राहुल गांधी बोले, दादी का आपातकाल लगाने का फैसला था गलत, कांग्रेस में अंदरुनी लोकतंत्र लाना जरूरी

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाने को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भूल बताते हुए कहा कि उस दौर में जो हुआ वह गलत हुआ, लेकिन मौजूदा दौर से यदि तुलना करें तो तबके हालात बिल्कुल अलग थे। उस समय कांग्रेस ने संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने की कभी कोशिश नहीं की। अमेरिका की कार्नवेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु से बातचीत में राहुल ने कहा कि वे कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र के पक्षधर हैं। इस पार्टी ने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। देश को संविधान दिया और समानता के लिए हमेशा खड़ी रही।

आपातकाल के बारे में पूछ जाने पर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि वह एक गलती थी। उस दौर में जो हुआ वह निश्चित रूप से गलत था। लेकिन आज के दौर में जो हो रहा है वह तब के दौर से बिल्कुल अलग है। उस वक्त कांग्रेस ने कभी भी संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की। उसमें ऐसा करने की क्षमता भी नहीं थी। हमारी संरचना ऐसी है कि हम चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकते।

राहुल ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार भारत की लोकतांत्रित प्रणाली को नुकसान पहुंचा रही है। भारत में हर संस्था की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है। आरएसएस हर जगह घुसपैठ कर रहा है। चाहे कोर्ट हो, चाहे निर्वाचन आयोग हो या कोई भी स्वतंत्र संस्था पर एक ही आइडियोलॉजी के लोगों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि मीडिया से लेकर कोर्ट तक को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर हम चुनाव जीत भी जाएं तो संस्थाओं पर काबिज लोगों से छुटकारा नहीं पा सकते।

ऑनलाइन बातचीत में मौजूदा दौर के बारे में राहुल गांधी ने कहा कि हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है। न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है। आरएसएस-भाजपा के पास बेतहाशा आर्थिक ताकत है। व्यवसायिकों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है। लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा-समझा हमला है। 

राहुल गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं। इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी। मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर ज़रूरी है। यह मेरा आपसे सवाल है।

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक
-क्यों न्यूज़ मीडिया संकट में है और कैसे आप इसे संभाल सकते हैं
कद्र करते हैं. इस विश्वास के लिए हमारा शुक्रिया.
-आप ये भी जानते हैं कि न्यूज़ मीडिया के सामने एक अभूतपूर्व संकट आ खड़ा हुआ है. आप मीडिया में भारी सैलेरी कट और छटनी की खबरों से भी वाकिफ होंगे. मीडिया के चरमराने के पीछे कई कारण हैं. पर एक बड़ा कारण ये है कि अच्छे पाठक बढ़िया पत्रकारिता की ठीक कीमत नहीं समझ रहे हैं.

-द दस्तक 24 अच्छे पत्रकारों में विश्वास करता है. उनकी मेहनत का सही मान भी रखता है. और आपने देखा होगा कि हम अपने पत्रकारों को कहानी तक पहुंचाने में जितना बन पड़े खर्च करने से नहीं हिचकते. इस सब पर बड़ा खर्च आता है. हमारे लिए इस अच्छी क्वॉलिटी की पत्रकारिता को जारी रखने का एक ही ज़रिया है– आप जैसे प्रबुद्ध पाठक इसे पढ़ने के लिए थोड़ा सा दिल खोलें और मामूली सा बटुआ भी.

अगर आपको लगता है कि एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें . आपका प्यार द दस्तक 24 के भविष्य को तय करेगा.
https://www.youtube.com/channel/UC4xxebvaN1ctk4KYJQVUL8g
आदर्श कुमार

संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ