लालगंज-रायबरेली। लालगंज कोतवाली के महमदमऊ गांव के रहने वाले रामसजीवन की मौत का मामला अभी रहस्य बना हुआ है। उसकी मौत के 22 दिन बाद भी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट न मिलने की बात कह रही है। जीआरपी की जांच में रेल से दुर्घटना न होने की बात कह रही है। जबकि पुलिस की प्रारम्भिक जांच आत्महत्या की ओर इशारा कर रही है। गौरतलब है कि 31 कर रात रामसजीवन की लाश उन्नाव-ऊॅचाहार रेलखंड पर महमदमऊ गांव समीप ही रेलवे गेट से कुछ ही दूरी पर रेल पटरियों के बीच बरामद हुई थी। इसे गंभीर अवस्था में लखनऊ के ट्रामा सेटर में भर्ती कराया गया था। जहां इसकी पहली सितम्बर को मौत हो गयी। मौत के बाद मृतक की मां फूलमती का आरोप है कि उसकी बहू ने ही उसकी हत्या करा दी। इस आशय के कई पत्र कोतवाली से लेकर एसपी कार्यालय तक भेजे गये। लेकिन फरियादी को अभी तक कोई न्याय नहीं मिल सका। फरियादी का कहना है कि मृतक ने सोसाइट नोट लिखा था जिसमें उसकी हत्या की साजिश का खुलासा किया था। पुलिस ने जांच में शराब के नशे में हो कर पटरियों पर गिरने की बात लिखी है लेकिन घायलावस्था में पटरियों के बीच गेट से करीब 500 मीटर दूर शराब पीकर रामशंकर अखिर किस तरह गया। अगर नशे में था तो अपने घर जाता। इस तरह के सवाल उठा कर लोग पुलिस की प्राथमिक जांच रिपोर्ट को प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं। इसी तरह जीआरपी की जांच में आत्महत्या के होने के संकेत नहीं मिलने की बात स्वीकारी है। जांच अधिकारी एएसआई राजेश मिश्र कहते हैें कि जब से वह पटरियों पर पड़ा था उस दौरान कोई ट्रेन नहीं गुजरी। बहरहाल, रामशंकर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला संदिग्ध ही बना हुआ। महमदमऊ गांव के ग्रामीणों ने रामशंकर की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट लखनऊ से अब तक न आ पाने पर आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि उसकी पोस्टमार्टा रिपोर्ट न मिलने प्रशासन की दुरूस्त व्यवस्था की पोल खोल रही है।