दिल्ली सितंबर में होने वाली G-20 की मीटिंग के लिए तैयार हो रही है। प्रगति मैदान में इंटरनेशनल ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन कॉम्प्लेक्स बन चुका है। इसे भारत मंडपम नाम दिया है। 123 एकड़ में बना ये कॉम्प्लेक्स सिडनी के ओपेरा हाउस से भी बड़ा है।
यहां से करीब 5 किमी दूर ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। सरकार की कोशिश है कि दुनियाभर से आए मेहमानों के सामने सेंट्रल विस्टा को मिसाल की तरह पेश किया जाए।
सेंट्रल विस्टा का काम किसी सीक्रेट प्रोजेक्ट की तरह चल रहा है। काम कहां तक पहुंचा, कितना बाकी है और कब तक पूरा होगा, ये जानने हम इंडिया गेट पहुंचे। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे एरिया को ही सेंट्रल विस्टा कहते हैं।
दोपहर के करीब 2 बजे थे। कुछ मजदूर गार्डन में पेड़ के नीचे आराम करते दिखे। यहां से थोड़ा आगे करीब 30 से 35 फीट ऊंची स्टील की चादरों से घिरी कंस्ट्रक्शन साइट है। पीछे बड़ी मशीनों से काम चल रहा है। साइट में एंट्री के लिए 7×4 फुट का छोटा सा दरवाजा है। उसके बाहर हमेशा एक गार्ड तैनात रहता है।यहां कंस्ट्रक्शन कंपनी L&T काम कर रही है। प्रोजेक्ट पर इतनी सख्ती का कारण पूछने पर L&T के एक अधिकारी ने बताया कि उनके पास मीडिया को एंट्री करवाने की कोई गाइडलाइन नहीं है।
अधिकारी ने नाम न जाहिर करते हुए बताया कि यहां रक्षा भवन की इमारत बन रही है। काम अभी शुरुआती लेवल पर ही है। पूरा प्रोजेक्ट इस तरह बन रहा है कि बाहर से देखने पर पता नहीं चलता है कि स्टील की दीवारों के पीछे कोई कंस्ट्रक्शन भी चल रहा है।
सेंट्रल विस्टा से जुड़े दूसरे प्रोजेक्ट का स्टेटस जानने के लिए हमने CPWD के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। प्रोजेक्ट के PRO राजीव जैन को वॉट्सऐप और मेल के जरिए सवाल भेजे, लेकिन जवाब नहीं आया।
- नया संसद भवन
- सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का रीडेवलपमेंट
- कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट
- वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव
- एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव (PM ऑफिस इसी का हिस्सा है)
इनमें संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का काम पूरा हो चुका है। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का PM नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को उद्घाटन किया था। इसे कर्तव्य पथ नाम दिया गया है। नए संसद भवन का उद्धाटन भी 28 मई, 2023 को हो चुका है। सूत्र बताते हैं कि अगला टारगेट उपराष्ट्रपति भवन और PM हाउस का काम जल्द पूरा करने का है।
लार्सन एंड टुब्रो कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट की पहली तीन बिल्डिंग बना रही है। अक्टूबर, 2021 में कंपनी ने इसका टेंडर हासिल किया था। ये बिल्डिंग बनाने के लिए CPWD ने ढाई साल की समय-सीमा तय की थी। सेंट्रल सेक्रेटेरिएट का 25% काम हो चुका है। इसके दिसंबर, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है।अभी सेंट्रल विस्टा में 39 मंत्रालय हैं। 12 मंत्रालयों के ऑफिस सेंट्रल विस्टा के बाहर बने हैं। तालमेल बेहतर बनाने के लिए इन सभी 51 मंत्रालयों को एक जगह बनाया जा रहा है। इनमें लगभग 54 हजार स्टाफ के बैठने की क्षमता होगी।
प्लॉट नंबर 137 में इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स की बिल्डिंग की जगह पर CCS बिल्डिंग 1, 2 और 3 बनाई जानी हैं। इनमें शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन में चल रही मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट के 18,000 स्टाफ को शिफ्ट किया जाएगा।
स्टाफ शिफ्ट होने के बाद शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवनों की जगह CCS बिल्डिंग 4, 5 और 9 बनाई जाएंगी। इनमें PMO और रक्षा मंत्रालय को छोड़कर नॉर्थ और साउथ ब्लॉकों के मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट के स्टाफ को शिफ्ट किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा के बाहर चल रहे डिपार्टमेंट भी यहीं शिफ्ट होंगे
CCS बिल्डिंग 6, 7, 8 को डिफेंस एन्क्लेव बनाया जाएगा। इसमें रक्षा मंत्रालय, DRDO और सेंट्रल विस्टा में काम करने वाले एयरफोर्स, नेवी और आर्मी स्टाफ को शिफ्ट किया जाएगा। डिफेंस एन्क्लेव के लिए उपराष्ट्रपति के मौजूदा आवास और आसपास की इमारतों को गिराया जाएगा
नॉर्थ ब्लॉक के पास 15 एकड़ एरिया में बन रहे नए उपराष्ट्रपति आवास का 60% से ज्यादा काम हो चुका है। इसमें एक सचिवालय, स्पोर्ट्स फैसिलिटी, गेस्ट हाउस और स्टाफ क्वार्टर भी होंग
उपराष्ट्रपति आवास राष्ट्रपति भवन के पास बन रहा है। इसी में उपराष्ट्रपति का ऑफिस भी होगा। इसका काम 2023 के आखिर तक पूरा हो सकता है। इसकी लागत 206 करोड़ रुपए बताई गई है। कमलादित्य कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने इसकी बिड जीती थी।
15 एकड़ जमीन पर बनने वाले PM हाउस में 4 मंजिला 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी। इसमें एक बिल्डिंग स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के लिए होगी। प्रोजेक्ट के सबसे आखिरी फेज में नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक की इमारतें बनाई जाएंगी
अभी PM हाउस सेंट्रल विस्टा के बाहर लोक कल्याण मार्ग पर है। साउथ ब्लॉक के पीछे ब्लॉक A और B में हटमेंट्स हटाकर नया PM हाउस बनाया जाना है। इसकी लागत 467 करोड़ रुपए होगी। 2022-23 के बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए 70 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसके नवंबर, 2023 तक तैयार होने की उम्मीद है
एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव साउथ ब्लॉक के दक्षिणी हिस्से की तरफ बनेगा। भविष्य में इंडिया हाउस का इस्तेमाल हैदराबाद हाउस की तरह होगा, जहां अभी दूसरे देशों के नेताओं के साथ हाईलेवल मीटिंग होती हैं।
एन्क्लेव में PMO, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट, इंडिया हाउस और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट शामिल होगा। इसकी लागत 1,189 करोड़ रुपए आएगी। लार्सन एंड टुब्रो एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव को बना रही है। कंपनी को इसका टेंडर नवंबर, 2022 में मिला था। ये काम 24 महीनों में पूरा किया जाना है। हालांकि, अब तक इसका काम अभी शुरू नहीं हो सका है।
हैदराबाद हाउस के सामने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स की बिल्डिंग बनाई जाएगी। इससे पब्लिक इवेंट, एग्जीबिशन और कॉन्सर्ट की सुविधा होगी। इसका काम जून, 2024 जून तक पूरा हो जाएगा। सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर दिसंबर, 2026 तक बनेगा।
इनके अलावा नेशनल म्यूजियम और नेशनल आर्काइव भी बनना हैं। नेशनल म्यूजियम को नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में शिफ्ट किया जाएगा। 1.17 लाख वर्ग मीटर एरिया में फैले दो मंजिला म्यूजियम में 950 कमरे और बेसमेंट और ओपन स्पेस होगा।
1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद सेंट्रल विस्टा के दायरे में आने वाली सारी बिल्डिंग्स सरकारी इमारतें हो गईं थीं। 1962 में इन्हें हेरिटेज परिसर घोषित कर दिया गया। लगभग एक सदी बाद इन पुरानी इमारतों में मरम्मत और सुधार की जरूरत थी। इसलिए सितंबर, 2019 में केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की। 10 दिसंबर, 2019 को इसकी आधारशिला रखी गई।इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 20 हजार करोड़ है। इसे बनने में 6 साल लगेंगे। प्रोजेक्ट के तहत CPWD ने सबसे पहले दो टेंडर निकाले थे। पहला टेंडर संसद भवन की नई बिल्डिंग का था। ये काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला था। इसकी लागत 862 करोड़ रुपए है। पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग का PM मोदी ने 28 मई, 2023 को उद्घाटन किया था।
दूसरा टेंडर साइरस मिस्त्री की कंपनी शापूर पालोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। ये राजपथ के रीडेवलपमेंट का था। इसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट की लागत 477 करोड़ रुपए है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में सबसे पहले इन्हीं दोनों प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था।
पूरे प्रोजेक्ट में नई बनने वाली कोई भी बिल्डिंग 42 मीटर यानी 7 फ्लोर से ज्यादा ऊंची नहीं होगी, क्योंकि इंडिया गेट से ऊंची कोई इमारत सेंट्रल विस्टा में नहीं बनाई जाएगी। सभी बिल्डिंग बाहर से एक जैसी दिखेंगी और एक-दूसरे से कनेक्ट होंगी। सभी की कनेक्टिविटी दिल्ली मेट्रो से भी होगी।