बस्तर की झीरमघाटी में 2013 में कांग्रेस नेताओं पर हुए नक्सली हमले की न्यायिक जांच की रिपोर्ट को लेकर मचा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार और प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा अब रिपोर्ट लीक होने के आरोप लगाकर आमने-सामने आ गए हैं।
बस्तर की झीरमघाटी में 2013 में कांग्रेस नेताओं पर हुए नक्सली हमले की न्यायिक जांच की रिपोर्ट को लेकर मचा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार और प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा अब रिपोर्ट लीक होने के आरोप लगाकर आमने-सामने आ गए हैं। शनिवार को सूबे के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने प्रेसवार्ता कर रिपोर्ट लीक होने का आरोप लगाया। भाजपा ने पलटवार करते हुए पूछा कि आखिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कैसे पता की जांच अधूरी है। भाजपा ने बघेल और मंत्री कवासी लखमा से इस्तीफे की मांगा की है।
कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए गृह मंत्री साहू और कृषि मंत्री चौबे ने आरोप लगाया कि राजभवन को रिपोर्ट सौंपे जाने के पांच दिन बाद उसे सरकार को दिया गया है। राजभवन से सरकार को न्यायिक जांच की रिपोर्ट भेजी गई, तब लिफाफा खुला था। मुख्यमंत्री सचिवालय के लेने से इन्कार के बाद उसे सील बंद किया गया। चौबे ने सवाल किया कि रिपोर्ट को लीक किसने किया।
लीक होने से बचाया क्यों नहीं गया। क्या लीक होने का कोई जवाबदेह है। उन्होंने इशारों में न्यायिक जांच आयोग पर भी सवाल उठाया। दोनों मंत्रियों ने झीरम को राजनीतिक हत्याकांड करार दिया। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कौन है यह जांच में सामने आएगा, लेकिन डा. रमन सिंह इससे भयभीत क्यों हैं। हम साजिशकर्ता का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्हें डर क्यों लग रहा है। जो साजिशकर्ता हैं, वे जांच में सामने आएंगे, लेकिन डा. रमन इस कलंक से बच नहीं सकते। बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और पूरी भाजपा इससे बच नहीं सकते।
गृहमंत्री साहू ने कहा कि 23 सितंबर को आयोग के सचिव ने सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने जांच अभी पूरी नहीं होने की बात कहते हुए आयोग का कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया था। इस बीच छह नवंबर को अचानक रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी गई। सितंबर अंत में जांच अधूरी थी तो आखिर एक महीने में ऐसा क्या हो गया कि न मौके पर गए न गवाहों के बयान लिए और रिपोर्ट भी पूरी हो गई और वह चीफ जस्टिस बन कर चले गए।
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने न्यायिक रिपोर्ट को अधूरा बताए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरा है। पार्टी कार्यालय में प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने आखिर रिपोर्ट कब पढ़ ली। उन्होंने रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की मांग करते हुए कहा कि आखिर उस रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जो सरकार बताने से डर रही है। चंद्राकर ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल तो कहते रहे हैं कि उनके पास इस मामले में सुबूत हैं तो उन्हें पेश क्यों नहीं करते। मंत्री कवासी लखमा तो प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं। सबसे पहले मुख्यमंत्री बघेल और लखमा को इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इस मामले में भाजपा की सहभागिता है तो सरकार फांसी चढ़ा दे।