एनटीपीसी ऊंचाहार में दिन के दिन भ्रष्टाचारियों की संख्या कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं वहीं एनटीपीसी में काम करने वाले कर्मचारी अपनी जान पे खेल कर बड़ी निष्ठा ईमानदारी से काम कर रहे हैं लेकिन वहीं भ्रष्टाचारी एनटीपीसी के अधिकारियों को अपनी पड़ी है ठेकेदार एक आदमी कम लगाता है तो वहीं एनटीपीसी के अधिकारी उसे चार बार चेक करते हैं जबकि वहीं काम करने वाले कर्मचारी से एक बार भी नहीं पूछा जाता कि तुम्हें ठेकेदार कितना पेमेंट देता है सब को अपनी अपनी पड़ी है कि प्रमोशन हो तो कहा से हो वहीं दिन रात मेहनत करने वाले कर्मचारी से एक भी बार उससे ये नहीं पूछा जाता कि क्या तुम्हारा भी कोई अपना है जिसके लिए तुम यहां दिन रात मेहनत करते हो तुम्हें भी पैसे की क्या जरूरत है कि नहीं बस कंपनी का एक भी पैसा वेस्ट नहीं होना चाहिए नहीं तो कंपनी लोस में चली जाएगी लेकिन वहीं दिन रात मेहनत करने वाले कर्मचारी मरे या जिए सब अपने काम से मतलब है उन्हें तो मुठ्ठी भर पैसा मिल ही रहा है तो लेबरों से क्या मतलब एक मरेगा तो दूसरा मरने के लिए आ ही जायेगा वहीं अगर कोई कर्मचारी पैसे की बात करता है तो उसे नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी जाती है अब देखना ये है कि इस पे एनटीपीसी के उच्च अधिकारी क्या कार्रवाई करते हैं