सौरभ यादव -तिल्दा नेवरा :- समीपस्थ ग्राम कुंदरू में एक युवक ने पढ़ाई लिखाई करने के बाद नौकरी की तलाश करता रहा कुछ जगह प्राइवेट नौकरी मिला जिसको सात आठ 10 साल तक किया परंतु किसी दुसरे की नौकरी करना उसे रास ना आया और वह मशरूम की खेती करने अपने गांव चला आया । जिसमें उसका भरण पोषण उसके परिवार का भरण पोषण एवं अच्छा इनकम मिलने लगा एवं अच्छा फायदा मिलने लगा और उसकी आमदनी भी बढ़ गई । समीपस्थ ग्राम कुंदरू निवासी अशोक वर्मा ने एम कॉम तक पढ़ाई की उसके बाद नौकरी की तलाश की कुछ साल तक नौकरी भी नहीं मिला तो उन्होंने मशरूम की खेती 2 वर्ष तक किया परंतु उसमे लाभ नहीं दिखा जिसके कारण उसे बंद कर दिया। शायद उसका अनुभवहीन होने एक कारण उसमें उचित फायदा नजर नहीं आया । फिर वह नौकरी करने चला गया शासकीय नौकरी तो मिली नहीं निजी संस्थान में ही नौकरी करने लगा 7- 8 साल नौकरी किया और नौकरी से भी मन ऊब गया पर उसके बाद भी उसका मन अपनी खुद की निजी व्यवसाय से जुड़ा हुआ कुछ करने का मन लगा हुआ था जिसके कारण वह नौकरी करने के बाद उसका मन दूसरे के यहां नौकरी करने से उठ गया था और मन में यह बात बैठ गया था कि दूसरे की कुछ नौकरी करने के बजाय खुद का कुछ व्यवसाय किया जाए और यही सोचकर वह वापस अपने गांव आ गया परंतु वन में पहले की गई मशरूम की खेती को आगे बढ़ाने की कसक रह गई थी बार-बार उसका ध्यान उसी पर जा रहा था और पुनः मशरूम की खेती करने का मन बना लिया, यहां पर ग्राम कुंदरू में आकर वह उचित स्थान से प्रशिक्षित होने के बाद मशरूम की खेती करने की ठान ली और प्रशिक्षण लेने के पश्चात बीसहजार स्क्वायर फीट मे मशरूम की खेती कर रहा है उस की महीने भर में लगभग डेढ़ क्विंटल मशरूम उत्पादन करने लगा और उसमें लगभग तीस हजार रुपए महीना कमाई होने लगी है और अब वह इतना अनुभवी हो गया है कि एग्रीकल्चर कॉलेज से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए मशरूम की खेती के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए आते हैं तो उस कृषि विभाग के लोग अशोक वर्मा की मशरूम की खेती के बारे में जरूर कहते हैं और लोगों से कहते हैं कि एक बार उसको देखो । अब अशोक वर्मा हर महीना तीन कुंटल मशरूम उत्पादन करने की सोच रहे हैं ।और इसके साथ ही समूह वालों को जाकर भी मशरूम उत्पादन के संबंध में प्रशिक्षण देते हैं । इसके साथ ही वह अपने गांव में ही प्रशिक्षण के लिए सुविधा जुटाकर आने वाले युवकों को ग्राम कुंदरू में ही प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ।आने वाले युवकों को मामूली फीस लेकर ग्राम कुंदरू में ही प्रशिक्षण प्रदान करते हैं । इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पहले वे मशरूम की बीज खरीद कर लाते थे और उसके बाद उसको विभिन्न प्रकार के तकनीकी रूप से उपचार करने के पश्चात उस बीज को लगाकर मशरूम की खेती करते थे । इस प्रकार बाहर बाजार से या कृषि विभाग से मशरूम के बीज को लाकर उत्पादन करना कुछ महंगा पड़ रहा था ।जिसके कारण अब वह अपने केंद्र में ही बीज उत्पादन भी करते हैं और मशरूम की खेती भी करते हैं । जिसमें अच्छी क्वालिटी के मशरूम की पैदावारी करते हैं । वर्तमान में वे मशरूम की सप्लाई रायपुर के अलावा उसके आसपास के कई जिलों में जहां माल है शॉपिंग मॉल है अच्छा बड़ा खुदरा दुकान है वहां पर वह कच्चा मशरूम सब्जी बनाने के लिए सप्लाई करते हैं । कच्चा मशरूम की कीमत लगभग ₹200 किलो बाजार में बिकता है। सूखा मशरूम जिसे ड्राई मशरूम भी कहते हैं उसका कीमत ₹800 किलो बाजार भाव बिकता है। इसके साथ ही मशरूम का अचार भी वे बनाकर बाजार में उतार चुके हैं जिसका अच्छा रिस्पांस लोगों से मिला है । इस तरह मशरूम के द्वारा उत्पादित कच्चा मशरूम को ज्यादा दिन तक खुले में नहीं रखा जा सकता इसके साथ ही उसे फ्रीज में भी ज्यादा दिन तक नहीं रखा जा सकता जिसके कारण अशोक वर्मा को कुछ नुकसान उठाना पड़ता था । इसलिए उन्होंने मशरूम की अचार के बाद साथ ही साथ वे मशरूम को अन्य जड़ी बूटी मिलाकर शक्ति वर्धक स्वास्थ्य वर्धक पाउडर का निर्माण करते हैं जो कि सूखे पाउडर औषधि के रूप में उपलब्ध है । यह पाउडर लंबे समय तक रखने योग्य तथा इसे किसी भी उम्र के लोग इसका विधि अनुसार सेवन कर सकते हैं । उक्त पाउडर को लैब में टेस्ट कराने के बाद मशरूम में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व को निकलवाने पर 70 से 80 उच्च कोटि के प्रोटीन तथा अमीनो अम्ल लाइसेंस व ट्रिप टो पेन जो अन्य वनस्पतिक स्रोतों में उपलब्ध नहीं है वह मशरूम में पाया जाता है ।इसका भी पता चला है इसके साथ ही विटामिन सी और डी के साथ-साथ आयरन सोडियम पोटेशियम फास्फोरस इसमें उपलब्ध है इसके साथ ही यह कम वसा एवं कम कैलोरी का मशरूम है । उत्तम मशरूम में विभिन्न प्रकार औषधीय गुण के कारण उच्च स्तरीय सुपाचक प्रोटीन एवं विटामिन बी कांप्लेक्स ग्रुप में आई मीन ,राइबोफ्लेविन, नियासिन ,फोलिक अम्ल के उपस्थिति के कारण गर्भवती महिलाओं एवं बढ़ते बच्चों के लिए लाभकारी है । वसा की मात्रा नगण्य होने के कारण मोटापा वाले व्यक्तियों के लिए उपयोगी है । उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक है । रेशेदार तत्वों की बहुलता के कारण अनेक रोगों से लड़ने में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है ।वर्तमान में इनके द्वारा मशरूम उत्पादन से जो लाभ मिल रहा है उससे वह काफी संतुष्ट हैं एवं और लोगों को भी इसकी खेती करने के लिए प्रोतत्साहित करते रहते हैं ।