पर्यावरण प्रभाव आकलन पर सियासी संग्राम थमता नजर नहीं आ रहा ,प्रकाश जावड़ेकर और नेता जयराम रमेश आमने सामने

केंद्र सरकार के पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environment Impact Assessment) की अधिसूचना 2020 के प्रारूप पर सियासी संग्राम थमता नजर नहीं आ रहा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अब कांग्रेस नेता जयराम रमेश के सवालों का पत्र लिखकर सिलसिलेवार जवाब दिया है। जावड़ेकर ने जयराम रमेश को संबोधित पत्र में कहा है कि हमने पर्यावरण प्रभाव आकलन की अधिसूचना 2020 के प्रारूप पर आपके और तमाम हितधारकों के सुझावों और आपत्तियों पर गौर किया जाएगा।

जावड़ेकर ने कहा है कि मुझे 25 जुलाई की तिथि में लिखा आपका पत्र मिला जो प्रेस को भी जारी किया गया था। मुझे बड़ी हैरानी होती है कि ऐसे में जब इसको अंतिम रूप दिए जाने में अभी समय बाकी है और इस पर लोगों की राय ली जा रही है… आपका पत्र गलत व्याख्या पर आधारित और अपरिपक्‍व है। आपकी टिप्पणियों पर ध्यान दिया गया है। सुझावों के लिए अभी कई दिन शेष हैं। आपके सभी सुझाव निराधार हैं। जावड़ेकर ने यह भी कहा है कि सरकार विभिन्न सुझावों पर विचार करने के बाद ही उक्‍त मसौदे को अंतिम रूप देगी।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने कहा है कि यह आरोप कि अब उन कंपनियों या उद्योगों को भी क्लीयरेंस हासिल करने का मौका दिया जाएगा जो इससे पहले पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करती आ रही हैं… यह बिल्‍कुल ही गलत है। जावड़ेकर ने यह भी कहा है कि पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना का मसौदा जनसुनवाई को सुस्त नहीं करता बल्कि उसे मजबूत और अर्थपूर्ण बनाता है। ईआईए के मसौदे में किया गया प्रावधान, उल्लंघनकर्ताओं को नियमन की जद में लाने वाला है जिसकी मदद से उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकेगा।

मालूम हो कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने 25 जुलाई के पत्र में कहा था कि ईआईए प्रारूप किसी परियोजना का काम पूरा होने के बाद भी स्वीकृति की अनुमति देता है। यह पर्यावरण मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। यह केंद्र को राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकारियों की नियुक्ति के लिए पूर्ण अधिकार देता है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि सहकारी संघवाद के ताबूत पर यह एक और कील है।