पृथ्वीराज सुकुमारन जल्द ही ‘द गोट लाइफ’ फिल्म में नजर आएंगे। ये फिल्म फेमस मलयालम नॉवेल ‘अदुजीविथम’ पर आधारित है। फिल्म जीवन नजीब की रियल जिंदगी पर बेस्ड है, जहां उनके बेहतर जीवन की तलाश में परेशानियों से भरी अवास्तविक यात्रा को दिखाया जाएगा। हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए एक्स्क्लूसिव इंटरव्यू में पृथ्वीराज ने फिल्म से जुड़े कुछ किस्से शेयर किए। उन्होंने रैपिड फायर राउंड में दिलचस्प सवालों के मजेदार जवाब भी दिए। पेश हैं बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
‘द गोट लाइफ’ के ट्रेलर को शानदार रिस्पॉन्स मिल रहा है। इस बात पर पृथ्वीराज ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा- लोगों के इस तरह के रिएक्शंस देखकर बहुत खुशी महसूस हो रही है। सच कहूं तो ये फिल्म मेरी जिंदगी का बहुत अहम हिस्सा है। मैंने ‘द गोट लाइफ’ के लिए साल 2008-2009 में हामी भरी थी। अब देखिए साल 2024 में ये रिलीज हो रही है। ये 16 साल किसी की भी जिंदगी के लिए बहुत ज्यादा होते हैं। मलयालम इंडस्ट्री की बात करें, तो इन सालों में हमारी मलयालम इंडस्ट्री में भी बहुत बदलाव आए हैं।
फिल्म के आइडीया से लेकर रिलीज तक वक्त जरूर लगा, लेकिन यकीन मानिए फिल्म को बनाने में किसी भी तरह का कॉम्प्रोमाइज नहीं किया गया है। हम हमेशा से क्लीयर थे कि इस फिल्म को VFX के जरिए नहीं, बल्कि सच में रेगिस्तान जैसी जगहों में जाकर शूट करेंगे। इसलिए ‘द गोट लाइफ’ की ज्यादातर शूटिंग केरला, जॉर्डन, अल्जीरिया में हुई है। जो कुछ भी आप फिल्म में देखेंगे वो रियल है। इस फिल्म के बाद मैं जितनी भी फिल्में करूंगा, मुझे ऐसा लगता है ‘द गोट लाइफ’ मेरे लिए हमेशा बहुत खास रहेगी।
डायरेक्टर ब्लेसी के बारे में बात करते हुए पृथ्वीराज ने कहा- मैंने 2008 से अब तक बहुत फिल्मों में काम किया। मैंने 2-3 फिल्में डायरेक्ट भी की हैं। जब 2008 में ब्लेसी ने ये फिल्म बनाने का निर्णय लिया था, उस समय वो मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के हाईएस्ट पेड डायरेक्टर थे। वो आज भी उस मुकाम पर खड़े हैं। मलयालम इंडस्ट्री के सभी एक्टर्स ब्लेसी के साथ काम करना चाहते हैं। सोचिए ब्लेसी ने 16 साल इस फिल्म को दिए। इस फिल्म के लिए ब्लेसी का कमिटमेंट, इन्वेस्टमेंट कमाल है। ब्लेसी के सामने मैं कुछ भी नहीं हूं। जब भी लोग ‘द गोट लाइफ’ को लेकर मेरे बारे में बात करते हैं, मैं हमेशा उन्हें याद दिलाता हूं, कि श्रेय मुझे नहीं बल्कि फिल्ममेकर ब्लेसी को मिलना चाहिए।
डायरेक्टर ब्लेसी की इमोशंस में बेहतरीन पकड़ है। इस पर पृथ्वीराज बोले- ब्लेसी ने अपने करियर में शानदार फिल्में बनाई हैं। ऑडियंस ब्लेसी का नाम सुनते ही फिल्में देखना चाहते हैं, फिर चाहे उस फिल्म में कोई भी एक्टर हो। मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में ब्लेसी को लोग बहुत मानते हैं।
इस फिल्म में इमोशंस का बहुत बड़ा रोल है। फिल्म में ज्यादातर सीन क्लोज-अप के हैं। एक एक्टर के चेहरे से ही इमोशंस को भली-भांति दर्शाया जा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म में डायलॉग्स बहुत कम हैं और साइलेंस बहुत ज्यादा। चाहे आप रेगिस्तान, हवा या जानवर की बात करें- सब बहुत बेहतरीन से शूट किया गया है। ऐसे विजुअल में एआर रहमान सर के म्यूजिक ने कमाल कर दिया है।
किस तरह से खुद को किरदार में ढालते हैं? इस पर पृथ्वीराज ने कहा- मुझे अपने रोल से स्विच ऑन और स्विच ऑफ होना आता है। मैंने अपने करियर में अब तक कम से कम 120 फिल्में की हैं। इसलिए अब मेरे लिए स्विच ऑन/ स्विच ऑफ होना आसान हो गया है।
आप यकीन नहीं करेंगे जब से मैंने ‘द गोट लाइफ’ की स्क्रिप्ट सुनी थी, तब से ऐसा कई दफा हुआ कि किसी फिल्म की शूटिंग के दौरान अचानक से मुझे ‘द गोट लाइफ’ की कहानी याद आ जाती, और मैं स्तब्ध रह जाता। सोचिए कितनी पावरफुल स्क्रिप्ट होगी। मुझे ऐसा लगता है कि भले ही मैंने फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली है, लेकिन फिर भी नजीब, जो किरदार मैं फिल्म में निभा रहा हूं, उनका एक अंश असल में मेरे अंदर हमेशा रहेगा। मैंने इस किरदार के लिए बहुत मेहनत की है।
पृथ्वीराज ने आगे बताया- लोगों को लगता है नजीब का किरदार निभाने से पहले मैं उनसे मिला होऊंगा। लेकिन ऐसा नहीं है। मैं नजीब से पहली बार तब मिला, जब मैंने ‘द गोट लाइफ’ का आखिरी शॉट खत्म किया था। हम लोगों ने उन्हें फिल्म के सेट पर शूट के आखिरी दिन बुलाया था। इस फिल्म के जरिए हम बुक के हर एक इंसिडेंट को नहीं दिखा सकते, बल्कि हम लोगों को वो महसूस कराना चाहते हैं, जो उस समय नजीब ने महसूस किया था।
‘द गोट लाइफ’ में पृथ्वीराज सुकुमारन की तुलना बड़े बड़े स्टार्स जैसे कि प्रभास, टॉम हैंक्स, लियोनार्डो डिकैप्रियो से की जा रही है। इस बात पर एक्टर कहते हैं- मैं खुद को ऐसे बड़े-बड़े एक्टर्स की लीग में नहीं देखता। मैं अभी भी सीख रहा हूं। मुझे अभी बहुत कुछ सीखना रहता है। इस फिल्म में निभाए गए ‘नजीब’ किरदार से मैंने अपनी असल जिंदगी में बहुत कुछ सीखा।
हम लोग इस फिल्म के जरिए ग्लोबल सिनेमा दिखाना चाहते हैं। फिल्म की कहानी विश्वास, कभी हार ना मानना, कोशिश करते रहने के ऊपर बेस्ड है। मुझे लगता है विश्वास एक ऐसी चीज है, जो सब मानते हैं। फिर चाहे आप किसी भी देश से हों या कोई भी भाषा बोलते हों।
ब्लेसी एक नेशनल अवॉर्ड विनर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें और पृथ्वीराज सुकुमारन को इस फिल्म के लिए अवॉर्ड भी मिलेगा। ना कि नेशनल बल्कि इंटरनेशनल अवॉर्ड जैसे कि एकेडमी की भी उम्मीद की जा रही है। फिल्म की कहानी वाकई ग्लोबली बहुत अच्छी है। ऐसे में पृथ्वीराज का अवॉर्ड के बारे में क्या सोचना है? इस बात का जवाब देते हुए पृथ्वीराज ने कहा- मुझे बहुत अच्छा लगेगा अगर मेरी मेहनत लोगों के दिलों तक पहुंचेगी और मुझे अवॉर्ड मिलेगा। लेकिन ईमानदारी से कहूं तो अवॉर्ड मेरे लिए सेकेंडरी है।
मैं चाहता हूं ये फिल्म दुनिया के ज्यादा से ज्यादा लोग देखें। लोग जानें कि नजीब ने असल में कैसा महसूस किया था। लोग जानें कि नजीब को अपनी यात्रा पर कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। किस तरह से नजीब ने उन मुश्किल हालातों का डटकर सामना किया था। मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब मिलेगी जब लाखों लोग ये फिल्म देखेंगे और कहेंगे कि इस फिल्म ने उनके दिल को छुआ है।
पृथ्वीराज सुकुमारन से एक फन सेगमेंट भी खेला गया। उन्होंने रैपिड फायर राउंड के दौरान कुछ दिलचस्प सवालों के मजेदार जवाब दिए। पृथ्वीराज ने मोहनलाल को भाई, यश को पायनियर, अल्लू अर्जुन को शानदार एक्टर, प्रभास को सुपरस्टार, शाहरुख खान को सबसे बड़ा सुपरस्टार, सलमान खान को बड़ा स्टार कहा। उन्होंने बताया कि मेरी जनरेशन के लोगों के लिए शाहरुख सर, सलमान सर और आमिर सर हिंदी सिनेमा को दर्शाते हैं। पृथ्वीराज सुकुमारन पिता को अपना इंस्पिरेशन मानते हैं।
पृथ्वीराज से आखिरी सवाल पूछा गया कि अगर उनके ऊपर कोई किताब लिखी जाए, तो उस किताब का टाइटल क्या होगा? इस पर पृथ्वीराज ने कहा- साहस।