सौरभ यादव – तिल्दा -नेवरा ः – बैकुंठ में अक्षय तृतिया (अक्ती) पर बच्चे परिजनों के साथ मिलकर छोटे-छोटे मिट्टी के गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाते हैं। आस-पड़ोस में रहने वाले बच्चे एक दूसरे के समधी बनते हैं। दूल्हा दुल्हन की बारात निकलती है धूमधाम से शादी होती है फिर घराती और बराती एक दूसरे से मिलते हैं।अल्ट्राटेक बैकुंठ सीमेंट वर्क्स के स्टाफ कालोनी की महिलाओं के द्वारा भी अक्षय तृतिया (अक्ती) पर इस तरह की एक शादी रचाई गई | शादी भले ही गुड्डे-गुड़ियों की जा रही थी,लेकिन तैयारी ऐसी थी मानो दूर से कहीं दूल्हा बारात लेकर आ रहा हो और घराती उनके स्वागत के लिए इंतजार कर रहे हो। और जब बारात आई तो बच्चे और महिलाएं चिल्ला-चिल्ला कर कहती रही दीदी बरात आ गई | जल्दी आ जाओ दूल्हा आ गया है| और देखते ही देखते वहां का माहौल शादी के रूप में बदल गया। इसके पहले हिन्दू संस्कृति एवं रिति रिवाज से मढवा गढाया गया। फिर दुल्हन-दुल्हे का अलग- अलग तेल हर्दी चढाया गया। इतना ही नहीं बाजे गाजे के साथ तेल मायन के रूप में विवाह गीत के साथ रस्म को निभायागया ।बाद उसके महिलाओं द्वारा दुल्हे का बारात निकालकर परघनी भी किया गया। जिसमे भढौनी गीत के साथ डी जे बाजे के धुन मे महिलाएं नाचती रही।इस शादी के लिए आमंत्रण पत्र बनाया गया था।इसे महिलाओ और परिवार के बच्चों ने अपने दोस्तों को बांटा। फिर छत्तीसगढ़िया रिवाज से शादी हुई। मिट्टी की पूजा की गई। घर के आंगन को सजाया गया। अक्षय तृतिया पर यूं गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाना बेहद शुुभ माना जाता है| इस शादी को समनं कराने मे श्रीमति अन्जू साहू, डाँ दीपा बघेल, मधु चन्दाकर, झमित साहू, गमिता चन्दवंशी, नीतू मिश्रा, जयश्री कश्यप, प्रभा वर्मा, मिथलेश वर्मा, तोशी चौधरी, किरण साहू, रीता चौबे , गायत्री यदु ,एवँ पास की अन्य महिलाओ एवम उनके परिवार विशेष योगदान रहा |