11 दिसंबर 2022 को यूपी STF की टीम ने आशियाना क्षेत्र के एक घर में छापा मारा। दूसरी मंजिल पर पहुंचते ही टीम को एक बहुत बड़ा मीटर लैब दिखा जहां 578 बिजली के डिजिटल मीटर, 200 से ज्यादा सिरिंज, 539 चिप और 65 रिमोट बरामद हुए। दरअसल, यहां स्मार्ट मीटर में शार्प तरीके से चिप लगाने और उसे रिमोट से कनेक्ट करने का काम किया जाता था।
छापेमारी में STF ने रमन, अर्जुन, सतीश, अली, सोनू नाम के आरोपियों को गिरफ्तार किया। लेकिन उस लैब का मालिक और गैंग का मास्टरमाइंड पवन पाल अभी भी फरार है। तलाश जारी है। बिजली चोरी का ये कोई पहला मामला नहीं है। UPERC के मुताबिक, “पिछले पांच सालों में बिजली चोरी के 3 लाख 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं, लेकिन ये ताजा मामला हैरान करने वाला है।”
डिजिटल मीटर से बिजली की चोरी कैसे होती है? कौन से तरीके हैं? इस सवालों के जवाब जानने के लिए हमने STF के प्रभारी SSP विशाल विक्रम सिंह और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक योगेश जी से बात की। आइए, एक-एक कर सभी सवालों के जवाब पर चलते हैं…
STF के प्रभारी SSP विशाल विक्रम सिंह ने बताया, “गैंग के सदस्य विद्युत उपकेंद्रों के बाहर अपने ग्राहकों को तलाशते थे। जो ग्राहक अपने घर में नया मीटर लगवाना चाहते थे ये कम बिजली बिल आने का लालच देकर अपनी बातों में फंसा लेते हैं। इनका संपर्क शहर के कई इलेक्ट्रीशियन से भी था जो इन्हें ग्राहक दिलाते थे। ग्राहक दिलाने और मीटर से छेड़छाड़ में विद्युत विभाग के कर्मचारियों के नाम पर भी जांच चल रही है।”
ग्राहक मिलते ही ये गैंग उनके घरों, यहां तक के फैक्ट्रियों तक के मीटर निकाल कर लैब में लाते थे। पूछताछ में गैंग के मेंबर्स ने बताया, “मीटर में छेड़छाड़ करने से पहले हम उसमें सिरिंज से एसिड डालते हैं। इससे उसकी बॉडी आसानी से खुल जाती थी। किसी तरह की छेड़छाड़ समझ नहीं आती थी।”