पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को राज्य सचिवालय में चाय पर आमंत्रण के बाद से सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। इस आमंत्रण के बाद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा को बांटने की कोशिश में लग गई हैं। बता दें कि इससे पहले भाजपा के बड़े नेता मुकुल रॉय की टीएमसी में घर वापसी हुई था।
दरअसल, रविवार को राजभवन में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित चाय पार्टी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ भाजपा नेता दिलीप घोष, तथागत रॉय और विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार इसी दौरान मुख्यमंत्री ने दिलीप घोष को राज्य सचिवालय में चाय पर आमंत्रण दिया, इतना ही नहीं ममता ने उन्हें काली पूजा में आने का भी न्यौता दिया। वहीं दिलीप घोष द्वारा आमंत्रण स्वीकार करने के बाद से बंगाल भाजपा में भी इस बात की खूब चर्चा हो रही है।
बता दें कि वर्ष 2019 के बाद से बंगाल में भाजपा को मिली सफलता से ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। यहां तक कि विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए थे जिसके बाद से ही ममता बनर्जी को लगने लगा कि भाजपा बंगाल में उन्हें चुनौती दे रही है। हालांकि विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिली लेकिन अभी भी वह भाजपा को हल्के में लेना नहीं चाहती हैं। इसलिए अब उनकी नजर बंगाल भाजपा के बड़े नेताओं पर है।
बताया जा रहा है कि दिलीप घोष के समर्थक उन्हें बंगाल में भाजपा को फिर से जीवंत करने का श्रेय देते हैं और अधिकारी को विपक्ष का नेता नियुक्त किए जाने से नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बात से दिलीप घोष भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2014 में ममता बनर्जी ने वाममोर्चा के चेयरमैन बिमान बोस समेत वामो के कुछ नेताओं को राज्य सचिवालय में चाय पर बुलाया था। जहां वाम दल को नेताओं ने ममता के साथ बैठ कर चाय और फिश फ्राई का लुफ्त उठाया था।