प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत बनाए गए ‘राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र’ (Rashtriya Swachhta Kendra) का उद्घाटन किया। महात्मा गांधी को समर्पित किए गए इस केंद्र में लोगों को स्वच्छ भारत मिशन की सफलता और स्वच्छता के फायदों के बारे में बताया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से संवाद किया और उन्हें स्वच्छता की लड़ाई में अपनी सेना बताया। महात्मा गांधी ने आज के ही दिन आजादी की लड़ाई का आंदोलन शुरू करते हुए अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। इसी तर्ज पर पीएम मोदी ने भी ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का नया नारा दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी जी का अभियान था- अंग्रेजों भारत छोड़ो। अब हम लोग अभियान चला रहे हैं- गंदगी भारत छोड़ो। देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा। इसी सोच के साथ पिछले छह वर्षों से देश में एक व्यापक ‘भारत छोड़ो अभियान’ चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा- गरीबी- भारत छोड़ो… खुले में शौच की मजबूरी- भारत छोड़ो… पानी के दर-दर भटकने की मजबूरी- भारत छोड़ो… भ्रष्टाचार की कुरीति- भारत छोड़ो..!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंदगीमुक्त भारत अभियान की शुरुआत की। शनिवार से शुरू हुआ अभियान 15 अगस्त तक चलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप हैं। आइए आज से 15 अगस्त तक यानि स्वतंत्रता दिवस तक देश में एक हफ्ते का लंबा अभियान चलाएं। स्वराज के सम्मान का सप्ताह यानी ‘गंदगी भारत छोड़ो सप्ताह’… मोदी ने कहा कि स्वच्छता अभियान की सफलता के बाद अब देश को गंदगीमुक्त बनाने पर जोर देना होगा। कचरे से कंचन बनाना है।
गंदगीमुक्त अभियान में कचरा प्रबंधन के बारे में लोगों को जागरूक बनाने पर जोर दिया जाएगा। मोदी ने कहा कि हमें कचरे से खाद बनाने, सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति पाने की दिशा में बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री ने सभी कलेक्टरों से कहा कि वे 15 अगस्त तक अपने-अपने जिलों में यह अभियान सघनता से चलाएं। हर जिले के कलेक्टर गांवों में सामुदायिक शौचालय बनाएं और मरम्मत कराएं। इस दौरान ‘दो गज की दूरी-मास्क जरूरी’ के मंत्र पर भी अमल करना जरूरी है।
पिछले छह वर्षों के स्वच्छ भारत अभियान की सफलता की चर्चा करते हुए PM मोदी ने कहा कि इससे कोरोना से युद्ध में भी लाभ मिला है। उन्होंने कहा, ‘अगर 2014 के पहले कोरोना जैसी आपदा आती तो क्या हम इसे रोक पाते। लॉकडाउन कभी सफल होता? उस समय 60 करोड़ की बड़ी आबादी खुले में शौच करने को मजबूर थी। कोरोना के दौरान शौचालय न होता तो क्या हाल होता?’ उन्होंने कहा कि स्वच्छता एक सफर है, जो जीवनभर और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला है। देश के सभी गांवों ने खुद को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) कर लिया है। 60 महीने के दौरान देश के 60 करोड़ लोग शौचालय से जुड़ गए