खसखस 🌿
खस एक बारहमासी कम सिचित जमीन पर उगने वाली घास है । प्राचीन काल में बंजर भूमि और खेतों की मेंड़ और बंधों मे लगायी जाती थी। एक बार लगा देने के बाद सालोंसाल उगती रहती थी। जिसकी अब खेती इत्र में इस्तेमाल होने वाले व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण आवश्यक तेल के उत्पादन के लिए की जाती है। खस में सुगंधित तेल इसकी जडों में होता है। ऊपर की हरी घास सूख जाने पर जमीन अंदर जड़ें सुरक्षित रहती है। इन्ही से आसवन विधि से सुगंधित तेल निकाला जाता है।
खस में ठंडक देने वाले गुण होते हैं और इसका उपयोग गर्मियों के दौरान शर्बत या स्वादिष्ट पेय तैयार करने के लिए किया जाता है। यह जड़ी बूटी ओमेगा फैटी एसिड, विटामिन, प्रोटीन, खनिज और आहार फाइबर का एक अच्छा स्रोत है।
आयुर्वेद में ये माना जाता है कि शरीर में पित्त की मात्रा अधिक हो जाने के कारण मुँह में छाले होते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है कि खसखस का तासीर या प्रभाव ठंडा होने के कारण मुँह के छालो से राहत पाने में ये मदद करता है।
आमतौर पर खसखस तेल का इस्तेमाल दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसका एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण मांसपेशियों के सूजन को कम करने में सहायता करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।आमतौर पर खसखस तेल का इस्तेमाल दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसका एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण मांसपेशियों के सूजन को कम करने में सहायता करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।
आग से जलने पर आप पानी से जलने वाली जगह को धोते हैं लेकिन जलन से आपका हाल बेहाल रहते है और जलन कम नहीं होती,उस वक्त खसखस ग्रास आपको जलन से राहत दिलायेगा। क्योंकि खसखस का जीवाणुरोधी और ठंडक देनेवाला गुण उस वक्त रामबाण जैसा काम करता है।नारियल तेल में खसखस को मिलाकर प्रभावित जगह पर लगायें इससे जलन और दर्द कम हो जायेगा।
अगर आपको नींद न आने या अनिद्रा की बीमारी है और नैचुरल तरीके आप इससे राहत पाना चाहते हैं तो खसखस के सेवन से आपको मदद मिलेगी। क्योंकि खसखस में जो यौगिक होते हैं वह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में सहायक होते हैं जिससे मस्तिष्क को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। और इसी से नींद न आने की समस्या कम होती है।
सोने के पहले नहाने के पानी में 5-10 बूंद खसखस का तेल डालकर नहाना चाहिए। इससे शरीर को ठंडक मिलती है। खसखस का महक मन और शरीर को शांत करने में मदद करता है। यानि इसका महक और ठंडक का एहसास नींद आने में मदद करती है।
जैसे अनिद्रा के बीमारी में खसखस काम करता है ठीक उसी तरह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन के कारण ये मस्तिष्क को कार्य को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और डिप्रेशन और स्ट्रेस को कम करता है।
खसखस ग्रास का ठंडा तासिर और उसका एन्टीबैक्टिरीयल गुण फीवर को कम करने या राहत दिलाने में मदद करता है।
खाना खाने के बाद 1-2 ग्राम खसखस का चूर्ण शहद या पानी के साथ ले सकते हैं।
खसखस में मिनरल जैसे कैल्शियम होता है जो बालों का झड़ना कम करके नए बाल उगाने में मदद करते हैं। खसखस के इस्तेमाल से बाल शाइनी और हेल्दी बनते हैं।
नारियल तेल में खसखस डालकर उसको अच्छी तरह से तेल में मिला लें। उसके बाद स्कैल्प में लगायें। बेहतर परिणाम के लिए इसको हफ़्ते में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
खसखस का एन्टीऑक्सिडेंट, एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण और उच्च मात्रा में लिनोलेनिक एसिड त्वचा के संक्रमण से राहत दिलाने मददगार साबित होता है। अगर स्किन इंफेक्शन का प्रॉब्लम है तो खसखस का इस्तेमाल करने से त्वचा के स्थिति में सुधार आता है। साथ ही साथ त्वचा में एक अलग चमक आती है। अगर आपके त्वचा में किसी प्रकार का छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो वहां भी खसखस लगाने से राहत मिल सकती है।
अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो खस रूट पाउडर का इस्तेमाल शहद या दूध के साथ करें। इसके बेहतर परिणाम के लिए इसका त्वचा पर इस्तेमाल दिन में एक बार या हफ़्ते में तीन बार कर सकते हैं।
अगर त्वचा में किसी तरह का घाव या छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो नारियल तेल के साथ खसखस मिलाकर लगाने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
खसखस का प्रभाव ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में करना ही फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खसखस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खसखस से शरबत बनाया जाता है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है।
नोट-👉 य़ह पोस्ट सिर्फ जानकारी देती है खसखस का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करे।