प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वेटिकन सिटी में कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्म गुरु पोप फ्रांसिस से मुलाकात की। जी-20 देशों की शिखर बैठक में शामिल इटली पहुंचे पीएम मोदी की पोप फ्रांसिस के साथ मुलाकात की कूटनीतिक अहमियत भी खास है। यह मौजूदा पोप के साथ किसी भारतीय पीएम की पहली मुलाकात है। मोदी ने पोप को भारत आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया है। पीएम मोदी के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी थे
बताया जाता है कि यह मुलाकात यूं तो बीस मिनट के लिए तय थी लेकिन लगभग एक घंटे तक चली। विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि मोदी और पोप के बीच करीब एक घंटे चली मुलाकात में पर्यावरण सुरक्षा, कोरोना महामारी से लड़ाई और गरीबी उन्मूलन पर खास तौर पर बात हुई। पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया, ‘पोप फ्रांसिस के साथ बहुत ही गर्मजोशी से मुलाकात हुई। मुझे उनके साथ विभिन्न मु्द्दों पर बात करने का मौका मिला और मैंने उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया है।’
इस मुलाकात और निमंत्रण के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा, ‘पोप ने पीएम मोदी के निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया। पोप ने यह भी कहा कि आपने (पीएम मोदी) मुझे सबसे बड़ा उपहार दिया है। मैं भारत का दौरा करने के लिए उत्सुक हूं।’ श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पोप से जल्द भारत आने का आग्रह किया है।
वर्ष 2000 में पोप और वाजपेयी की हुई थी मुलाकात
किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पोप से करीब 21 साल बाद मुलाकात हुई है। यह भी एक संयोग ही है कि वर्ष 2000 में भाजपा नेता और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने इटली दौरे के दौरान तत्कालीन पोप जान पाल द्वितीय से मुलाकात की थी। पोप का अंतिम दौरा भी वाजपेयी के कार्यकाल में ही वर्ष 1999 में हुआ था।
तब पोप के दौरे को लेकर भारत में काफी राजनीति हुई थी। कट्टरपंथी समूहों ने देश भर में इस यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किए थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और इंद्र कुमार गुजराल ने भी अलग-अलग मौकों पर पोप से मुलाकात की थी। फ्रांसिस 2013 में पोप बने थे।
भारत में पीएम मोदी और पोप की इस मुलाकात के राजनीतिक अर्थ भी निकाले जा रहे हैं। ध्यान रहे कि गोवा चुनाव अगले ही साल है। वैसे पिछले सात वर्षों में पीएम मोदी ईसाई समुदाय के कई अहम समारोहों में शामिल हो चुके हैं। 2015 में उन्होंने सेंट कुरीकोज और मदर यूफ्रेजिया के सेंटहुड के राष्ट्रीय समारोह को संबोधित किया था। 2020 में वह डा. जोसेफ मारथोमा के 90वीं जन्मतिथि समारोह में शामिल हुए थे।
मन की बात में किया था यह जिक्र
हाल ही में अपने मन की बात में पीएम ने जार्जिया की श्रद्धा और भावना से जुड़ी सेंट क्वीन कतावन का जिक्र किया था जिनकी अस्थि गोवा के ही एक चर्च में थी। भारत ने हाल ही में वह अस्थि जार्जिया को सौंपी थी और वहां पूरा देश भावुक था। मदर टेरेसा का जिक्र वह अक्सर करते हैं। 2015 में जब अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को निकाला जा रहा था तो उसमें फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार भी थे और मोदी ने खुद फोन कर उनके घरवालों को इसकी जानकारी दी थी।
भारत की कुल आबादी में ईसाई समुदाय 2.5 फीसद से भी कम है लेकिन गोवा, केरल और पूर्वोत्तर में इनकी संख्या महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से पोप फ्रांसिस को भारत आने के लिए आमंत्रित किए जाने से केरल में कैथोलिक उत्साहित हैं। कार्डिनल बेसिलियोस क्लेमिस सीरो-मलंकरा कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप ने कहा कि हम सभी इस बात से बहुत खुश हैं कि मोदी जी ने पोप को भारत आने का निमंत्रण दिया है। भारत का ईसाई समुदाय पोप के आगमन की प्रतीक्षा कर रहा है।
मुंबई के आर्कबिशप ओसवाल्ड ग्रेसियस ने अपने ट्वीट में कहा कि पीएम मोदी और पोप की मुलाकात से विश्व में भारत और पीएम मोदी के बारे में भी अच्छी धारणा बनेगी। कटक-भुवनेश्वर के आर्कबिशप और ओडिशा के चर्चों के प्रमुख जान बारवा ने अपने ट्वीट में कहा कि मोदी और पोप की मुलाकात से भारतीय ईसाई बहुत प्रसन्न हैं। इससे यकीनन रिश्ते बेहतर होंगे।