कोरोना संकट और चीन से सरहद पर तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन के साथ वर्चुअल मीटिंग करने जा रहे हैं। यह पहली बार होगा जब भारत के प्रधानमंत्री एक विदेशी नेता के साथ ‘द्विपक्षीय’ ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह बैठक काफी अहम है, क्योंकि दुनिया के कई देशों में चीन के प्रति नाराजगी है।
इस वर्चुअल मुलाकात का फोकस दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने पर होगा। ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन को जनवरी और फिर मई में भारत आना था। जनवरी में वह आस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग के कारण नहीं आ सके और मई में कोरोना महामारी के कारण उनका दौरा नहीं हो सका।
यह बैठक इस वक्त दुनिया में मौजूद शीत युद्ध जैसे हालात के कारण महत्वपूर्ण मानी जा रही है। चीन में छह महीने पहले कोरोना वायरस के उभार और उसके बाद इसके विश्वव्यापी प्रकोप, विशेषकर अमेरिका में तबाही के बाद अमेरिका और चीन की तनातनी ने विश्व को एक नए शीत युद्ध के मुहाने पर ला दिया है।
चीन की इस आक्रामकता से निपटने में अमेरिका को जी-7 की भूमिका खास लग रही है। इस समूह में अमेरिका, कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। अमेरिका का मानना है कि चीन से निपटने के लिए इन सबके साथ-साथ भारत, आस्ट्रेलिया, रूस और दक्षिण कोरिया का भी साथ जरूरी है।
आपको बता दें कि चीन के वुहान से चले कोरोना के जानलेवा विषाणु से भारत समेत दुनियाभर के 200 से ज्यादा देशों में हाहाकार मचा है। कोविड 19 वायरस की चपेट में आने से दुनियाभर में 64 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं जबकि तकरीबन 4 लाख लोगों की जान जा चुकी। वहीं तमाम कोशिशों के बावजूद अबतक इससे निपटने लिए अबतक न को कई दवाई वैज्ञानिक ढूढ़ पाए हैं और न ही कोई वैक्सीन। इन सबके बीच अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अपना नाता तोड़ लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर कोरोना वायरस पर दुनिया को गुमराह करने में चीन का साथ देने का आरोप लग रहा है।