गोपाल दास गुप्ता, उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) प्रयागराज मण्डल, ने किसान भाइयों को बताया है कि फसलो की पैदावार में खरपतवारो के बाद सबसे अधिक क्षति (लगभग 26%) रोगों से होती है। कभी-कभी रोग महामारी का रूप लेकर शत प्रतिशत फसल को नष्ट कर डालते हैं । फसलो मे रोग मुख्यत: बीज, मृदा एवं वायु आदि के द्वारा फैलते हैं । उन्होने बताया है कि बीज जनित या भूमि जनित रोगो से बचने के लिए बुवाई से पूर्व भूमि व बीज का शोधन महत्वपूर्ण है।
भूमि शोधन हेतु ट्राईकोडरमा हारजिएनम की 2.5 किग्रा मात्रा को 70-75 किग्रा0 सडी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर एक हप्ते तक छायादार स्थान में रखें तथा पानी का छिडकाव कर उसे नम बनायें रखें। इसके बाद अन्तिम जुताई के समय 1हे0 खेत में बिखेर कर जुताई कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देंना चाहिए।
बीज शोधन के सम्बन्ध में उन्होने किसान भाइयों को सलाह दी है कि खरीफ फसलों जैसे- धान , मक्का, अरहर व उर्द आदि की बुवाई यदि आप अपने घर के बीज से कर रहे हैं तो बीज शोधित करके ही बोएं। इससे बीज के ऊपर चिपका रसायन आक्रमण करने वाले फफूँदियों को नष्ट कर देगा। धान के मिथ्या कडुंआ रोग की रोकथाम के लिए कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी की 2 ग्राम मात्रा तथा झुलसा एवं धारीदार रोग के रोकथाम हेतु कार्बेंडाजिम 50% की 2 ग्राम अथवा थीरम 75% की 2.5 ग्रा0 मात्रा से प्रति किग्रा0 बीज का शोधन करना चाहिए।
दलहन (अरहर, उर्द व मूंग) में उकठा रोग के नियंत्रण हेतु ट्राईकोडरमा हारजिएनम (जैव रसायन) की 5 ग्रा0 मात्रा से 1 किग्रा0 बीज का शोधन करना चाहिए । किसान भाई फसल सुरक्षा हेतु किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए विभाग के व्हाट्सप नंबर 9452247111 व 9452257111 अथवा अधोहस्ताक्षरी के मो०न० 9415592498 पर सम्पर्क कर सकते है।
द दस्तक 24
प्रभारी पत्रकार तहसील कोरांव प्रयागराज उमाशंकर कुशवाहा 7571974858