रायबरेली: आखिर डलमऊ उपजिलाधिकारी ने क्यो नही दी अपनी कुर्सी । क्या मिशन शक्ति सिर्फ एक दिखावा है


डलमऊ /रायबरेली: पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिकैत गंज की कक्षा सात की पढ़ने वाली छात्रा को 1 दिन का एसडीएम बनाया गया है वही बुसरा बानो को 1 दिन का डलमऊ का तहसीलदार नियुक्त किया गया प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे मिशन शक्ति एवं नारी सम्मान कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर शुक्रवार को उपजिलाधिकारी डलमऊ अंशिका दीक्षित ने डलमऊ कस्बे के पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिकैटगंज की कक्षा सात की पढ़ने वाली छात्रा शिवांगी दीक्षित को 1 दिन का एसडीएम नियुक्त किया है वही कक्षा सात की पढ़ने वाली बुसरा बानो को 1 दिन का तहसीलदार बनाया गया सुबह एसडीएम कार्यालय में पहुंचकर शिवांगी दीक्षित ने पदभार ग्रहण करते हुए फरियादियों की समस्याएं सुनी और कर्मचारियों से परिचय प्राप्त किया वहीं अभिनव पाठक तहसीलदार डलमऊ ने बुसरा बानो को 1 दिन का तहसीलदार नियुक्त कर छात्रा का हौसला बढ़ाया है एसडीएम अंशिका दीक्षित ने बताया कि प्रदेश सरकार महिलाओं को आत्मरक्षा सम्मान एवं मिशन शक्ति को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को प्रशासनिक पदों पर नियुक्त कर उनके साहस को बढ़ाने का काम कर रही है महिला एवं बाल विकास कल्याण विभाग द्वारा जारी निर्देशों के क्रम में बालिकाओं को 1 दिन का प्रशासनिक अफसर बनाकर उनका हौसला बढ़ाया गया है


शिवांगी दीक्षित को एसडीएम ने नहीं दी अपनी कुर्सी

शुक्रवार को उपजिलाधिकारी डलमऊ अंशिका दीक्षित ने मिशन शक्ति कार्यक्रम के अंतर्गत शिवांगी दीक्षित को 1 दिन का एसडीएम बनाया लेकिन एसडीएम ने शिवांगी दीक्षित को अपनी कुर्सी पर नहीं बैठाया बल्कि बगल में एक अन्य कुर्सी को डालकर उस पर बैठाया गया जिससे साफ स्पष्ट है कि एसडीएम डलमऊ उच्चाधिकारियों के आदेशों का कितना पालन कर रहे हैं उच्च अधिकारियों के निर्देश के क्रम में बालिकाओं का सम्मान बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशासनिक पदों पर 1 दिन की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन डलमऊ में हंसिका दीक्षित ने शिवांगी दीक्षित को एसडीएम तो बना दिया लेकिन बैठने के लिए उन्हें एसडीएम की कुर्सी नसीब नहीं हुई जिसको लेकर लोगों में चर्चाएं बनी रही