उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मुख्य चुनावी लड़ाई में लाने के लिए प्रदेश की प्रभारी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की पूरी कोशिश सियासी नैरेटिव बनाने पर केंद्रित दिखाई दे रही है। सूबे की सियासत में बीते तीन दशक से लगातार संघर्ष कर रही कांग्रेस के लिए 2022 के चुनावी मुकाबले का एक गंभीर प्लेयर होने का संदेश देना बड़ी चुनौती है। इस सियासी चुनौती में राजनीतिक एजेंडा सेट करने का शुरुआती दांव कांग्रेस के लिए मददगार साबित होता दिख रहा है। इसलिए प्रियंका का पूरा फोकस उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सियासी विमर्श के केंद्र में रखने पर है और अगले विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने का बड़ा एलान इसी रणनीति का हिस्सा है।
कांग्रेस के इस एलान से चुनावी मुकाबले की जमीन पर कितना असर पड़ेगा यह तो राजनीतिक दलों के टिकट बंटवारे के बाद ही सामने आएगा, लेकिन इतना तो जरूर तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश के अगले चुनाव में आधी आबादी की सीधी सियासी भागीदारी एक बड़ा मुद्दा होगा।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों का हवाला देते हुए उसकी विरोधी पार्टियां चाहे इस एलान को खारिज करने की कोशिश करें, लेकिन इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि प्रियंका के एलान को लेकर सूबे की आधी आबादी के बीच एक हलचल जरूर होगी। जाहिर तौर पर यह हलचल ही कांग्रेस को सियासी नैरेटिव तय करने वाली मुख्य पार्टियों की दौड़ में शामिल करेगी।
उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी के सबसे खराब प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस के सामने 2022 में चुनौती कहीं ज्यादा बड़ी है और इस स्थिति में सियासी विमर्श के केंद्र में रहने से लेकर एजेंडा सेट करने में विरोधियों से आगे रहना पार्टी की अपरिहार्य जरूरत है। तभी पिछले काफी अर्से से प्रियंका का फोकस सूबे में पार्टी को सियासी विमर्श की होड़ में लाने पर रहा है।