वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने को लेकर विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं लेकिन पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के मुताबिक लोग अपने वोट को सुरक्षित करने के लिए खुद ही जागरूक हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में आयोग ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने का कार्यक्रम चलाया था। उस समय छह महीने में 30 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने वोटर कार्ड को आधार से लिंक कराने के लिए स्वैच्छिक रूप से आगे आए थे। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल के चलते इस कार्यक्रम को रोक दिया गया।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने के सरकार के फैसले की तारीफ की और कहा कि यह काफी अच्छा प्रयास है और यह पहले ही हो जाना चाहिए था। इससे मतदान की पूरी प्रक्रिया और पारदर्शी होगी। हालांकि उन्होंने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की इस पहल को स्वैच्छिक रखे जाने पर अपनी असहमति जताई और कहा कि इसे अनिवार्य किया जाना चाहिए।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने कहा कि अगर इस पूरी प्रक्रिया में थोड़े भी मतदाता छूट गए तो गड़बड़ी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में समय लगेगा, क्योंकि इसके लिए काफी जांच- पड़ताल की जरूरत होती है। हालांकि जिस तरह से सरकार ने इसे कानूनी रूप देने में तेजी दिखाई है, उससे साफ है कि वह तेजी से इस प्रक्रिया को पूरा भी करेगी। देश में 90 करोड़ से ज्यादा मतदाता है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनावों के दौरान आने वाली झूठी शिकायतों से निपटने की है। उन्होंने अपने कार्यकाल को याद करते हुए बताया कि उस समय एक महीने में 54 हजार शिकायतें आयोग के पास आई थीं। ऐसे में सभी की जांच करना और उनका निस्तारण करना एक बड़ी चुनौती थी। खास बात यह है कि ज्यादातर शिकायतें गलत और झूठी थीं। इसके बाद ही आयोग ने शिकायतों को लेकर एक सी-विजिल नाम से एक आनलाइन पोर्टल शुरू किया था। इसमें शिकायतों से संबंधित फोटो को अपलोड करना था। इसके बाद शिकायतों की संख्या में कमी आई।