अमेरिका के इडाहो में जहरीले इंजेक्शन से दी जाने वाली सजा टाल दी गई

अमेरिका के इडाहो में एक दोषी को जहरीले इंजेक्शन से दी जाने वाली सजा टली दी गई। भारतीय समय के मुताबिक बुधवार को जेल प्रशासन की मेडिकल टीम एक घंटे तक इंजेक्शन के लिए दोषी की सही नस नहीं ढूंढ पाए। उन्होंने 8 बार नस ढूंढने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहे, जिसके बाद सजा को टाल दिया गया।
73 साल के थॉमस क्रीच को लीथल डेथ इंजेक्शन टेबल (स्ट्रेचर) पर बांधा गया। इसके बाद मेडिकल टीम ने उसके हाथ में इंजेक्शन लगाने के लिए नस ढूंढी। जब हाथों में सही नस नहीं मिल पाई तो टीम ने पैरों में सही नस ढूंढने की कोशिश की। सही नस ढूंढने का यह सिलसिला एक घंटे तक चला।
इडाहो डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शन (IDOC) के डायरेक्टर जॉश टेवाल्ट ने कहा- क्रीच के हाथों और पैरों में सही नस ढूंढने के लिए आठ बार कोशिश की गई जब ये नहीं मिली तो सजा को टाल दिया गया। दोबारा मौत की सजा देने की कोशिश की जाएगी। हालांकि ये कब होगा इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। क्रीच को 5 लोगों की हत्या करने के जुर्म में 1981 में सजा हुई थी। वो 43 साल से जेल में था।
दूसरी तरफ मौजूद कमरे में परिजन बैठकर यह नजारा शीशे की दीवार से देख रहे थे। डेनिस को 1989 में 22 साल की गर्भवती महिला से अपहरण कर दुष्कर्म करने और उसे मारने के लिए मौत की सजा मिली थी। करीब 10.27 बजे सुबह उसे लीथल इंजेक्शन लगाया गया। डेनिस का बेटा अपने पिता की घड़ी में समय देख रहा था। वह नोट कर रहा था कि कब उन्हें इंजेक्शन दिया गया।
10.30 बजे डेनिस का शरीर तेजी से उछलने लगा, उनके मुंह से ऐसी आवाजें निकल रही थीं जैसे कोई डूब रहा हो, वे तेजी से बिस्तर पर शरीर को पटक रहे थे। करीब 10.53 बजे डेनिस की मौत हुई। डेनिस की मौत में 26 मिनट लग गए।
7 दिसंबर को 1982 को चार्ल्स ब्रूक्स जूनियर जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा पाने वाला पहला दोषी बना था। अमेरिका के टेक्सॉस में दवाओं के कॉकटेल को ब्रूक्स के शरीर में डाला गया था, जिससे उसका दिमाग और शरीर सुन्न पड़ गया, वो पैरालाइज हो गया और दिल की धड़कनें रुकने से उसकी मौत हो गई।
जहरीले इंजेक्शन के जरिए हुई इस पहली मौत ने इस बात को लेकर आम लोगों और डॉक्टरों के बीच बहस छेड़ दी थी कि मौत की सजा देने का यह तरीका सही और मानवीय है या नहीं? हालांकि, जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा देने का सिलसिला आज भी जारी है।
जहरीले इंजेक्शन को सजा-ए-मौत देने के दूसरे तरीकों जैसे गैस, बिजली के झटके या लटकाने की तुलना में अधिक मानवीय माना जाता था। इसके पीछे तर्क ये था कि इस इंजेक्शन में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से एक से गहरी बेहोशी आ जाती है, इससे मरने वाले को दर्द नहीं होता। हालांकि, नैतिकता का उल्लंघन मानते हुए कई डॉक्टर जहरीले इंजेक्शन के विरोध में थे, लेकिन इसके बावजूद इसके इस्तेमाल को मंजूरी मिली।