आर्थिक संकट के चलते मुसीबतों में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से देश में आपात स्थिति की घोषणा कर दी है। देशभर में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच श्रीलंका में एक महीने से अधिक समय में दूसरी बार आपातकाल लगाया गया है। देश की जनता बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर राष्ट्रपति से त्यागपत्र देने की मांग कर रही है।
राजपक्षे की ओर से आपात स्थिति का एलान किए जाने के बाद श्रीलंका में पुलिस और सुरक्षा बलों को ज्यादा अधिकार मिल गया है। अब वे मनमाने ढंग से लोगों को गिरफ्तार कर सकते हैं और हिरासत में ले सकते हैं। हालांकि, राष्ट्रपति के मीडिया प्रकोष्ठ का कहना है कि राजपक्षे ने देश में आपातकाल लागू करने का फैसला इसलिए लिया है, ताकि कामकाज सुचारु ढंग से होता रहे। इसका मकसद जन सुरक्षा और आवश्यक सेवाओं को बरकरार रखना है। एएनआइ के अनुसार, संसद में तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने सत्र को 17 मई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
शुक्रवार को कैबिनेट की विशेष बैठक के दौरान प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे पर अप्रत्याशित रूप से त्यागपत्र देने का दबाव बढ़ गया। सूत्रों के अनुसार, कुछ मंत्रियों ने उनसे हर हाल में त्यागपत्र देने को कह दिया। लेकिन, महिंदा ने पद छोड़ने से इन्कार कर दिया। उनके समर्थकों ने उनसे कहा कि वे पद पर बने रहें, क्योंकि लोग उनसे ज्यादा राष्ट्रपति गोटाबाया का त्यागपत्र चाहते हैं
श्रीलंका में संसद के समीप विश्वविद्यालय के छात्रों के उग्र प्रदर्शन के कारण संसद भवन में फंसे सांसद बाहर नहीं निकल पाए। सामागी जन बालाबेगया (एसजेबी) के सांसद हरिन फेर्नाडो ने कहा कि संसद भवन के चारों और मौजूद प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्रवेश और बाहर निकलने वाले मार्गो को जाम कर दिया है। राष्ट्रपति गोटाबाया से इस्तीफे की मांग करते हुए श्रमिक संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। श्रीलंकाई पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस की मदद से गुस्साई भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया, लेकिन वह भी व्यर्थ साबित हुआ।