पहले कोरोना महामारी और उसके बाद यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जिस तरह वैश्विक भू-राजनीति में बदलाव आने के संकेत मिल रहे हैं, उसे देखते हुए भारत सरकार के स्तर पर भी गहन मंथन का दौर शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार को हुई सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में जो मुद्दे उठे हैं वे इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि भारत की रणनीतिक तैयारियों को लेकर सरकार अब देरी करने के मूड में नहीं है।
बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने कैबिनेट सहयोगियों को रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक के इस्तेमाल और रक्षा उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के काम को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। माना जा रहा है कि यह बैठक भारत की भावी रक्षा और सुरक्षा तैयारियों के मद्देनजर एक मील का पत्थर साबित होगी।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल उपस्थित थे। बैठक के बारे में सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीसीएस बैठक कर यूक्रेन में चल रहे विवाद के मद्देनजर देश की सुरक्षा तैयारियों और वैश्विक स्तर पर चल रही गतिविधियों की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री को देश की सीमाओं पर सुरक्षा तैयारियों के विभिन्न आयामों के बारे में बताया गया। साथ ही नौसेना और वायुसेना के स्तर पर तैयारियों और मौजूदा हालात के बारे में जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री को यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के लिए शुरू किए गए आपरेशन गंगा के बारे में भी अवगत कराया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने खार्कीव में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा के पार्थिव शरीर को स्वदेश लाने के लिए हरसंभव कोशिश करने का निर्देश दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा क्षेत्र में वैश्विक अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर विस्तृत रिपोर्ट की समीक्षा की। साथ ही भारत के रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और भावी रणनीति पर भी विमर्श किया। प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि भारत के रक्षा उपकरणों को भी अत्याधुनिक तकनीक आधारित बनाया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को रक्षा उपकरण निर्माण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए
इससे न सिर्फ देश की सुरक्षा की नींव मजबूत होगी बल्कि आर्थिक प्रगति को भी बल मिलेगा। यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान भी प्रधानमंत्री ने लगातार अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ हालात की समीक्षा की है। लेकिन रविवार को हुई बैठक का एजेंडा काफी अलग रहा। इसकी कई वजहें बताई जा रही हैं। जिस तरह से रूस पर सिर्फ सरकारी प्रतिबंध ही नहीं, बल्कि अमेरिका व यूरोप के कारपोरेट सेक्टर ने प्रतिबंध लगाए हैं उसे काफी अलग किस्म का घटनाक्रम माना जा रहा है।
इसके मद्देनजर भारत जैसे देश को भी इस तरह के हालात उत्पन्न होने की संभावना और उससे निपटने की वैकल्पिक व्यवस्था होने की जरूरत महसूस हो रही है। यूक्रेन पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की प्रतिक्रिया की अनदेखी कर जिस तरह से रूस लगातार हमला कर रहा है, वह भी भारत के लिए एक सबक है। कई वैश्विक रणनीतिक विश्लेषकों ने लिखा है कि रूस के हमले से चीन के इरादे को बल मिला है, वह अपने पड़ोसी देशों के साथ और आक्रमक रवैया अपना सकता है।