराज आते दिखे, सत्यवान के प्राण लेने के लिए आ गए।और सत्यवान को ले जाने लगे सावित्री भी उसके पीछे-पीछे जाने लगी,…. यमराज बोलने लगे, मेरे पीछे मत आओ मेरे साथ सिर्फ मृत ही आ सकते हैं ।जीवित यमलोक में नहीं जा सकते ,….और सावित्री को मना करने लगे सावित्री के पति प्रेम सतीत्व को देखकर यमराज बोले तुम कोई महान नारी हो ,…मुझसे तीन वरदान मांग सकती हो- “सावित्री बोली मुझे तो आप प्रथम वरदान मेरे सास-ससुर जो दृष्टिहीन है ,उनकी आंखों की रोशनी ज्योति प्रदान कर दीजिए ।फिर सावित्री यमराज के पीछे पीछे जाने लगी, यमराज बोले मेरे पीछे मत आओ खून की नदियां है ,…तुम नहीं जा पाओगी ,फिर भी सावित्री जाने लगी , तो यमराज एवमस्तु बोले फिर दूसरा वरदान अपने सास-ससुर का राज पाठ मांगती है। तीसरा वरदान सौ पुत्रों की माता होने का गौरव और अखंड सौभाग्यवती का वरदान मांगती है। यमराज फिर से एवमस्तू कह देते हैं तो सावित्री बोली मैं पतिव्रता स्त्री और आप मेरे पति को ले जा रहे हैं, तो सौ पुत्रों का वरदान का मैं क्या करूंगी भगवन,, यमराज “सती सावित्री “से हार गए और सत्यवान के प्राण को वापस कर दिए। मृत शरीर में जीवन का संचार हो गया. व्रत पूजन मे विशेष रूप से श्री मति इंद्राणी शर्मा, सीमा शर्मा, संगीता मिश्रा, सुनीता,शुक्ला, दामिनी शर्मा, ममता शर्मा, पूजा, शर्मा, सुनीता साहू, याचना साहू, पद्मिनी वर्मा,कुलेश्वरी साहू और अन्य ग्रामीण महिलाये उपस्थित रहे.