रायपुर:- ग्राम बिलाड़ी के सत्तीदाई सेवा समिती के सदस्यो व बालिकाओं द्वारा छ. गढ़ के पारम्परिक पोला पर्व के दिन धुमधाम व हर्षोंउल्लास पूर्वक भोजली विर्सजन किया

(सौरभ यादव)तिल्दा नेवरा:- ग्राम बिलाड़ी में भोजली का त्योहार हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया गया। महिलाएं व युवतियां सामूहिक रूप से लोक गीत गाती हुई सिर पर भोजली लिए सकर्रा के तालाब पहुंची और भोजली का विर्सजन किया। भोजली मित्रता का प्रतीक है। प्राचीन काल से छत्तीसगढ़ में भोजली देकर मित्रता को प्रगाढ़ करने की परंपरा रही है। कोविड 19 कोरोना के चलते दो वषो से भोजली की स्थापना नही की गई थी।एंकर बिलाडी के सत्ती दाई सेवा समिती व बालिकाओं के सहयोग से इस वर्ष भोजली की स्थापना एक हप्ते पूर्व कृष्ण जन्माष्टमी के दिन समिती के कुछ गिने चुने सदस्यो व बालिकाओं के सहयोग से भोजली की स्थापना माँ सत्ती दाई के ज्योत कलश में विराजित हुई थी। उसके उपंरात एक हप्ते तक बालिकाओं व समिती के सदस्यो द्वारा भोजली माता की विधि व्रत पूजा अर्चना करते रहेऔर संध्या होते ही आरती के उपरांत बालिकाओं द्वारा भोजली जस गितो का गायन करते थे।उसी क्रम से भोजली माता की पुजा अराधना व जस सेवा गितो का सिलसिला चलता रहा छ्ठवे दिन शुक्रवार 26 अगस्त को गांव के पड़ित श्री चौबे जी द्वारा भोजली का हवन पूजन का कार्य शाम तक चलता रहा।उसके पश्चात कल शनिवार दिनांक 27 अगस्त को पोला पर्व के दिन धुमधाम व हर्षोंउल्लास पूर्वक मांदर, झांझ, की थाप में सेवा समिती के सदस्यो द्वारा मॉ के सुंदर जस गित का गायन करते हुये। गांव के मुख्य मुख्य मार्गो से होते हुये । मॉ महामाया के पुर्जा अर्चना करने के पशच्चात गांव के ही गतवा तलाब मे विसर्जन के पूर्व बालिकाओं द्वारा भोजली माता की सेवा गित का गायन किया गया फिर पुजा पाठ के बाद भोजली का विसर्जन किया गया।और लोगो का मानना है। की भोजली माता की स्थापना करने से खेती के समय बोवाई वह निदांई का कार्य समापन की ओर अग्रसर हो रहा हैं। अच्छी वर्षा व भरपूर भड़ार देने वाले फसल की कामना करते हुये। फसल के प्रतिकात्मक रूप से भोजली का आयोजन करती है।गांव में भोजली माता का स्थापना करने से सुख, समृद्धि,व धान की सम्मत व अच्छी फसल व अकाल की संभावना नही रहती छ्त्तीसगढ़ में महिलांए एक दूसरे से भोजली बदते है ।यानी मित्रता करते है । विसर्जन के बाद पोला के अवसर पर डांस,एवं रामायण ,मटकी तोड, खुर्सी दौड़,आदि।का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें बढ़-चढ़कर महिलाएं एवं बच्चे हिस्सा लिया एवं प्रतियोगिता में विजेता को पुरस्कार भी किया गया।मुख्य रूप से सहयोग रहा
पाल, यशंवत यादव, टेकराम पाल, मुनिराम निषाद, राजु यादव, देवचरन यादव, डिगेश यादव, सिब्बु पाल, अशोक धुव्र, रोहित पाल, राजेन्द्र पाल वह समस्त ग्रामवासियो की उपस्थिती थी।