मध्य प्रदेश की सियासत गरम, भाजपा विधायक को मंत्रिपरिषद में जगह न मिलने से बना रहे हैं दबाव की राजनीति

मध्‍य प्रदेश में जिन भाजपा विधायकों को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है, उन्‍होंने दबाव की राजनीति बनाना शुरू कर दिया है। विंध्य-महाकोशल अंचल को मंत्रिमंडल में पर्याप्त तवज्जो नहीं मिलने से राजनीति गरमा गई है। विधायक नाराज हैं, इसमें पाटन विधायक अजय विश्नोई भी हैं। जिन्होंने एक दिन पहले एक माह में ‘कुछ बड़ा’ करने का एलान कर राजनीतिक सनसनी फैला दी। अब मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जन आक्रोश का हवाला देकर जबलपुर-रीवा जिले का प्रभार लेने का आग्रह किया है। उनके इस बयान के बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें फोन कर बातचीत के लिए भोपाल बुलाया है।
सूत्रों की माने तो विश्नोई ने फिलहाल मुख्यमंत्री से मुलाकात टाल दी है। उन्होंने फिलहाल पत्र भेजने की जानकारी मुख्यमंत्री को दी है। इसे सरकार पर दबाव बनाने के लिए विश्नोई का ब़़डा दांव माना जा रहा है। सरकार में अब सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली है। संभव है संगठन उन्हें मनाने के लिए इस पद का ऑफर करे।

सरकार और संगठन को अभी विधानसभा अध्यक्ष तय करना है। विश्नोई को इसके लिए ऑफर मिल सकता है। जल्द ही इसकी घोषषणा हो सकती है।।

  • बयान आते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें फोन कर भोपाल बुलाया। हालांकि विश्नोई ने जल्द आने का भरोसा दिया है। उनकी नाराजगी सरकार को मुश्किल में डाल सकती है।
  • जबलपुर और रीवा जिले का प्रभारी मंत्री मुख्यमंत्री को बनाने के अनुरोध के पीछे शहर के क्षत्रपों को ठिकाने लगाना है। असल में स्थानीय गुटबाजी में जबलपुर से मंत्री पद छिन गया। एक दिग्गज नेता का लगातार विरोध भारी पड़ा। वे नहीं चाहते थे कि जिले से कोई मंत्री बनकर उनके कद को कमजोर करे।
    सिहोरा विधायक नंदनी मरावी का नाम आखिरी वक्त पर कटने के पीछे भी राजनीति ही बताई जा रही है। स्थानीय खींचतान के कारण ही नुकसान झेलना प़़डा।