एक तरफ जहां संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है, वहीं सत्र दर सत्र यह भी स्पष्ट हो गया है कि सदस्यों की रुचि चुनाव जीतने में ही है, सदन में उपस्थित होने में नहीं। यह रुख हर दल में है। बहरहाल, सत्ताधारी भाजपा सदस्यों की गैरहाजिरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस कदर व्यथित कर दिया कि उन्होंने परोक्ष चेतावनी ही दे दी, ‘नहीं बदले तो बदलाव तो होता ही है।’ संकेत साफ है कि बार-बार की चेतावनी के बावजूद जिन सदस्यों के कान पर जूं नहीं रेंग रही है, वे केंद्रीय नेतृत्व की नजरों में हैं।
मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री का यह रुख इसलिए अहम है क्योंकि पिछले छह-सात वर्षों में वह लगभग एक दर्जन बार सदन में उपस्थित रहने, संसदीय क्षेत्र के विषयों को उठाने और बड़ी बहस में पूरी तैयारी के साथ हिस्सा लेने के निर्देश दे चुके हैं। एक अवसर पर जब राज्यसभा में विधेयक पारित किए जाने के वक्त भी कुछ मंत्री और सांसद गैरमौजूद थे तब तो उन्होंने ऐसे पार्टी सांसदों की सूची ही मांग ली थी। यहां तक भी निर्देश था कि सत्र के दौरान अगर किसी कारण से कोई अनुपस्थित होता है तो इसकी जानकारी सदन के अलावा पार्टी और सरकार को भी दें। पर लगता है कि किसी ने अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है। लोकसभा में कोरोना पर चर्चा के दौरान भी पूरे सदन में गिने-चुने सत्ताधारी और विपक्षी सांसद थे। ऐसे में नाराज प्रधानमंत्री ने कहा, बार-बार कहे जाने पर तो छोटा बच्चा भी बदल जाता है। आप लोग भी खुद में परिवर्तन लाएं वरना परिवर्तन तो आ ही जाता है।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सांसदों से अपने अपने क्षेत्रों में पद्म पुरस्कृत लोगों को सम्मानित करने का भी निर्देश दिया है। मालूम हो कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार ऐसे लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा है जो दूर-दराज के इलाकों में सेवा कर रहे हैं और उनकी प्रतिष्ठा है।
बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने-अपने क्षेत्र के मंडल अध्यक्षों की बैठक बुलाने को कहा। प्रधानमंत्री ने तत्काल इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया। वह 14 दिसंबर को वाराणसी क्षेत्र के मंडल अध्यक्षों की बैठक बुलाएंगे।