पीएम मोदी ने पाक और चीन पर साधा निशाना कहा- आतंकवाद और युद्ध ने छीन लीं लाखों जिंदगियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए पाकिस्‍तान और चीन पर करारा हमला बोला। प्रधानमंत्री ने कहा‍ कि आतंकवाद और युद्ध ने लाखों जिंदगियां छीन ली। लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था वो असमय ही दुनिया छोड़कर चले गए। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की जोरदार वकालत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्थाओं और स्वरूप में बदलाव आज की जरूरत है। उन्‍होंने दुनिया को भरोसा दिलाया कि भारत शांति का पक्षधर है और आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। 

प्रधानमंत्री ने चीन और पाकिस्‍तान का बिना नाम लिए कहा कि यह बात सही है कि तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ है लेकिन इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों में खून की नदियां बहती रहीं। लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था। इन हमलों और युद्धों के चलते दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी… अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि उस समय और मौजूदा वक्‍त में क्या संयुक्त राष्ट्र के प्रयास पर्याप्त हैं? 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आठ से नौ महीने हो गए पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इस महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली जवाबदेही कहां है? आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है? प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें तो इसमें कोई दो राय नहीं कि इनकी संख्‍या काफी है। लेकिन मौजूदा वक्‍त में अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की जरूरत भी बताते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं, व्यवस्थाओं और उसके स्वरूप में बदलाव आज की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र में सुधार की प्रक्रिया के पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या यह प्रक्रिया कभी अपने अंजाम तक पहुंचेगी। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाले ढांचे से अलग रखा जाएगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत ऐसा देश है जहां दुनिया की 18 फीसद से ज्यादा आबादी रहती है। एक ऐसा देश जहां सैकड़ों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, अनेकों पंथ, अनेकों विचारधाराएं हैं। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है आखिर उसको कब तक इंतजार करना पड़ेगा? 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम पूरे विश्‍व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत के दवा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं विश्‍व को भरोसा देना चाहता हूं। भारत की वैक्‍सीन के उत्‍पादन और उसकी आपूर्ति क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज मानवता, मानव जाति की कामना के लिए उठेगी। भारत की आवाज आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लाउंडरिंग के खिलाफ उठेगी। 

भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन की तारीफ करते हुए कहा कि 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री जी ने भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णायक संरचना का हिस्सा बनाए जाने की बात की। भारत हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि का पक्षधर रहा है। प्रधानमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्यों की आज के समय में प्रासंगिकता, उपलब्धियों के मूल्यांकन, आतंकवाद की समस्या और उससे हुई वैश्विक क्षति, कोरोना महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर आत्ममंथन करने की भी बात की। प्रधानमंत्री ने भारत की संस्कृति, संस्कार और सोच को सबके सामने प्रस्तुत करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रबल प्रतिनिधित्व किया, जिसका मैं ह्रदय की गहराइयों से स्वागत करता हूं…