मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रचार चरम पर है और इसमें 13 सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल में हैं। इलाका राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला है। कांग्रेस ने पार्टी छोड़कर सरकार गिरा देने वाले सिंधिया को गद्दार करार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सभी नेता भाजपा के नए नेता सिंधिया को निशाने पर ले रहे हैं। हमले की धार को और तेज करने के लिए कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और सिंधिया के मित्र सचिन पायलट को मैदान में उतारा। इरादा तो सिंधिया को घेरने का ही था लेकिन भिंड- मुरैना जिले की सात विधानसभा सीटों पर हुई सभाओं में पायलट ने सिंधिया पर एक शब्द नहीं कहा।कांग्रेस ने इस युवा ‘अस्त्र’ की चुप्पी से सिंधिया से हमले की धार ही कुंठित हो गई।
उपचुनाव प्रचार में इन सात सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं को सबसे अधिक इंतजार पायलट का ही था। राजस्थान से सटे इलाके और गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र होने से यहां के लिए इसी समाज के पायलट प्रदेश में कांग्रेस के झंडाबरदार कमल नाथ से अधिक चिर-परिचित चेहरे हैं। इलाके में भाजपा जहां अपना चुनाव प्रचार कमल नाथ सरकार बनाम भाजपा सरकार में विकास को मुद्दे पर केंद्रित किए हुए है, वहीं कांग्रेस सिंधिया को निशाना बनाते हुए युवा वोटरों में गद्दारी के मुद्दे को हवा दे रही है।
पायलट ने मंगलवार और बुधवार को सात सभाएं कीं लेकिन सिंधिया पर कुछ नहीं कहा। उलटा पायलट पत्रकारों से चर्चा में कह गए- हर कोई फैसला करने के लिए स्वतंत्र है कि वह किस पार्टी में रहना चाहता है। अंतत: जनता ही तय करती है कौन गलत है और कौन सही। उधर, भाजपा सिंधिया के मुद्दे पर पायलट के रुख से खुश नजर आ रही है। वह इस दौरे को अपने पक्ष में ज्यादा देख रही है।
सचिन पायलट कम बोलें इसी में कांग्रेस की भलाई है। अगर वे ज्यादा बोलते तो जरूर बताते कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें बिका हुआ, नालायक और घटिया आदमी कहा था। मुझे लगता है कि उनका स्वाभिमान जागना चाहिए था, जिससे ग्वालियर-चंबल के लोगों को स्पष्ट हो जाता कि राहुल गांधी की कुंठाओं के चलते कांग्रेस में युवाओं का कोई भविष्य नहीं है।
सचिन पायलट एक विचारधारा से जुड़े नेता हैं। उन्होंने फासीवादी विचारधारा पर जमकर हमला बोला है। जहां तक सिंधिया से उनकी मित्रता का सवाल है तो उन्होंने स्पष्ट किया है कि मैं मेरा काम कर रहा हूं, वे अपना काम कर रहे हैं। यदि कोई नेता पार्टी विचारधारा पर पूरी तरह से समर्पित है तो इस तरह की बातें अप्रासंगिक हो जाती हैं।
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आदर्श कुमार
संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ