ओडिशा में एक जर्मन मूल की महिला प्रोफेसर ने एक दिव्यांग शख्स के साथ शादी रचा ली. ऐसे शख्स को वह दिल दे बैठी जो न तो बोल सकता है, न ही सुन सकता है. इस प्रोफेसर ने साबित किया है कि प्यार हर सीमाओं से परे होता है. उलरिक जेसन और शिवाजी पांडा की इस प्रेम कहानी ने सीमा हैदर और सचिन की लव स्टोरी को भी पीछे छोड़ दिया है. पूरे ओडिशा में उस प्रेम कहानी की चर्चा हो रही है. उलरिक ने अपने प्यार के बारे में कहा, ‘मुझे ग्रामीण जीवन पसंद है, जो प्रकृति से भरपूर है. मुझे महानदी, गायें पसंद हैं. जिस तरह से उनके परिवार ने मेरा स्वागत किया, उससे मैं आश्चर्यचकित थी. हमारे पास में एक स्कूल है और मैं वहां शिक्षकों के साथ काम करती हूं. मैं अब ओडिशा की बहू हूं और ज्यादातर समय यहीं बिताऊंगी
कैसे शुरू हुई से अनोखी लवस्टोरी?
मूक-बधिर शिवाजी सुबरनापुर जिले के सिंदूरपुर गांव के रहने वाले हैं.ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में सांकेतिक भाषा की प्रोफेसर उलरिक कुछ साल पहले शिवाजी के संपर्क में आईं, जो उसी विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे. बाद में 2016 में ब्रिटेन के विश्वविद्यालय की नौकरी छोड़ने के बाद शिवाजी अपने मूल स्थान पर लौट आए. उन्होंने सुबरनापुर जिले में एक सांकेतिक भाषा स्कूल खोला और अपने गांव के पास महानदी के तट पर एक इको-विलेज बनाया.
प्रेमियों ने बना ली अपनी अलग दुनिया
हजारों किलोमीटर दूर रहने के बावजूद प्यार ने उलरिक और शिवाजी दोनों को फिर से एक कर दिया. जब 17 जून, 2023 को करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में ब्रिटेन की एक अदालत में शिवाजी से शादी हुई, तो संबलपुरी साड़ी में लिपटी उलरिक एक सामान्य ओडि़या दुल्हन की तरह लग रही थीं. बाद में यह जोड़ा ओडिशा लौट आया, जहां शिवाजी के परिवार ने उनका स्वागत किया. दोनों अपने इको-विलेज में पेड़, पौधे और झाड़ियां उगाकर खुशी से रह रहे हैं.