कांग्रेस ने जब 23 जनवरी को प्रियंका गांधी को महासचिव बनाया तो पूरे देश से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं.
प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दिए जाने को सभी ने 2019 आम चुनावों से जोड़कर देखा. ऐसे में प्रतिक्रियाएं न सिर्फ़ आम लोगों ने दी बल्कि मोदी सरकार की तरफ़ से भी कई आवाज़ें सुनाई दीं.
पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रियंका गांधी का नाम लिए बिना कहा, “मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि कोई एक ऐसी पार्टी है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन करती है तो वो बीजेपी है. हमारी पार्टी में भी कोई फ़ैसला इस वजह से नहीं होता कि कोई एक परिवार का है. इसलिए कहा जाता है कि देश में ज़्यादातर मामलों में परिवार ही पार्टी है. लेकिन बीजेपी के मामले में पार्टी ही परिवार है.”
रिपब्लिक टीवी की ख़बर के मुताबिक़, प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने पर स्मृति इरानी ने कहा कि कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर ये मान लिया है कि राहुल गांधी हार गए हैं.
बयानों के इस सिलसिले में अतीत के उन बयानों का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता है, जिनमें प्रियंका गांधी कभी सौम्य नज़र आईं और कभी आक्रामक. इनमें पति रॉबर्ट वाड्रा का बचाव करना भी शामिल है और नरेंद्र मोदी को जवाब देना भी.
ऐसे ही बयानों पर एक नज़र.
कांग्रेस नेता नृपेंद्र सांगवान ने ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए प्रियंका को बधाई दी
स्मृति के लिए प्रियंका का वो एक शब्द
2014 आम चुनाव. अमेठी के चुनावी मैदान में राहुल गांधी को टक्कर देने के लिए बीजेपी ने स्मृति इरानी को उतारा.
चुनाव प्रचार के लिए प्रियंका गांधी भी पहुंची थी. प्रियंका का दौरा ऐसे वक़्त में हुआ था, जब स्मृति राहुल को लेकर कई तीखे हमले कर चुकी थीं.
तब मीडिया ने प्रियंका से सवाल किया कि राहुल को चुनौती देने वाली स्मृति के बारे में आप क्या सोचती हैं?
प्रियंका ने जवाब में सवाल पूछ लिया, ‘कौन?’ पत्रकार ने जब एक बार फिर स्मृति का नाम लिया तो प्रियंका ओह बोलीं और हँसने लगीं.
इस एक शब्द का क्या असर हुआ, इसे आप स्मृति इरानी की प्रतिक्रिया से समझिए. स्मृति ने इसके बाद कहा, “जब आप अपने परिवार के सदस्य के किए घोटालों को भूल गईं तो आपको मेरा नाम क्यों याद रहेगा.”
प्रियंका और स्मृति की तकरारें 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद भी जारी रहीं.
2015 में जब स्मृति इरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं, तब अमेठी दौरे पर गईं प्रियंका ने कहा, “अब तो वो शिक्षा मंत्री हैं. वो बताएँ कि आईआईआईटी क्यों नहीं बना रही हैं. अमेठी की समस्याओं को वो क्यों नहीं देख रही हैं.”
56 इंच के सीने पर प्रियंका गांधी
बीते लोकसभा चुनाव में प्रचार ज़ोरो पर था. नरेंद्र मोदी पूरे देश में रैलियां कर रहे थे.
मोदी यूपी के दौरे पर थे. राज्य में सपा की सरकार थी. मोदी ने तब एक चुनावी रैली में कहा था, “नेताजी, आप कहते हैं कि उत्तर प्रदेश को गुजरात बना देंगे. आप गुजरात नहीं बना सकते. इसके लिए तो 56 इंच का सीना लगता है.”
मोदी का ये 56 इंच के सीने पर दिया बयान काफी चर्चा में रहा.
प्रियंका ने रैली में मोदी के इस बयान पर कहा, “ये भारत देश है. इसे चलाने के लिए 56 इंच का सीना नहीं चाहिए होता है. इसे चलाने के लिए दरिया जैसा दिल चाहिए होता है. सत्ता को क्रूर बल नहीं एक नैतिक शक्ति चाहिए होती है.”
प्रियंका ने कहा था, “देश चलाने के लिए अपनी क्षमताओं का खोखला वाणी प्रदर्शन नहीं, एक भीतरी वीरता चाहिए होती है. ऐसी वीरता जो देश की संस्कृति को बचाए रखने के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहे.”
‘मैं सिर्फ़ राजीव की बेटी हूं’
2014 का सियासी घमासान. क्या मोदी ने प्रियंका को बेटी कहा?
जवाब है- नहीं!
लेकिन ये जवाब और मोदी के दफ़्तर से जब तक इस बारे में स्पष्टीकरण जारी होता, तब तक प्रियंका गांधी टिप्पणी कर चुकी थीं.
दरअसल 2014 में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा गया था कि मोदी ने प्रियंका के लिए बेटी शब्द का इस्तेमाल किया. ये रिपोर्ट्स मोदी के दूरदर्शन पर दिए एक कथित एडिटेड इंटरव्यू के हवाले से की गई थीं.
मोदी का ये कथित बयान कुछ यूं था, “प्रियंका मेरी बेटी की तरह हैं. गाली भी देंगी तो बुरा नहीं मानूंगा.” यही लाइन जब एक पत्रकार ने प्रियंका से कही तो वो अलग से अंदाज़ और अदब से जवाब देती हैं, ‘मैं राजीव गांधी की बेटी हूं.’
इसके बाद बीजेपी की ओर से निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “दूरदर्शन स्वतंत्र तौर पर काम नहीं कर रहा है. मंत्रालय भले ही कहे कि वो दूरी बनाए रखता है. फिर कौन सेंसर कर रहा है.”
मोदी की RSVP और प्रियंका की पाठशाला
2014 में ही प्रियंका और मोदी के बीच एक और ज़बानी जंग हुई थी.
मोदी ने कहा था, “हमारे देश को भी RSVP ने चलाया. पहले RSVP अर्थशास्त्र में हुआ करता था. अब RSVP का मॉडल आया है. R यानी राहुल. S यानी सोनिया. V यानी वाड्रा. P यानी प्रियंका.”
अगली ही रैली में प्रियंका मोदी को जवाब देती हैं, “कभी ABCD, कभी RSVP. कभी द से देश. कभी क से कौआ. अरे कभी ब से बस भी तो कीजिए. आप किसी प्राथमिक पाठशाला को तो संबोधित नहीं कर रहे हैं.”
प्रियंका ने आगे कहा, “ये देश की जनता है. जनता में विवेक है. जनता के कण-कण में वो राष्ट्र की भावना है. जो मेरे और आपके अहंकार से कहीं बड़ी है.”
सितंबर 2013 में जयपुर रैली में मोदी ने ABCD की फुलफॉर्म बताई थी.
मोदी ने कहा था, A यानी आदर्श, B यानी बोफोर्स, C यानी सीडबल्यूजी और D यानी दामाद का कारोबार.
मोदी का वाड्रा पर हमला और प्रियंका का जवाब
मोदी चुनावों से पहले कांग्रेस को घेरने के लिए अकसर रॉबर्ट वाड्रा को घेरते रहे हैं.
2014 में भी मोदी ने कहा था, “एक 10वीं क्लास तक पढ़ा नौजवान. जिसकी जेब में एक लाख रुपए थे जो तीन साल में 300 करोड़ रुपए हो गए. ऐसा जादूगर? ये मां-बेटे का कारोबार है. ये इनका मॉडल है. टू-जी का तो सुना था. अब जीजा जी का भी सुन लिया है.”
प्रियंका ने इस पर कहा था, “बौखलाए हुए चूहों की तरह दौड़ रहे हैं. इनको करने दीजिए. जितना चाहें उतना करें. मैं इनसे नहीं डरती हूं. मैं किसी से नहीं डरती. मैं इनकी विनाशक और शर्मनाक राजनीति के ख़िलाफ़ बोलती रहूंगी. मैं चुप नहीं होऊंगी.”
मोदी ने वडोदरा में एक चुनावी रैली में कहा था, “हाल ही में एक परिवार पर आरोप लगाया गया. ये बात भारतीय मीडिया ने कवर नहीं की. अमरीकी अख़बार ने इसे कवर किया. अख़बार में कहा गया कि जो इस तरह के आरोप में फंसे होते हैं. उनके मुंह से लोकतंत्र की बात शोभा नहीं देती.”
प्रियंका ने इस बयान के कुछ वक़्त बाद ही रायबरेली से मोदी को जवाब दिया.
प्रियंका ने कहा, “मेरे पति के बारे में बहुत बातें कही जाती हैं. ये जितना गिराने की कोशिश करते हैं. हम उतनी मजबूती से उठते हैं. ये सीखा मैंने इंदिरा जी से.”
प्रियंका गांधी ने इंदिरा से जो सीखने की बात कही थी, उसकी असली परीक्षा अब होगी, जब वो सक्रिय राजनीति में उतर गई हैं.
source: bbc.com/hindi
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